*सोचने लायक बात*
मैं मैट्रो मे सफर कर रहा था। एक औरत किताब पढ़ रही थी सामने बैठा उसका छोटा बच्चा भी किताब पढ़ रहा था तभी मेरे बाजू में खडे एक सज्जन ने महिला से पूछा "आपने स्मार्ट्फ़ोन की जगह बच्चे के हाथ में किताब कैसे दे दी, जबकि आजकल बच्चों को हर समय स्मार्ट्फ़ोन मोबाइल चाहिए।" उस औरत का जवाब सुनकर मैं थोड़ी देर सोच में पड़ गया. उसका जवाब था...."बच्चे हमारी कहाँ सुनते है वो केवल हमारी नकल करते हैं..."
*— अज्ञात*
*स्त्री के जीवनचक्र का बिम्ब है*
*नवदुर्गा के नौ स्वरूप...*
1. जन्म ग्रहण करती हुई कन्या *"शैलपुत्री"* स्वरूप है।
2. कौमार्य अवस्था तक *"ब्रह्मचारिणी"* का रूप है।
3. विवाह से पूर्व तक चंद्रमा के समान निर्मल होने से वह *"चंद्रघंटा"* समान है।
4. नए जीव को जन्म देने के लिए गर्भ धारण करने पर वह *"कूष्मांडा"* स्वरूप है।
5. संतान को जन्म देने के बाद वही स्त्री *"स्कन्दमाता"* हो जाती है।
6. संयम व साधना को धारण करने वाली स्त्री *"कात्यायनी"* रूप है।
7. अपने संकल्प से पति की अकाल मृत्यु को भी जीत लेने से वह *"कालरात्रि"* है।
8. संसार (कुटुंब ही उसके लिए संसार है) का उपकार करने से *"महागौरी"* है।
9. धरती को छोड़कर स्वर्ग प्रयाण करने से पहले संसार में अपनी संतान को सिद्धि(समस्त सुख-संपदा) का आशीर्वाद देने वाली *"सिद्धिदात्री"* हो जाती है।
*ज्ञान के बाद यदि अहंकार का जन्म होता है*
*तो वो ज्ञान जहर है*
*और*
*ज्ञान के बाद नम्रता का जन्म होता है*
*तो यही ज्ञान अमृत होता है..*