अंकोनी व्याख्या पण केवी विचित्र कहेवाय

अंकोनी व्याख्या पण केवी विचित्र कहेवाय


दरेक स्पर्धा मा दरेक नु मूल्यांकन अलग अलग होइ शके

स्पष्ट इमेज जोवा माटे आ लिंक गूगल क्रोम ब्राउजर मा ओपन करी इमेज पर क्लिक करो



सुविचार

*इन्सान* " *इस एक कारण से* *अकेला हो जाता है*,  " *अपनो" को छोडने की सलाह*  " *गैरों" से लेता है*


" *इन्सान* " *इस एक कारण से*

*अकेला हो जाता है*, 


" *अपनो" को छोडने की सलाह* 

" *गैरों" से लेता है*

    


______________________


*जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि*

     *सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ*

       *उसकी सोच हमसे अलग है*

             *उस दिन जीवन से* 

        *दुःख समाप्त हो जायेंगे*


*"बड़प्पन" वह गुण है जो पद से नहीं*

*"संस्कारों" से प्राप्त होता है।*


______________________

       

सुविचार





 वांचवा माटे

*"सफलता" भी फीकी लगती है, यदि कोई "बधाई देने वाला" नहीं हो।*

*विचार पुष्प*

*पेड़ के नीचे रखी भगवान की टूटी मूर्ति को देख कर समझ आया,*
*कि..*
*परिस्थिति चाहे कैसी भी हो,*
*पर कभी ख़ुद को*
*टूटने नही देना..*
*वर्ना ये दुनिया*
*जब टूटने पर भगवान को*
*घर से निकाल सकती है*
*तो फिर हमारी तो*
*औकात ही क्या है ...


   

*"सफलता" भी फीकी लगती है, यदि कोई "बधाई देने वाला" नहीं हो।*
*और "विफलता" भी सुन्दर लगती है, जब आपके साथ "कोई अपना खड़ा" हो।*

*आप पानी जैसे बनो, जो अपना रास्ता खुद बनाता है।*
*पत्थर जैसे ना बनो जो, दूसरों का रास्ता भी रोक लेता है।*
            

_*किसी को अपना बनाओ*_
_*तो “दिल” से बनाओ….*_
_*“जुबान” से नहीं ।*_

_*और किसी पर गुस्सा करो*_
_*तो “जुबान” से करो…..*_
_*“दिल” से नही*_

_*क्योंकि सुई में वही धागा प्रवेश कर सकता है जिस धागे में कोई गांठ नहीं हो ,*_

*रावण बनना भी कहां आसान...*

रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था

रावण में वासना थी
तो संयम भी था

रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था

सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी
पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी

राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था...!!

महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....
*"तुम में से कोई राम है क्या ❓"*

*प्रेम एटले शु* *प्रेम नथी सुंदरता निहालतु, प्रेम नथी कदी कद्रूरुपु निहालतु,*

*प्रेम एटले शु*

*प्रेम नथी सुंदरता निहालतु, प्रेम नथी कदी कद्रूरुपु निहालतु,*

*प्रेम नथी कदावर के पतला नथी निहालतु,*                    

*प्रेम नथी कदी नाती जाती नथी निहालतु,*     

            

*प्रेम नथी कदी धनवान के निर्धन निहालतु,*

*प्रेम को ना दिखे रात के दिन,*

*प्रेंम को ना दिखे किसी व्यवस्थित ना दिखे अवयस्थित,*                   

   *प्रेम तो बस आखिर प्रेम ही नाम है इसे दूसरा कोई नाम बदलने की कोशिश ना कीजिये.*

*"भूख ना जाने भावतु,*
*प्रीत ना जाने जात,*
*ऊंघ ना जाने उकरदो,*
*जया सुता त्या ज रात"........*

