झुका लेता हूं सर अपना,
सभी धर्मस्थलों के सामने,
क्योंकि किसी धर्मका अपमान करने की इजाजत मेरा धर्म नहीं देता..
मज़हब तो ये दो हथेलियाँ ही बताती हैं,
सभी धर्मस्थलों के सामने,
क्योंकि किसी धर्मका अपमान करने की इजाजत मेरा धर्म नहीं देता..
मज़हब तो ये दो हथेलियाँ ही बताती हैं,
जुड़ें तो "पूजा" खुलें तो "दुआ"कहलाती हैं..
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एक घर में पड़ी किताब - गीता और कुरान आपस में कभी नहीं लड़ते,
और जो उनके लिए लड़ते हैं वो कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते.
और जो उनके लिए लड़ते हैं वो कभी उन दोनों को नहीं पढ़ते.
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धर्म के उन ठेकेदारो से तो वो दुकानदार ठीक हैं ;
जो गीता और कुरान साथ मे सजा कर रखते है..!!