सत्य को कहने के लिए,
किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।
नदियों को बहने के लिए,
किसी पथ की जरूरत नहीं होती।
जो बढ़ते हैं जमाने में,
अपने मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
किसी रथ की जरूरत नहीं होती।
किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।
नदियों को बहने के लिए,
किसी पथ की जरूरत नहीं होती।
जो बढ़ते हैं जमाने में,
अपने मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
किसी रथ की जरूरत नहीं होती।
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ज्यादातर लोगों का ये स्वभाव होता है,
कि लोगो में विशेषता से पहले कमजोरी नजर आती है, अतः
हमें एक बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए,
कि हम तभी लोगों को उनकी बुराई दिखाऐंगे,
जब हम खुद समस्त बुराईयों से निर्लिप्त हो जायें !!
एक मेढक पेड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता है
बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं "ये असंभव है.. आज तक कोई नहीं चढ़ा.. ये असंभव है.. नहीं चढ़ पाओगे"
मगर मेंढक आख़िर पेड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है.. जानते हैं क्यूँ?
क्योंकि वो मेंढक "बहरा" होता है.. और सारे मेंढकों को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं
इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति "बहरे" हो जाइऐ.
बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं "ये असंभव है.. आज तक कोई नहीं चढ़ा.. ये असंभव है.. नहीं चढ़ पाओगे"
मगर मेंढक आख़िर पेड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है.. जानते हैं क्यूँ?
क्योंकि वो मेंढक "बहरा" होता है.. और सारे मेंढकों को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं
इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति "बहरे" हो जाइऐ.
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हो सकता है हर दिन अच्छा ना हो ,
लेकिन हर दिने में कुछ न कुछ अच्छा होता है।
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बदला लेने में क्या मजा है ,
मजा तो तब है जब आप सामने वाले को बदल डालें.
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मच्छर का बच्चा पहली बार
उड़ा... जब वापिस आया तो
बाप ने पूछा: "कैसा लगा उड़कर?"
उड़ा... जब वापिस आया तो
बाप ने पूछा: "कैसा लगा उड़कर?"
मच्छर का बच्चा बोला:
"बहुत अच्छा... जहाँ भी गया,
लोग तालियाँ बजा
रहे थे"
"बहुत अच्छा... जहाँ भी गया,
लोग तालियाँ बजा
रहे थे"
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