लाइन छोटी है पर मलतब बहुत बड़ा है..
उम्र भर उठाया बोझ उस ''खीली'' ने..
और लोग तारीफ़ ''तस्वीर'' की करते रहे..
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❛"मतलब की बात
सब समजते है,
सब समजते है,
"सही बात का मतलब
कोइ नहि समजता"
कोइ नहि समजता"
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कीसीकी तलाश मे मत नीकलो..
लोग खो नही - बदल जाते हे
छोटे थे तब सब नाम से बुलाते थे ,
बड़े हो गये तो बस काम से बुलाते हे..!!
लोग खो नही - बदल जाते हे
छोटे थे तब सब नाम से बुलाते थे ,
बड़े हो गये तो बस काम से बुलाते हे..!!
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सब फ़साने हैं दुनियादारी के,
किस से किस का सुकून लूटा है;
किस से किस का सुकून लूटा है;
सच तो ये है कि इस ज़माने में,
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।
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(1)
“मतलब” का वजन बहुत ज्यादा होता है,
तभी तो “मतलब” निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.
(2)
जब कोई दिल दुखाये तो बेहतर है चुप रहना चाहिये...
.
क्योंकि...
क्योंकि...
.
जिंन्हें हम जवाब नहीं देते.. उन्हें वक़्त जवाब देता हैं...
जिंन्हें हम जवाब नहीं देते.. उन्हें वक़्त जवाब देता हैं...
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कितने झूठे हो गये है हम.......
बचपन में अपनों से
भी रोज रुठते थे, आज दुश्मनों से भी
मुस्करा के मिलते है.!!
बचपन में अपनों से
भी रोज रुठते थे, आज दुश्मनों से भी
मुस्करा के मिलते है.!!