*लोग हंसकर बोले की,*
*पर क्या भगवान् को देख पाओगे ?*
*क्या फर्क पड़ता है, मेरा भगवान्*
*तो मुझे देख लेगा.*
*इंसान बना देती है ,*
*लगन हर मुश्किल को*
*आसान बना देती है ।*
*लोग यूँ ही नहीं जाते*
*मंदिरों में पूजा करने*
*आस्था ही तो पत्थर को*
*भगवान बना देती है ।*
को जलाने से पहले खुद
को जलाती हैं..!
यह दुसरो को बरबाद करने से पहले
खुद को बरबाद करता है...
चार *रिश्तेदार* एक दिशा में
तब ही चलते हैं ,
जब पांचवा कंधे पर हो...
मगर,
नल को देखकर कीचड़ में नही जाना चाहिए,
इसी प्रकार...
जिन्दगी में *बुरा समय* आ जाये
तो...
पैसों का उपयोग करना चाहिए
मगर...
पैसों को देखकर बुरे रास्ते पर नही जाना चाहिए...
जो सीख भले ही कड़वी देता हो पर
तकलीफ में मरहम भी बनता है...
मनुष्य की सबसे बड़ी कायरता है...
क्योंकि जो वक्त सिखाता है वो कोई नहीं सीखा सकता...
और अंत में चार लोग बस यही कहते हैं कि *"राम नाम सत्य है"*
*जिनके ईमान डगमगाते हैं !!*
*जिनके दिल में नेकी होती है ..*
*उनके आगे मंजिले भी सर झुकाती है !!*
*खूब सजाता है जिस पर*
*लोगों की नज़र होती है*
*मगर आत्मा को सजाने की*
*कोशिश कोई नही करता*
*जिस पर परमात्मा की नजर होती है।*
*"अधिक होती हैं"*
*"वहाँ नसीबो को भी"*
*"झुकना पड़ता हैं"*
* "*
*परिवर्तन से डरना*
*और संघर्ष से कतराना,*
*मनुष्य की सबसे बड़ी*
*कायरता है !*
*जीवन का सबसे बड़ा गुरु*
*वक्त होता है,*
*क्योंकि जो वक्त सिखाता है*
*वो कोई नहीं सीखा सकता !*
*लेकिन*
*उनके चयन पर "निर्भर" करता है, कि उनकी*
*"कीमत" "मिलेगी" या "चुकानी" पड़ेगी .....ll*
*सफलता हमेशा अच्छे विचारों से आती है।*
*अच्छे विचार अच्छे लोगों के सम्पर्क से आते है।*
*मुझे नहीं पता !*
*खूबसूरत होने लगती है*
_*जमीन अच्छी है*_
_*खाद अच्छा हो*_
_*परंतु 'पानी' अगर*_
_*'खारा' हो तो*_
_*फूल खिलते नहीं ।*_
_*भाव अच्छे हो*_
_*कर्म भी अच्छे हो*_
_*मगर 'वाणी' खराब हो तो*_
_*सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।*_
_*किसी को बुरा न लगे।*_
_*दिल ऐसा रखो कि*_
_*किसी को दुःखी न करें।*_
_*रिश्ता ऐसा रखो कि*_
_*उसका अंत न हो*_