कोइ ए भगवान ने पूछयु के तमने सौथी वधारे कई व्यकित गमे,
भगवान ए जवाब आपयो - "ऐ व्यकित के जेनी पासे बदलो लेवानी ताकात होय छतां पण ऐ माफ करी दे".
आज कल जहाँ भी लिखा होता है
"आप कैमरे की नज़र में है"
पढने के साथ ही व्यक्ति सतर्क हो जाता है,और यथासंभव ग़लत काम करने से परहेज़ करता है। जबकि ये इंसान द्वारा निर्मित उपकरण मात्र है।
"आप कैमरे की नज़र में है"
पढने के साथ ही व्यक्ति सतर्क हो जाता है,और यथासंभव ग़लत काम करने से परहेज़ करता है। जबकि ये इंसान द्वारा निर्मित उपकरण मात्र है।
कितना मूर्ख है इंसान कि भूल जाता है कि हम हर समय भगवान
की नज़र में हैं, और वहाँ की नज़र न ख़राब होती है, न बंद होती है, न किसी के नियंत्रण मे होती है, यानी बचने की कोई संभावना नहीं है
ध्यान रहे आप भगवान की नज़र में है कैमरे की नही.
की नज़र में हैं, और वहाँ की नज़र न ख़राब होती है, न बंद होती है, न किसी के नियंत्रण मे होती है, यानी बचने की कोई संभावना नहीं है
ध्यान रहे आप भगवान की नज़र में है कैमरे की नही.
दरिया ने झरने से पूछा
तुझे समन्दर नहीं बनना है क्या..?
झरने ने बड़ी नम्रता से कहा
बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
बड़ा बनकर खारा हो जाने से अच्छा है
छोटा रह कर मीठा ही रहूँ
जिस दिन आपको लगे के...
पूरी दुनिया आपके सामने आपके खिलाफ खडी हे।
उस समय दुनिया के तरफ पीठ घुमाओ और एक सेल्फ़ि निकालो पूरी दुनिया आपके साथ होंगी।
पूरी दुनिया आपके सामने आपके खिलाफ खडी हे।
उस समय दुनिया के तरफ पीठ घुमाओ और एक सेल्फ़ि निकालो पूरी दुनिया आपके साथ होंगी।
जिंदगी मे हमेशा सबकी
"कमी" बनो,
पर कभी किसी
की "जरुरत" नहीं......
क्यूंकि जरुरतें तो हर कोई
पूरी कर सकते हैं,
पर किसी की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता..
(1) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि
उठते वक्त सहारा लेना पड़े!
.
(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा
मुश्किल है !
.
(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि
गरीब होने में वक्त नहीं लगता !
.
(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी
मत करो !
.
(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या
थे, बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
.
6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
.
(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों
से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से
भरी हो !
.
(8) आजकल लोग समझते 'कम' और समझाते
'ज्यादा' हैं,
तभी तो मामले सुलझते 'कम' उलझते 'ज्यादा'
हैं!
.
(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
.
(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी
में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल
की सवारी में नज़र आई !!
"कमी" बनो,
पर कभी किसी
की "जरुरत" नहीं......
क्यूंकि जरुरतें तो हर कोई
पूरी कर सकते हैं,
पर किसी की कमी कोई पूरी नहीं कर सकता..
(1) लोगों से मिलते वक्त इतना मत झुको, कि
उठते वक्त सहारा लेना पड़े!
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(2) ज़ुबान की हिफाज़त, दौलत से ज्यादा
मुश्किल है !
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(3) गरीबों का मज़ाक मत उड़ाओ, क्युँकि
गरीब होने में वक्त नहीं लगता !
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(4) अगर इबादत नहीं कर सकते, तो गुनाह भी
मत करो !
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(5) दुनिया ये नहीं देखती कि तुम पहले क्या
थे, बल्कि ये देखती है कि तुम अब क्या हो !
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6) जहां अपनी बात की कदर ना हो, वहां चुप
रहना ही बेहतर है !
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(7) धनवान वह नहीं, जिसकी तिजोरी नोटों
से भरी हो ,
धनवान तो वो हैं जिसकी तिजोरी रिश्तों से
भरी हो !
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(8) आजकल लोग समझते 'कम' और समझाते
'ज्यादा' हैं,
तभी तो मामले सुलझते 'कम' उलझते 'ज्यादा'
हैं!
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(9) शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता!
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(10) न सफारी में नज़र आई और न ही फरारी
में नज़र आई;
जो खुशिया बचपन मै दोस्तों के साथ साईकिल
की सवारी में नज़र आई !!