घमंड से अपना *सर* ऊँचा न करे...
जीतने वाले भी ....
अपना *गोल्ड मैडल*...
सिर झुका के हासिल करते है
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आहिस्ता से पढना- पछतायेगा कौन ?
एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी -
मैं रूठा ,
तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
तुम भी रूठ गए
फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है ,
कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
कल खाई होगी
फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप ,
तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
तुम भी चुप
इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
छोटी बात को लगा लोगे दिल से ,
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर ,
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी ,
न तुम राजी ,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन
दिखाएगा कौन ?
न तुम राजी ,
फिर माफ़ करने का बड़प्पन
दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी ,
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे ,
एक तेरे भीतर भी ,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
एक तेरे भीतर भी ,
इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
फिर इन लम्हों में अकेला
रह जाएगा कौन ?
फिर इन लम्हों में अकेला
रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन
एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?
एक ने आँखें....
तो कल इस बात पर फिर
पछतायेगा कौन ?
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*कोई आपके लिए रूपये*
*खर्च करेगा तो कोई*
*समय खर्च करेगा,*
*समय खर्च करने वाले*
*व्यक्ति को हमेशा अधिक*
*महत्व और सम्मान*
*देना क्योंकि...*
*वह आपके पीछे अपने*
*जीवन के वो पल खर्च*
*कर रहा है जो उसे कभी*
*वापिस नही मिलेंगे !!*
*अभिमान तब आता है*
*जब हमे लगता है हमने कुछ काम किया है,*
*और* .. .. ..
*सम्मान तब मिलता है .. .. ..*
*जब दुनिया को लगता है,*
*कि आप ने कुछ महत्वपूर्ण काम किया है ।।*
*जब हमे लगता है हमने कुछ काम किया है,*
*और* .. .. ..
*सम्मान तब मिलता है .. .. ..*
*जब दुनिया को लगता है,*
*कि आप ने कुछ महत्वपूर्ण काम किया है ।।*
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रेती मा पडेली खाँड़ कीडी वीणी शके पण हाथी नही
तेथी क्यारेय नाना माणस ने नानों न गणवो,
क्यारेक नानों माणस मोटु काम करी जाय छे,
तेथी क्यारेय नाना माणस ने नानों न गणवो,
क्यारेक नानों माणस मोटु काम करी जाय छे,
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दर्पण जब चेहरे का दाग दिखाता है,
तब हम दर्पण नहीं तोडते बल्कि दाग साफ करते हैं।
उसी प्रकार हमारी कमी बताने वाले पर क्रोध करने के बजाय कमी दूर करना श्रेष्ठ है।
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"मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी
परछाई सदैव काली होती है...!!
"मैं श्रेष्ठ हूँ" यह आत्मविश्वास है
लेकिन....
"सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ"यह अहंकार है !
परछाई सदैव काली होती है...!!
"मैं श्रेष्ठ हूँ" यह आत्मविश्वास है
लेकिन....
"सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ"यह अहंकार है !
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"अंहकार" और "पेट"
जब बढ़ जाता है,
तो 'इंसान....
चाह कर भी
"गले" नहीं मिल सकता..!!"
"गले" नहीं मिल सकता..!!"
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"कर्म" एक ऐसा रेस्टोरेंट है ,
जहाँ ऑर्डर देने की
जरुरत नहीं है
हमें वही मिलता है जो
हमने पकाया है।
जिंदगी की बैंक में जब
" प्यार " का " बैलेंस "
कम हो जाता है
तब " हंसी-खुशी " के
चेक बाउंस होने लगते हैं।
जहाँ ऑर्डर देने की
जरुरत नहीं है
हमें वही मिलता है जो
हमने पकाया है।
जिंदगी की बैंक में जब
" प्यार " का " बैलेंस "
कम हो जाता है
तब " हंसी-खुशी " के
चेक बाउंस होने लगते हैं।
इसलिए हमेशा
अपनों के साथ
नज़दीकियां बनाए रखिए ।
.
अपनों के साथ
नज़दीकियां बनाए रखिए ।
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*"रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,*
*"लेकिन मुस्कुराने से...*
*पराये भी अपने हो जाते हैं !*
*"मुझे वो रिश्ते पसंद है,*
*"जिनमें " मैं " नहीं " हम " हो !!*
*"इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही,*
*"उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही..!!*
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*घमंड* और *पेट*
जब ये दोनों बढतें हैं..
तब *इन्सान* चाह कर भी
किसी को गले नहीं लगा सकता..
जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद
हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है...
...उसी प्रकार...
*मनुष्य* *का* *अहंकार*
भी अच्छे से अच्छे संबंधों को
बर्बाद कर देता है".!!!
जब ये दोनों बढतें हैं..
तब *इन्सान* चाह कर भी
किसी को गले नहीं लगा सकता..
जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद
हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है...
...उसी प्रकार...
*मनुष्य* *का* *अहंकार*
भी अच्छे से अच्छे संबंधों को
बर्बाद कर देता है".!!!
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: *" नफरतों में क्या रखा हैं ..,*
*मोहब्बत से जीना सीखो..,*
*क्योकि*
*ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं ...*
*और ...*
*न ही आप का ठिकाना ..,*
*याद रहे ! . दूसरा मौका सिर्फ*
*कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं....*.. . *मानव कितने भी प्रयत्न कर ले*
*अंधेरे में छाया*
*बुढ़ापे में काया*
*और*
*अंत समय मे माया*
*किसी का साथ नहीं देती*
*""सदा मुस्कुराते रहिये""*
*मोहब्बत से जीना सीखो..,*
*क्योकि*
*ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं ...*
*और ...*
*न ही आप का ठिकाना ..,*
*याद रहे ! . दूसरा मौका सिर्फ*
*कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं....*.. . *मानव कितने भी प्रयत्न कर ले*
*अंधेरे में छाया*
*बुढ़ापे में काया*
*और*
*अंत समय मे माया*
*किसी का साथ नहीं देती*
*""सदा मुस्कुराते रहिये""*