*सभीका जीवन प्रेममय रहे*

_______________________

*इन्सान* " *इस एक कारण से*

*अकेला हो जाता है*, 

" *अपनो" को छोडने की सलाह* 

" *गैरों" से लेता है*

*साधु किसे कहते हैं ? एक बार जरूर पढे*

*साधु किसे कहते हैं ?*

*तरुण सागर जी महाराज*
             *------*

*    जिसके पैरों में जूता नहीं
      सिर पर छाता नहीं
      बैंक  में खाता नहीं
      परिवार से नाता नहीं
      *उसे कहते हैं  साधु ।*

*     जिसके तन पे कपड़ा नहीं
       वचन में लफड़ा नहीं
       मन में झगड़ा नहीं
       *उसे कहते हैं साधु ।*

*      जिसका कोई घर नहीं
        किसी बात का डर नहीं
        दुनिया का असर नहीं
        *उसे कहते हैं  साधु ।*

*      जिसके पास बीवी नहीं
        साथ टीवी नहीं
        अमीरी-ग़रीबी नहीं
        नाश्ते में जलेबी नहीं
        *उसे कहते हैं साधु ।*

*       जो कच्चा पानी छूता नहीं
         बिस्तर पर सोता नहीं
         होटल में खाता नहीं
         *उसे कहते हैं साधु ।*

*        जिसे नाई की ज़रूरत नहीं
          जिसे तेली की ज़रूरत नहीं
          जिसे सुनार  की ज़रूरत नहीं
          जिसे लुहार  की ज़रूरत नहीं
          जिसे दर्ज़ी  की ज़रूरत नहीं
          जिसे व्यापार  की ज़रूरत नहीं
          जिसे  धोबी की ज़रूरत नहीं
          फिर भी सबको है धोता
          *उसे कहते है  साधु ।*

*साधु किसे कहते हैं ?  एक बार जरूर पढे*

पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि .."चार लोग क्या कहेंगे", और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *"राम नाम सत्य है"*

         *अंधे को मंदिर आया देखकर*
              *लोग हंसकर बोले की,*
       *मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो*
      *पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?*
           *अंधे ने मुस्कुरा के कहा की,*
       *क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान्*
                  *तो मुझे देख लेगा.*
  *द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सही होना चाहिए !!*
______________________
*इंसानियत इन्सान को*
     *इंसान बना देती है ,*
*लगन हर मुश्किल को*
      *आसान बना देती है ।*
*लोग यूँ ही नहीं  जाते*
       *मंदिरों में पूजा करने*
*आस्था ही तो पत्थर को*
        *भगवान बना देती है ।*
______________________
*"कठोर किंतु सत्य"*
*1-* माचिस किसी दूसरी चीज
को जलाने से पहले खुद
को जलाती हैं..!
*गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..!
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है...
*2-* आज का कठोर व कङवा सत्य !!
चार *रिश्तेदार* एक दिशा में
तब ही चलते हैं ,
जब पांचवा कंधे पर हो...
*3-* कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए
मगर,
नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए,
इसी प्रकार...
जिन्दगी में *बुरा समय* आ जाये
तो...
पैसों का उपयोग करना चाहिए
मगर...
पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए...
*4-* रिश्तों की बगिया में एक *रिश्ता* नीम के पेड़ जैसा भी रखना,
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर
तकलीफ में मरहम भी बनता है...
*5-* *परिवर्तन* से डरना और *संघर्ष* से कतराना,
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है...
*6-* जीवन का सबसे बड़ा गुरु *वक्त* होता है,
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता...
*7-* बहुत ही सुन्दर वर्णन है-
*मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....*अभिमान मर जाएगा
*आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए.....*पत्थर दिल पिघल जाएगा
*दांतों को आराम देकर देखिए.........*स्वास्थ्य सुधर जाएगा
*जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए.....*क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा
*इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए......*खुशियों का संसार नज़र आएगा...
*8-* पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि .."चार लोग क्या कहेंगे",
और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *"राम नाम सत्य है"*
______________________
*कश्तिया उन्ही की डूबती है ..*
*जिनके ईमान डगमगाते हैं !!*
*जिनके दिल में नेकी होती है ..*
*उनके आगे मंजिले भी सर झुकाती है !!*
*इंसान अपना वो चेहरा तो*
     *खूब सजाता है जिस पर*
     *लोगों की नज़र होती है*
    *मगर आत्मा को सजाने की*
    *कोशिश कोई नही करता*
*जिस पर परमात्मा की नजर होती है।*
 
