स्वभाव सुविचार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
स्वभाव सुविचार लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

आदतें सुधार लिया जाए तो स्वभाव अपने आप सुधर जाएगा.

एक कहावत है कि आदतें आपका स्वभाव बनाती हैं। सुधार लिया जाए तो स्वभाव अपने आप सुधर जाएगा। जैसे कि आपको आइसक्रीम, मिठाई, शराब, चाट-पकौड़ी खाना, पिक्चर देखना इनमें से या अन्य कोई आदत है तो जब भी जहां भी मौका मिलेगा आपका झुकाव तुरन्त उस तरफ जाएगा और आदत पूजा पाठ करने, मंदिर मस्जिद जाने, नमाज पढऩे, इबादत करने की बनी हुई है। बड़़ों को इज्जत देने, उनसे अच्छा व्यवहार करने की आदत है तो आपका स्वभाव हमेशा आपको प्रेरित करेगा। आदत बात-बात में अपशब्दों को बोलने की है तो मौका, परिस्थिति देखें बगैर आपके मुख से अनचाहे अपशब्द निकल ही जाएंगे। इसलिए बुजुर्ग कहते हैं कि हमें अच्छी आदतें डालनी चाहिए वे हमारा स्वभाव बन जाएंगी।
छोटे बच्चे को माता पहले किसी भी काम या व्यवहार की आदत डालती है। धीरे-धीरे वह आदत उसमें इतनी रच बस जाती है कि वह स्वभाव बन जाती है। बच्चे को बार-बार याद नहीं दिलाना पड़ता कि यह करो, यह मत करो। वह स्वभाव वश वही करेगा जो उसे करना चाहिए। नेताओं की आदत होती है आश्वासन देने की तो हर मौके पर आश्वासन ही देते रहते हैं कभी बेमौके भी। जैसे कि एक नेता को उद्घाटन की फीता काटने की आदत सी थी। एक बार दूल्हा-दुल्हन का आशीर्वाद देने उन्हें बुलाया गया। उनके पास कैंची हमेशा रहती थी सो उन्होंने आदत स्वभाव वश दूल्हा-दुल्हन के गठजोड़े के बंधन को कैंची से काट दिया। बाद में उनकी समझ में आया तो बहुत शर्मिंदा हुए। बगलें झांकने लगे। हमारी दिनचर्या आदतों से चलती है फिर स्वभाव बन जाती है। कभी-कभी हम वह काम यंत्रवत से करते हैं। जैसे हम कोई मशीन हों। तो आइए हम कुछ अच्छी आदतों के बारे में सोचें। जैसे बड़ों का सम्मान करना, व्यायाम, मधुरवाणी का प्रयोग, संतुलित भोजन, स्वच्छता, सत्य बोलना जब तक कि झूठ बोलना किसी के हित में या सार्वजनिक हित में न हो। ईमानदारी, जवाबदारी, सतर्कता, सेवा, परहित के काम आदि ऐसे काम हैं जिन्हें हम अपनी आदतों में शुमार कर लें तो स्वहित और परहित का काम होगा। थोड़ा सा सकारात्मक चिन्तन और उस पर चलने से सब हो जाता है। हम कुछ करते हैं अपनी इच्छा अनुसार या चाहते हैं कि ऐसा हो पर होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है इसलिए कहा गया है कि इंसान चाहे तो क्या होता है, होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है तो क्यों न अपनी इच्छाओं को ईश्वर पर छोड़ दें जो ठीक समझेंगे करेंगे और फिर हमें स्वीकार करना आना चाहिए। स्वीकार भाव से जीना इसे ही कहते हैं। हमारे चाहने और होने में हमेशा संघर्ष चलता है पर हम सिर्फ चाह सकते हैं फल भगवान के हाथ में है इसलिए कहा गया है इंसान को सिर्फ कर्म करना चाहिए वह भी सत्कर्म, फल भगवान के हाथ में छोड़ दो। वह देगा और जो देगा उचित ही देगा।
आज हमारे जीवन में इतनी विसंगतियां क्यों हैं? क्योंकि हम चाहते कुछ हैं बोलते कुछ हैं करते कुछ हैं कोई सामन्जस्य नहीं है तीनों में। यदि हम सही चाह रखें तो आगे सब ठीक होगा। पर हम अपनी इच्छाओं के घोड़ों को दौड़ाते रहते हैं बिना लक्ष्य के और जब वे पूरी नहीं होती तो निराश हो जाते हैं इसलिए मेरा सुझाव है कि सही सोच सही आदतें विकसित करें फिर यह हमारा स्वभाव हो जाएगा सही फल मिलेगा। यही मेरा संदेश है।
के.एल. बानी
वास्तुविद्

*अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !*

शख्सियत अच्छी होगी !
तभी दुश्मन बनेगे ,
वरना बुरे की तरफ , देखता ही कौन हैं !!
पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ,
देखा है किसी को सूखे पेड पर पत्थर फेंकते हुए.

_______________________


*पहाड चढने वाला व्यक्ती झुककर चलता है और ऊतरने वाला कडक चलता है |*
*कोई अगर इंसान झुककर चल रहा है मतलब ऊँचाई पर जा रहा है इंसान अकड कर चल रहा है, मतलब नीचे जा रहा है 


_______________________



|रिश्ते और बर्फ के गोले 
एक समान ही होते हैं...
जिसे बनाना तो आसान होता है
लेकिन बनाए रखना
बहुत मुश्किल होता हैं
दोनो को बचाए रखने का
बस एक ही तरीका है...
...शीतलता बनाए रखिऐ.


_______________________

लोहा नरम होकर औजार बन जाता है,
सोना नरम होकर जेवर बन जाता है !
मिट्टी नरम होकर खेत बन जाती है, 
आटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है !
ठीक इसी तरह अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !
सदैव बेहतर की उम्मीद करे ! 



_______________________

किसी के सरल स्वभाव को  कमज़ोरी न समझो,
संसार में पानी से अधिक सरल कुछ भी नहीं,
मगर उसका तेज़ बहाव बड़ी से बड़ी चट्टान को चूर चूर कर डालता है।

_______________________

जहाँ तुम हो,
          वहाँ तुम्हें सब प्यार करें
जहाँ से तुम चले जाओ,
           वहाँ तुम्हें सब याद करें
जहाँ तुम पहुँचने वाले हो,
           वहाँ सब तुम्हारा इंतजार करे


_______________________

"भाग्य" के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,
"कर्मो" का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!
परिस्थितिया जब विपरीत होती है,
तब "प्रभाव और पैसा" नहीं
"स्वभाव और सम्बंध" काम आते है ॥


_______________________

"स्वभाव" रखना है तो उस "दीपक" की तरह रखो. , जो "बादशाह" के महल में भी उतनी "रोशनी" देता है,
जितनी किसी "गरीब" की "झोपड़ी" में_।।

  
 _______________________


​​कोयल​ अपनी भाषा बोलती है,​
        ​इसलिये  ​आज़ाद​ रहती हैं.​
  ​किंतु  ​तोता​ दूसरे कि भाषा बोलता है,​
      ​इसलिए पिंजरे में जीवन भर​
                 ​​गुलाम​ रहता है.​
​अपनी ​भाषा,​​
        ​अपने ​विचार​ और​
               _​"अपने आप"​ पर विश्वास करें..!