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जीवन में आधा दुःखः गलत लोगों से उम्मीद रखने से आता है

*किरण चाहे सूर्य की हो या*
         *आशा की*
*जीवन के सारे अंधकार*
   *मिटा देती है*। 



सुविचार



*हमेशा छोटी छोटी गलतियो से बचने की कोशिश किया करो,*
*क्यों की इंसान पहाडों से नहीं पत्थरों से ठोकर खाता है.*




*जिंदगी तो हमे...*
*सा, रे, ग, म सीखा रही थी..!*
*हम ही है जो...*
*"सारे गम" लेकर बैठ गए..!!*


बेहद हदें पार 

की थी 

हमने कभी 

किसी के लिए,

आज उसी 

ने सिखा दिया 

हद में रहना




*जिंदगी और घर में*
*अपनों का होना बहुत जरूरी है,*
*वर्ना कितना भी एशियन पेन्ट करवा लो,*
*दीवारें कभी नहीं बोलती...!!*






*अगर आप "सुन्दर दिखते हैं" तो वो आपके माता-पिता की तरफ से आपको "गिफ्ट" है*...!

*अगर आप "सुन्दर तरीके से जीते हैं" तो वो आपकी तरफ से उन्हें "रिटर्न गिफ्ट" है...!!*





*"न मैं गिरा,और न मेरी*
*उम्मीदों के मीनार गिरे..!*
*पर.. लोग मुझे गिराने मे*
*कई बार गिरे...!!"*
*सवाल जहर का नहीं था*
*वो तो मैं पी गया,*
*तकलीफ लोगों को तब हुई,*
*जब मैं फिर भी जी गया.* 
*जब कोई “हाथ” और“साथ”* *दोनों ही छोड़ देता है,* *तब “कुदरत” कोई न कोई* *उंगली पकड़ने वाला भेज देता है,* *इसी का नाम “जिदंगी” है...!!*






*अगर आपकी समस्या एक जहाज जितनी बडी हो*
*तो भुले नहीं की,*
*प्रभू की कृपा सागर जितनी विशाल है।*


*चावल अगर कुमकुम के साथ मिल जाऐं ...* 

*तो किसी के मस्तक तक पहुंच जाते हैं ..!*


*और दाल के साथ मिल जाऐं ..*

*तो खिचड़ी बन जाते है ...!!*


*अर्थात ...हम कौन हैं उसके महत्व से ज्यादा...किनकी संगत में हैं , यह बहुत महत्वपूर्ण है..!!!*


      

सुविचार

*जीवन में आधा  दुःखः*
       *गलत लोगों से उम्मीद
        *रखने से आता है*❗

*और बाकी का आधा दुःख*
      *सच्चे लोगों पर शक*
        *करने से आता  है*




सुविचार




*शब्द शब्द बहु अंतरा, शब्द के हाथ न पांव।*
*एक शब्द करे औषधि, एक शब्द करे घाव।।*

*शब्द सम्भाले बोलिये, शब्द खीँचते ध्यान।*
*शब्द मन घायल करे, शब्द बढाते मान।।*

*शब्द मुँह से छूट गया, शब्द न वापस आय।*
*शब्द जो हो प्यार भरा, शब्द ही मन मेँ समाएँ।।*





*_शीशा कमज़ोर बहुत होता है मगर सच दिखाने से घबराता नहीं है_*

सुख और दुःख कि पहेली है -जीवन

*स्मरण के पन्नो से भरा है*
*जीवन*

*सुख और दुःख कि पहेली है*
*जीवन*

*कभी अकेले बैठ कर* 
*चिंतन करके तो देखो*

*संबंधों के बगैर अपूर्ण है जीवन*



*सच्चाई के इस जंग मे ,*
                *कभी झूठे भी जीत जाते है..*
*समय अपना अच्छा न हो तो ,*
                  *कभी अपने भी रूठ जाते है..*
*कच्चे मकान देखकर किसी से*
                    *रिश्ता ना तोडना क्योंकि*
*मिट्टी की पकड बहुत मजबूत होती है*
                *और*
*संगमरमर पर तो अक्सर पैर फिसल जाते हैं*




*गिनकर ठीक से देखा नहीं …*
*मगर*
*इतना मालूम हैं खुशियाँ*
*बांटने से बढती हैं ...*



**आपकी सोच ही*

*आपको बड़ा बनाती है...!!*
*यदि हम गुलाब की तरह*
*खिलना चाहते है तो*
*काँटों के साथ तालमेल की*
*कला सीखनी होगी*

*"अपनी जिंदगी के*
*किसी भी दिन को मत कोसना"*
*"क्योंकि;"*
*"अच्छा दिन खुशियाँ लाता है"*
*"और बुरा दिन अनुभव;."*
*"एक सफल जिंदगी के लिए दोनों जरूरी है*"

*"चार बातों" में कभी भी*
*शरम औऱ संकोच*
*नहीं मेहसूस करनी चाहियें।*

*- पूराने कपड़े*
*- गरीब मित्र*
*- बुज़ुर्ग माता-पिता*
  *औऱ...*
*- सरल जीवन-शैली*




