पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि .."चार लोग क्या कहेंगे", और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *"राम नाम सत्य है"*

         *अंधे को मंदिर आया देखकर*
              *लोग हंसकर बोले की,*
       *मंदिर में दर्शन के लिए आये तो हो*
      *पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?*
           *अंधे ने मुस्कुरा के कहा की,*
       *क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान्*
                  *तो मुझे देख लेगा.*
  *द्रष्टि नहीं द्रष्टिकोण सही होना चाहिए !!*
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*इंसानियत इन्सान को*
     *इंसान बना देती है ,*
*लगन हर मुश्किल को*
      *आसान बना देती है ।*
*लोग यूँ ही नहीं  जाते*
       *मंदिरों में पूजा करने*
*आस्था ही तो पत्थर को*
        *भगवान बना देती है ।*
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*"कठोर किंतु सत्य"*
*1-* माचिस किसी दूसरी चीज
को जलाने से पहले खुद
को जलाती हैं..!
*गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..!
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है...
*2-* आज का कठोर व कङवा सत्य !!
चार *रिश्तेदार* एक दिशा में
तब ही चलते हैं ,
जब पांचवा कंधे पर हो...
*3-* कीचड़ में पैर फंस जाये तो नल के पास जाना चाहिए
मगर,
नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए,
इसी प्रकार...
जिन्दगी में *बुरा समय* आ जाये
तो...
पैसों का उपयोग करना चाहिए
मगर...
पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए...
*4-* रिश्तों की बगिया में एक *रिश्ता* नीम के पेड़ जैसा भी रखना,
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर
तकलीफ में मरहम भी बनता है...
*5-* *परिवर्तन* से डरना और *संघर्ष* से कतराना,
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है...
*6-* जीवन का सबसे बड़ा गुरु *वक्त* होता है,
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता...
*7-* बहुत ही सुन्दर वर्णन है-
*मस्तक को थोड़ा झुकाकर देखिए....*अभिमान मर जाएगा
*आँखें को थोड़ा भिगा कर देखिए.....*पत्थर दिल पिघल जाएगा
*दांतों को आराम देकर देखिए.........*स्वास्थ्य सुधर जाएगा
*जिव्हा पर विराम लगा कर देखिए.....*क्लेश का कारवाँ गुज़र जाएगा
*इच्छाओं को थोड़ा घटाकर देखिए......*खुशियों का संसार नज़र आएगा...
*8-* पूरी *जिंदगी* हम इसी बात में गुजार देते हैं कि .."चार लोग क्या कहेंगे",
और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *"राम नाम सत्य है"*
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*कश्तिया उन्ही की डूबती है ..*
*जिनके ईमान डगमगाते हैं !!*
*जिनके दिल में नेकी होती है ..*
*उनके आगे मंजिले भी सर झुकाती है !!*
*इंसान अपना वो चेहरा तो*
     *खूब सजाता है जिस पर*
     *लोगों की नज़र होती है*
    *मगर आत्मा को सजाने की*
    *कोशिश कोई नही करता*
*जिस पर परमात्मा की नजर होती है।*
 
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        *"जहाँ प्रयत्नों की उंचाई"*
           *"अधिक होती हैं"*
        *"वहाँ नसीबो को भी"*
           *"झुकना पड़ता हैं"*
               *  "*
           *परिवर्तन से डरना*
       *और संघर्ष से कतराना,*
        *मनुष्य की सबसे बड़ी*
               *कायरता है !*
      *जीवन का सबसे बड़ा गुरु*
               *वक्त होता है,*
     *क्योंकि जो वक्त सिखाता है*
     *वो कोई नहीं सीखा सकता !*
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*"शब्द" मुफ्त में मिलते हैं।*
*लेकिन*
*उनके चयन पर "निर्भर" करता है, कि उनकी*
*"कीमत" "मिलेगी" या "चुकानी" पड़ेगी .....ll*
*सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती है।*
*अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते है।*
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*मुस्कुराहट कहाँ से आती है ,*
*मुझे नहीं पता !*
*पर जहाँ भी होती है , वहाँ ,*
*ये दुनिया.....और भी..*
*खूबसूरत होने लगती है*
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        _*जमीन अच्छी है*_    
               _*खाद अच्छा हो*_      
            _*परंतु 'पानी' अगर*_     
                  _*'खारा' हो तो*_    
             _*फूल खिलते नहीं ।*_  
        _*भाव अच्छे हो*_      
          _*कर्म भी अच्छे हो*_      
    _*मगर 'वाणी' खराब हो तो*_    
  _*सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।*_ 
    
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   _*मन ऐसा रखो कि*_
        _*किसी को बुरा न लगे।*_
_*दिल ऐसा रखो कि*_
       _*किसी को दुःखी न करें।*_
_*रिश्ता ऐसा रखो कि*_
       _*उसका अंत न हो*_
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_*कोई भी व्यक्ति हमारा मित्र या शत्रु बनकर संसार में नही आता.. हमारा व्यवहार और शब्द ही लोगो को मित्र और शत्रु बनाते है..*_
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