*सफलता क्या है ?? एकबार जरूर पढ़ें और शेर करे*

*सफलता क्या है ?? एकबार जरूर पढ़ें और शेर करे*

*4 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।*

*8 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने घर वापिस आने का रास्ता जानते है।*

*12 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने अच्छे मित्र बना सकते है।*

*18 वर्ष की उम्र में मदिरा और सिगरेट से दूर रह पाना सफलता है।*

*25 वर्ष की उम्र तक नौकरी पाना सफलता है।*

*30 वर्ष की उम्र में एक पारिवारिक व्यक्ति बन जाना सफलता है।*

*35 वर्ष की उम्र में आपने कुछ जमापूंजी बनाना सीख लिया ये सफलता है।*

*45 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपना युवावस्था बरकरार रख पाते हैं।*

*55 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपनी जिम्मेदारियाँ पूरी करने में सक्षम हैं।*

*65 वर्ष की आयु में सफलता है निरोगी रहना।*

*70 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप आत्मनिर्भर हैं किसी पर बोझ नहीं।*

*75 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आप अपने पुराने मित्रों से रिश्ता कायम रखे हैं।*

*80 वर्ष की उम्र में सफलता यह है कि आपको अपने घर वापिस आने का रास्ता पता है।*

*और 85  वर्ष की उम्र में फिर सफलता ये है कि आप अपने कपड़ों को गीला नहीं करते।*

अंततः यही तो जीवन चक्र है.. जो घूम फिर कर वापस वहीं आ जाता है जहाँ से उसकी शुरुआत हुई है और

*यही जीवन का परम सत्य है।*

संभाल कर रखिए अपने को

अनुभव कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."

*मेरा रब  कहता है !!*
*मत सोच रे बन्दे,*
*इतना ज़िन्दगी के बारे में !!*

*मैंने ये ज़िंदगी दी है तो,*
*कुछ सोचा होगा तेरे बारे मे !!*

*"अनुभव कहता है*
*खामोशियाँ ही बेहतर हैं,*
*शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."*

*जिंदगी गुजर गयी....*
*सबको खुश करने में ..*

*जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,*
*जो अपने थे वो कभी खुश नहीं* *हुए...*

*कितना भी समेट लो..*
*हाथों से फिसलता ज़रूर है..*

*ये वक्त है साहब..*
*बदलता ज़रूर है..*

*फूलों में भी कीड़े पाये*
*जाते हैं..,*
*पत्थरों में भी हीरे पाये*
*जाते हैं..,*
*बुराई को छोड़कर अच्छाई देखो यारों..,*
*नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!"*
*मैं आपके साथ हूँ ये मेरा भाग्य है*
*पर आप सब मेरे साथ हो ये मेरा परम सौभाग्य है...!!*

*अगर मुस्कुराहट के लिए*
*ईश्वर का शुक्रिया नहीं किया,*

*तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये*
*शिकायत का हक़ कैसा*...?

*चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चित्ता सामान।* 

*चिंता से चतुराई घटे,*                                                                                    *घटे रूप और ज्ञान।*  

*चिंता बड़ी अभागिनी,*                                                      *चिंता चित्ता सामान।* 

*तुलसी भरोसे राम के,*                                                               *निश्चिंत होय के सोय।* 

*अनहोनी होनी नहीं,*                                                               *होनी होय सो होय।*                                    





*अरीसो फरी आजे लांच लेता झडपायो...!!!*

*दिलमां दर्द हतुं तो पण चहेरो हसतो देखायो...!!!*

*लि - गुजरात नो शिक्षक*

"गुस्से में जो छोड़ जाये वो वापस आ सकता है, मुस्कुराकर छोड़कर जाने वाला कभी वापस नही आता.


*"गुस्से में जो छोड़ जाये वो वापस आ सकता है,*
*मुस्कुराकर छोड़कर जाने वाला कभी वापस नही आता.*

*"जरूर कोई तो लिखता होगा...*
*कागज और पत्थर का भी नसीब...*
*वरना ये मुमकिन नहीं की...*
*कोई पत्थर ठोकर खाये और कोई पत्थर भगवान बन जाये...*
*और...*

*कोई कागज रद्दी  और कोई कागज गीता बन जाये"...!*

आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है!

एक बार समुद्री तूफ़ान के बाद हजारों लाखों मछलियाँ किनारे पर रेत पर तड़प तड़प कर मर रहीँ थीं ! इस भयानक स्थिति को देखकर पास में रहने वाले एक 6 वर्ष के बच्चे से रहा नहीं गया, और वह एक एक मछली उठा कर समुद्र में वापस फेकनें लगा ! यह देख कर उसकी माँ बोली, बेटा लाखों की संख्या में है , तू कितनों की जान बचाएगा ,यह सुनकर बच्चे ने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, माँ फिर बोली बेटा रहनें दे कोई फ़र्क नहीं पड़ता !

बच्चा जोर जोर से रोने लगा और एक मछली को समुद्र में फेकतें हुए जोर से बोला माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता है" दूसरी मछली को उठाता और फिर बोलता माँ "इसको तो फ़र्क पड़ता हैं" ! माँ ने बच्चे को सीने से लगा लिया !

