भरोसा खुद पर रखो तो ताकत बन जाती है

*भरोसा खुद पर रखो*
                 *तो ताकत बन जाती है*
*और दूसरों पर रखो तो*
                 *कमजोरी बन जाती है…!*
*आप कब सही थे...*
                *इसे कोई याद नहीं रखता।*
*लेकिन आप कब गलत थे...*
                *इसे सब याद रखते हैं।*

*पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है"*
   *"जिसको समस्या न हो"*
           *"और"*
*"पृथ्वी पर कोई समस्या ऐसी नहीं है"*
*"जिसका कोई समाधान न हो...*

*मंजिल  चाहें  कितनी भी  ऊँची  क्यों न हो,  रास्ते  हमेशा  पैरों  के  नीचे  ही  होते है।*




_*दोनों तरफ़ से निभाया जाये, वही रिश्ता कामयाब होता है साहिब....*_

_*एक तरफ़ से सेंक कर तो रोटी भी नहीं बनती....!!!!*_




सुपर सुविचार





इस प्रकार, दिन बीत गए, रोस भी शाम को गिर गया,
एक व्यक्ति एक-एक करके मारा, जिम्मेदारी में वृद्धि हुई,
सपने बंद हो गए और चुपके, हाथ की रेखाएं जला दी गईं,
पैसे और स्थिति में खेलते हुए, साली जीवन फिसल गया,
अच्छा या सत्य होने की सजा,
मैं यह नहीं करना चाहता, मुझे एक उचित निर्देश मिला,
हमें रहना पड़ा, हमारे पास वह उम्र भी थी,
इस तरह दिन बीत गए और जीवन की शाम को भी गिर गया,









*परमात्मा कभी भाग्य नहीं लिखता, जीवन के हर कदम पर हमारी सोच, हमारे बोल एवं हमारे कर्म ही  हमारा भाग्य लिखते हैं...!*


     






               *बहुत शानदार बात लिखी*

          गाँव में *नीम* के पेड़ कम हो रहे है         
          घरों में *कड़वाहट* बढती जा रही है !

          जुबान में *मीठास* कम हो रही है,
          शरीर मे *शुगर* बढती जा रही है !

   किसी महा पुरुष ने सच ही कहा था की जब *किताबे* सड़क किनारे रख कर बिकेगी और *जूते* काँच के शोरूम में तब समझ जाना के लोगों को ज्ञान की नहीं जूते की जरुरत है।


    *"कद्र"* करनी है तो *"जीते जी"* करें
*"मरने"* के बाद तो *"पराए"* भी रो देते हैं
आज *"जिस्म"* मे *"जान"* है तो
        देखते नही हैं *"लोग"*
जब *"रूह"* निकल जाएगी तो
          *"कफन"* हटा हटा कर देखेंगे
*किसी ने क्या खूब लिखा है*
            *"वक़्त"* निकालकर
*"बाते"* कर लिया करो *"अपनों से"*
अगर *"अपने ही"* न रहेंगे
          तो *"वक़्त"* का क्या करोगे
*"गुरुर"* किस बात का... *"साहब"*
आज *"मिट्टी"* के ऊपर
          तो कल "मीट्टीकै नीचे.



         




यदि बजरी सड़क पर कंकड़ है, तो इसे एक अच्छा बूट पहनकर चलाया जा सकता है। लेकिन अगर अच्छे जूते में ढेर होता है, तो अच्छी सड़क पर थोड़ा मुश्किल चलना मुश्किल होता है।

तो - "हम बाहरी चुनौती पर हार नहीं पाते हैं, हम अपनी कमजोरियों को खो देते हैं"