दुनियां से बात करने के लिये फोन की जरूरत होती है ! और प्रभु से बात करने के लिये मौन की जरूरत होती है।


दुनियां से बात करने के लिये फोन की जरूरत होती है !
और प्रभु से बात करने के लिये मौन की जरूरत होती है।
फोन से बात करने पर बिल देना पड़ता है,
और ईश्वर से बात करने पर दिल देना पड़ता है।
"माया" को चाहने वाला, "बिखर" जाता है.
भगवान को चाहने वाला, "निखर" जाता है..
         क्यों भरोसा करते हो
                  गैरो पर....
          जबकि तुम्हें चलना है
              खुद के पैरो पर...


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सारा जहाँ उसी का है
      जो मुस्कुराना जानता है
रोशनी भी उसी की है
      जो शमा जलाना जानता है
हर जगह मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे है।
      लेकिन ईश्वर तो उसी का है
जो "सर"  झुकाना जानता है।


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तू इस कदर इन्सान को इतना बेबस ना बना मेरे खुदा…!!!
की तेरा बन्दा तुजसे पहले किसी और के आगे झुक जाये…..!!!



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जींदगी वन-डे मैच
की तरह है ।
जिस मे रन तो बढ़ रहे है ।
पर ओवर घट रहे हैं।
मतलब धन तो बढ़ रहा है ।
पर उम्र घट रही है ।
इसलिए हर दिन कुछ न कुछ पूण्य के
चौके छक्के  लगाये
ताकि ऊपर बेठा एम्पायर हमें
मोक्ष की ट्रॉफी दे ....



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आज कोनसे अच्छे कपडे पेहनू,
                जिस्से में आज अच्छा दिखूं,
             'ये हर रोज हम सोचते हे'
मगर आज कोनसा अच्छा विचार लेके  चलु,
     जिस्से में भगवान को अच्छा लगु,
          'ये हर रोज कोई नहीं सोचता'..




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अच्छे लोगो की भगवान परीक्षा लेता है पर साथ कभी नहीं छोड़ता....
और बुरे लोगो को भगवान बहुत कुछ देता है मगर साथ नही देता......


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आज कल जहाँ भी जाए वहाँ लिखा होता है.... 
"आप कैमरे की नज़र में है"
पढने के साथ ही व्यक्ति सतर्क हो जाता है,और यथासंभव ग़लत काम करने से परहेज़ करता है। जबकि ये इंसान द्वारा निर्मित उपकरण मात्र है।
     कितना मूर्ख है इंसान कि भूल जाता है कि हम हर समय भगवान की नज़र में हैं, और वहाँ की नज़र न ख़राब होती है, न बंद होती है, न किसी के नियंत्रण मे होती है, यानी बचने की कोई संभावना नहीं है
   ध्यान रहे आप भगवान की नज़र में है कैमरे की नही l



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एक मूर्ति बेचने वाले गरीब कलाकार के लिए...किसी ने क्या खूब लिखा है....
""गरीबो के बच्चे भी खाना खा सके त्योहारों में, तभी तो भगवान खुद बिक जाते है बाजारों में..!