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खुश रहने के दो तरीके है आवश्यकताओं को कम करें और स्थिति के साथ सहभागिता।

बहुत दिन बाद पकड़ में आई...

थोड़ी सी खुशी...

तो पूछा ?


"कहाँ रहती हो आजकल.... ?

ज्यादा मिलती नहीं..?"


"यही तो हूँ" 

जवाब मिला।


बहुत भाव खाती हो खुशी ?..

कुछ सीखो

अपनी बहन से...

हर दूसरे दिन आती है 

हमसे मिलने..  "परेशानी"।


"आती तो मैं भी हूं... 

पर आप ध्यान नही देते"।


"अच्छा...? कहाँ थी तुम जब पड़ोसीने नई गाड़ी ली ?

और तब कहाँ थी जब रिश्तेदार ने बड़ा घर बनाया?"


शिकायत होंठो पे थी कि.....

उसने टोक दिया बीच में.

 

"मैं रहती हूँ..…

कभी आपकी बच्चे की किलकारियो में,


कभी रास्ते मे मिल जाती हूँ ..

एक दोस्त के रूप में,


कभी ...

एक अच्छी फिल्म देखने में, 


कभी... 

गुम कर मिली हुई किसी चीज़ में,


कभी... 

घरवालों की परवाह में,


कभी ...

मानसून की पहली बारिश में,


कभी... 

कोई गाना सुनने में,


दरअसल...

थोड़ा थोड़ा बाँट देती हूँ, 

खुद को

छोटे छोटे पलों में....


उनके अहसासों में।

      

लगता है चश्मे का नंबर बढ़ गया है आपका...!

सिर्फ बड़ी चीज़ो में ही ढूंढते हो मुझे.....!!! 

खैर...

अब तो पता मालूम हो गया ना मेरा...?

ढूंढ लेना मुझे आसानी से अब छोटी छोटी बातों में..."





* खुश रहने के दो तरीके हैं;

* आवश्यकताओं को कम करें * और * स्थिति * के साथ सहभागिता।

*ख़ुशी* उनको नही मिलती जो अपनी शर्तों पे ज़िन्दगी जिया करते है *ख़ुशी*उनको मिलती है जो दुसरो की *ख़ुशी* के लिए अपनी शर्ते बदल लिया करते है।

*ख़ुशी* उनको नही मिलती
                 जो अपनी शर्तों पे
ज़िन्दगी जिया करते है
              *ख़ुशी*उनको मिलती है
जो दुसरो की *ख़ुशी* के
                लिए अपनी शर्ते बदल
लिया करते है।

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दिल में "बुराई" रखने से बेहतर है, कि "नाराजगी" जाहिर कर दो ।
जहाँ दूसरों को "समझाना" कठिन हो, वहाँ खुद को समझ लेना ही बेहतर है ।
"खुश" रहने का सीधा सा एक ही "मंत्र" है, कि "उम्मीद" अपने आप से रखो, किसी और से नहीं..।


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फूलो की तरह
      मुस्कुराते रहिये ...
भंवरों की तरह
      गुनगुनाते रहिये ...
चुप रहने से रिश्ते भी
      उदास हो जाते है ...
कुछ उनकी सुनिये
      कुछ अपनी सुनाते रहिये...
भूल जाइये शिकवे शिकायतों
      के पलों को
और ...
छोटी छोटी खुशियों के
      मोती लुटाते रहिये ...


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जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता है
और
जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से,
इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय भरपूर हास्य और प्रेम भरा हो.
..बस यही सच्चा जीवन है..
मुस्कराने के मकसद न ढूँढ...
वर्ना जिन्दगी यूँ ही कट जाएगी !
कभी बेवजह भी मुस्कुरा के देख
तेरे साथ साथ जिन्दगी भी
मुस्कराएगी..

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खुशी के लिए काम करोगे तो
            ख़ुशी नहीं मिलेगी,
लेकिन खुश होकर काम करोगे,
     तो ख़ुशी और सफलता दोनों
                  ही मिलेगी !


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बचपन मे 1 रु. की पतंग के पीछे
२ की.मी. तक भागते थे...
न जाने कीतने चोटे लगती थी...
वो पतंग भी हमे बहोत दौड़ाती थी...
आज पता चलता है,
दरअसल वो पतंग नहीं थी;
एक चेलेंज थी...
खुशीओं को हांसिल करने के लिए दौड़ना पड़ता है...
वो दुकानो पे नहीं मिलती...
शायद यही जिंदगी की दौड़ है ...!!!

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खुशी के लिए काम करोगे तो ख़ुशी नहीं मिलेगी,
लेकिन खुश होकर काम करोगे,
तो ख़ुशी और सफलता दोनों ही मिलेगी ।


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किसी ने मुझसे पुछा की :
    "तुम इतने खुश कैसे रह
     लेते हो…??"
     तो मैने कहा :-
    "मैनें ज़िन्दगी की गाड़ी से
     वो साइड ग्लास ही हटा
     दिया, जिसमे पीछे छूटे
     रास्ते नज़र आते है।
        

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जिस पल आपकी मृत्यु हो जाती है, उसी पल से आपकी पहचान एक "बॉडी" बन जाती है।
अरे
"बॉडी" लेकर आइये,
"बॉडी" को उठाइये,
"बॉडी" को सूलाइये
ऐसे शब्दो से आपको पूकारा जाता है, वे लोग भी आपको आपके नाम से नही पुकारते ,
जिन्हे प्रभावित करने के लिये आपने अपनी पूरी जिंदगी खर्च कर दी।
इसीलिए निर्मिती" को नही
निर्माता" को  प्रभावित करने के लिये जीवन जियो।
जीवन मे आने वाले हर चूनौती को स्वीकार  करे।......
अपनी पसंद की चिजो के लिये खर्चा किजिये।......
इतना हंसिये के पेट दर्द हो जाये।....
आप कितना भी बूरा नाचते हो ,
फिर भी नाचिये।......
उस खूशी को महसूस किजिये।......
फोटोज् के लिये पागलों वाली पोज् दिजिये।......
बिलकुल छोटे बच्चे बन जायिये।
क्योंकि मृत्यु जिंदगी का सबसे बड़ा लॉस नहीं है।
लॉस तो वो है
के आप जिंदा होकर भी आपके अंदर जिंदगी जीने की आस खत्म हो चूकी है।.....
हर पल को खूशी से जीने को ही जिंदगी कहते है।
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
"काम में खुश हूं," आराम में खुश हू,
"आज पनीर नहीं," दाल में ही खुश हूं,
"आज गाड़ी नहीं," पैदल ही खुश हूं,
"दोस्तों का साथ नहीं," अकेला ही खुश हूं,
"आज कोई नाराज है," उसके इस अंदाज से ही खुश हूं,
"जिस को देख नहीं सकता," उसकी आवाज से ही खुश हूं,
"जिसको पा नहीं सकता," उसको सोच कर ही खुश हूं,
"बीता हुआ कल जा चुका है," उसकी मीठी याद में ही खुश हूं,
"आने वाले कल का पता नहीं," इंतजार में ही खुश हूं,
"हंसता हुआ बीत रहा है पल," आज में ही खुश हूं,
"जिंदगी है छोटी," हर पल में खुश हूं,
अगर दिल को छुआ, तो जवाब देना,
वरना बिना जवाब के भी खुश हूं..!!