______________________
        *"जहाँ प्रयत्नों की उंचाई"*
           *"अधिक होती हैं"*
        *"वहाँ नसीबो को भी"*
           *"झुकना पड़ता हैं"*
               *  "*
           *परिवर्तन से डरना*
       *और संघर्ष से कतराना,*
        *मनुष्य की सबसे बड़ी*
               *कायरता है !*
      *जीवन का सबसे बड़ा गुरु*
               *वक्त होता है,*
     *क्योंकि जो वक्त सिखाता है*
     *वो कोई नहीं सीखा सकता !*
______________________
*"शब्द" मुफ्त में मिलते हैं।*
*लेकिन*
*उनके चयन पर "निर्भर" करता है, कि उनकी*
*"कीमत" "मिलेगी" या "चुकानी" पड़ेगी .....ll*
*सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती है।*
*अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते है।*
______________________
*मुस्कुराहट कहाँ से आती है ,*
*मुझे नहीं पता !*
*पर जहाँ भी होती है , वहाँ ,*
*ये दुनिया.....और भी..*
*खूबसूरत होने लगती है*
______________________
                                         
        _*जमीन अच्छी है*_    
               _*खाद अच्छा हो*_      
            _*परंतु 'पानी' अगर*_     
                  _*'खारा' हो तो*_    
             _*फूल खिलते नहीं ।*_  
        _*भाव अच्छे हो*_      
          _*कर्म भी अच्छे हो*_      
    _*मगर 'वाणी' खराब हो तो*_    
  _*सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।*_ 
    
______________________
   _*मन ऐसा रखो कि*_
        _*किसी को बुरा न लगे।*_
_*दिल ऐसा रखो कि*_
       _*किसी को दुःखी न करें।*_
_*रिश्ता ऐसा रखो कि*_
       _*उसका अंत न हो*_
______________________
_*कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नही आता.. हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगो को मित्र और शत्रु बनाते है..*_
______________________

दिल से सोचना हमने जीवन मे क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया


एक बार एक संत ने अपने दो
     भक्तों को बुलाया और कहा आप
     को यहाँ से पचास कोस जाना है।
एक भक्त को एक बोरी खाने के
     समान से भर कर दी और कहा जो
     लायक मिले उसे देते जाना
और एक को ख़ाली बोरी दी उससे
      कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले
      उसे बोरी मे भर कर ले जाए।
दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर
     समान था वो धीरे चल पा रहा था
ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से
      जा रहा था
थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट
     मिली उसने उसे बोरी मे डाल
     लिया
थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे
     भी उठा लिया
जैसे जैसे चलता गया उसे सोना
     मिलता गया और वो बोरी मे भरता
     हुआ चल रहा था
और बोरी का वज़न। बड़ता गया
      उसका चलना मुश्किल होता गया
     और साँस भी चढ़ने लग गई
एक एक क़दम मुश्किल होता
     गया ।
दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया
     रास्ते मै जो भी मिलता उसको
     बोरी मे से खाने का कुछ समान
     देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न
     कम होता गया
और उसका चलना आसान होता
     गया।
जो बाँटता गया उसका मंज़िल
     तक पहुँचना आसान होता गया
जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे
     ही दम तोड़ गया
दिल से सोचना हमने जीवन मे
     क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया
     हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।

जिन्दगी का कडवा सच...
आप को 60 साल की उम्र के बाद
     कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का
     बैंक बैलेन्स कितना है या आप के
     पास कितनी गाड़ियाँ हैं....?

दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे ...
     1-आप का स्वास्थ्य कैसा है.....?
         और
     2-आप के बच्चे क्या करते हैं....?

*किसी और का भेजा हुआ यह मैसेज*
    आपको भी अच्छा लगे तो
         ओरो को भी भेजें

क्या पता किसी की कुछ सोच
     बदल जाये।

प्यार बाटते रहो यही विनती है।