रुलाना हर किसी को आता है,
हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो "पापा" है,
हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो "पापा" है,
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है।
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आज लाखो रुपये
बेकार है
वो एक रुपये के सामने
जो MAA स्कूल जाते वक्त देती थी
बेकार है
वो एक रुपये के सामने
जो MAA स्कूल जाते वक्त देती थी
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-माँ-
माँ एक ऐसा शब्द हैं,
जिसे सिर्फ़ बोलने से ही अपने हृदय में प्यार और ख़ुशी की लहर आ जाती हैं...
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"माँ" तू है, तो हम है...
"माँ" एक रिश्ता नहीं एक अहसास है,
भगवान मान लो या खुदा,
खुद वो माँ के रूप में हमारे आस पास है..
"माँ" एक रिश्ता नहीं एक अहसास है,
भगवान मान लो या खुदा,
खुद वो माँ के रूप में हमारे आस पास है..
मारी वन्दनीय माँ अने मारा तमाम मित्रो ना माँ ने मारा प्रणाम..
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माँ है तो लोरी है
शगुन है
माँ है तो गीत है
उत्सव है
माँ है तो मंदिर है
मोक्ष है
माँ है तो मुमकिन है शहंशाह होना,
माँ के आँचल से बड़ा
दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं
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I A S के साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया
यदि गर्दन नीची कर आपको खाने को कहा जाय
हर रोज अलग-अलग महिलाऐ बिना बोले आपको खाना परोसे..और ये पता लगाना हो कि आपकी मां ने किस दिन खाना परोसा तो...आपके पास क्या आधार है..?
" जिस दिन आधी रोटी मांगने पर भी,पूरी रोटी थाली में आ जाए तो समझ लूंगा
आज मां ने ही परोसा है ।"
आज मां ने ही परोसा है ।"
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प्रेम से जो देती है वो बहन है,
लड़ झगड़ के जो देता है वो भाई है,
पूछ कर जो देता है वो पिता है,
बिना मांगे जो सब कुछ दे दे, वो माँ है।