हो सके तो लोगों को हमेशा होंसला और उम्मीद देनें की कोशिश करो, न जानें कब आपकी वजह से किसी की जिन्दगी बदल जाए! क्योंकि आपको कोई फ़र्क नहीं पड़ता पर "उसको तो फ़र्क पड़ता है!





*यह कैसी बिडम्बना है कि मानव, मानव पर तो विश्वास कर रहा है पर जिस दयालु प्रभु ने मानव को जन्म दिया उस पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। ये शरीर, मन, बुद्धि, विचार, ऊर्जा देने वाले तो श्री हरि ही हैं।*

*आदमी सुबह जगता है घर के प्रत्येक सदस्य को " गुड मोर्निंग " बोलता है लेकिन जिस प्रभु के कारण गुड मोर्निंग कहने के लिए एक दिन और मिल गया, उसे बिलकुल भी स्मरण नहीं कर रहा। तुम जगत के रूठने का बिलकुल भी भय मत करो, प्रभु ना रूठें यह ध्यान रखो।*

*हांड- मांस के पुतलों का विस्मरण हो जाये कोई बात नहीं परमात्मा (Krishna) का विस्मरण ना हो। तुम लक्ष्मी के पीछे मत भागो , नारायण को पकड़ लोगे तो लक्ष्मी दौड़ी चली आएगी।*

*माया को हर कोई भजे,हरि को भजे ना कोय।*
*कह Das हरि को भजे माया चेरी(दासी)होय ।।*

   

जब तक हम किसी भी काम को करने की कोशिश नही करते है जब तक हमे वो काम नामुमकिन ही लगता है।*

*जलेबी सिर्फ मिठी ही नहीं*
*एक महत्वपूर्ण संदेश भी देती है,*
*खुद कितने भी उलझें रहो,*
*पर दुसरों को हमेशा मिठास दो*



*क्या खूब कहा हैं किसी ने*
*जिनके उपर जिम्मेदारीओ*
*का बोझ होता है,*
*उनको*
*"रुठने" और "टूटने" का*
*हक नही होता..!!*




*जब तक हम किसी भी*
*काम को करने की*
*कोशिश नही करते है*
*जब तक*
*हमे वो काम*
*नामुमकिन ही लगता है।*



बहुत दिन बाद पकड़ में आई...

थोड़ी सी खुशी...

तो पूछा ?


"कहाँ रहती हो आजकल.... ?

ज्यादा मिलती नहीं..?"


"यही तो हूँ" 

जवाब मिला।


बहुत भाव खाती हो खुशी ?..

कुछ सीखो

अपनी बहन से...

हर दूसरे दिन आती है 

हमसे मिलने..  "परेशानी"।


"आती तो मैं भी हूं... 

पर आप ध्यान नही देते"।


"अच्छा...? कहाँ थी तुम जब पड़ोसीने नई गाड़ी ली ?

और तब कहाँ थी जब रिश्तेदार ने बड़ा घर बनाया?"


शिकायत होंठो पे थी कि.....

उसने टोक दिया बीच में.

 

"मैं रहती हूँ..…

कभी आपकी बच्चे की किलकारियो में,


कभी रास्ते मे मिल जाती हूँ ..

एक दोस्त के रूप में,


कभी ...

एक अच्छी फिल्म देखने में, 


कभी... 

गुम कर मिली हुई किसी चीज़ में,


कभी... 

घरवालों की परवाह में,


कभी ...

मानसून की पहली बारिश में,


कभी... 

कोई गाना सुनने में,


दरअसल...

थोड़ा थोड़ा बाँट देती हूँ, 

खुद को

छोटे छोटे पलों में....


उनके अहसासों में।

      

लगता है चश्मे का नंबर बढ़ गया है आपका...!

सिर्फ बड़ी चीज़ो में ही ढूंढते हो मुझे.....!!! 

खैर...

अब तो पता मालूम हो गया ना मेरा...?

ढूंढ लेना मुझे आसानी से अब छोटी छोटी बातों में..."





* खुश रहने के दो तरीके हैं;

* आवश्यकताओं को कम करें * और * स्थिति * के साथ सहभागिता।

प्रशंसा से पिंघलना मत आलोचना से उबलना मत

*प्रशंसा से पिंघलना मत*

*आलोचना से उबलना मत*



*अंदाज कुछ अलग हैं,*

        *मेरे सोचने का.!!!*

*सबको मंजिल का शोक हैं.!!*

 *और मुझे सही रास्तों का.!!!*

 *लोग कहते हैं, पैसा रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा...*

*हम कहते है अच्छे लोगों के साथ रहो, बुरा वक्त ही नहीं आयेगा.*



*निस्वार्थ भाव से कर्म कर*      *क्योंकि*

           *इस धरा का*

           *इस धरा पर*             

      *सब धरा रह जाएगा*

*श्री कृष्ण ने बहुत बड़ी बात कही है,*

*ना जीत चाहिए,*

*ना हार चाहिए,*

*जीवन की सफलता के लिए केवल*

          *मित्र और परिवार* 

                  *चाहिए*

          





कैसा हो घर का वास्तु-  अटल जी की ज़ुबानी

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना .

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य  सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
उम्र की एेसी की तैसी