*ख़ुशी पैसों पर नहीं,*
*परिस्थितियों पर निर्भर करती है I*
*एक बच्चा गुब्बारा ख़रीद कर ख़ुश था,*
*तो दूसरा उसे बेच कर..!!!*
*तीसरा उसे फोड़कर!!!!*




सुपर सुविचार



अपने देश में आधे से*

*ज्यादा रिश्ते उधार दिए रूपये*

*वापस मांगने में टूट जाते हे*




*" आँसू जानते हैं कौन अपना है*;
*तभी तो अपनों के सामने टपक जाते है। "*

       *" मुस्कुराहट का क्या है*;
*वह तो ग़ैरों से भी वफ़ा कर लेती है..!! "*



*करे रूसवा जो ओरों को*
*ख़ुदा उन्हें इज़्ज़त नहीं देता*

*हक़ पर चलने वालों को*
*कभी ज़िल्लत नहीं देता*

*किसी का हक़ दबाकर तुम*
*अपना पेट मत भरना*

*ख़ुदा ऐसे निवालों मे*
*कभी लज़्ज़त नहीं देता*




इंसान' की सोच भी 'अज़ीब' है 'कामयाबी' मिले तो अपनी 'अक्ल' पर खुश होता है.. और जब 'मुसीबत' आये तो अपने 'नसीब' को दोष देता है.

*पाँवों में यदि जान हो तो,*
*मंजिल हम से दूर नहीं है।*
*आँखों में यदि पहचान हो तो,*
*इंसान हम से दूर नहीं है।*
*दिल में यदि स्थान हो तो,*
*अपने हम से दूर नहीं है।*
*भावना में यदि जान हो तो,*
*भगवान हम से दूर नहीं है।*

*"अपनी जिंदगी के*
*किसी भी दिन को मत कोसना"*.
           *"क्योंकि;"*
  *"अच्छा दिन खुशियाँ लाता है"*
      *"और बुरा दिन अनुभव;."*.
   *"एक सफल जिंदगी के लिए*    
          *दोनों जरूरी है*"


*आपकी सोच ही*
   *आपको बड़ा बनाती है...!!*

    *यदि हम गुलाब की तरह*
       *खिलना चाहते है तो*
   *काँटों के साथ तालमेल की*
        *कला सीखनी होगी*


*पहचान से मिला काम*
*बहुत कम समय के लिए टिकता है,*

*लेकिन काम से मिली पहचान*
*उम्र भर कायम रहती है*



*सब्र और सहनशीलता,*
*कोई कमजोरियां नहीं होती है!*

*ये तो अंदरुनी ताकत है,*
*जो सब में नहीं होती...।*

*अंदाज कुछ अलग हैं,*
        *मेरे सोचने का.!!!*
*सबको मंजिल का शोक हैं.!!*
     *और मुझे सही रास्तों का.!!!*
*लोग कहते हैं, पैसा रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा...*
*हम कहते है अच्छे लोगों के साथ रहो, बुरा वक्त ही नहीं आयेगा.*

*"सफलता" की पोशाक*
       *कभी तैयार नहीं मिलती*
      *इसे बनाने के लिए*
     *"मेहनत" का हुनर चाहिए.!*

*"अच्छे" और "सच्चे" रिश्ते*
            *न तो "खरीदे" जा सकते हैं,*
        *न ही "उधार" लिऐ जा सकते हैं*

                     *इसलिए*

        *उन लोगों को जरूर "महत्व" दें*
         *जो "आपको" महत्व देते हैं...*



दर्द भी वही देते हैं जिन्हें हक़ दिया जाता हो..
वर्ना गैर तो धक्का लगने पर भी माफी माँग लेते हैं..




*प्रयत्न करने से कभी न चूकें..!*
           *हिम्मत नहीं तो प्रतिष्ठा नहीं,*
           *विरोधी नहीं तो प्रगति नहीं..!!*

 *जो पानी में भीगेगा*
*वो सिर्फ लिबास बदल सकता है*
*लेकिन जो पसीने में भीगता है वो*
*इतिहास बदल सकता है.*

*मुसीबत' और 'ख़ुशी' बिना किसी अपॉइंटमेंट के आ जाती है,*
*इसलिए अपने आप को इतना तैयार रखो कि मुसीबत के समय 'होश' और ख़ुशी के समय 'जोश' कायम रहे।*



सुपर सुविचार


 *मन में जो हैं*

  *साफ-साफ कह देना चाहिए*

       *क्योंकि सच बोलने से*

             *फैसलें होते हैं*

  *और झूठ बोलने से फासलें.* 


        

*"जिंदगी मे दो मित्र जरूर होने चहिये"*


*"एक कृष्ण जो ना लड़े फिर भी "*

   *"जीत पक्की कर दे ....*

*"और दुसरा कर्ण जो हार सामने हो"*

         *"फिर भी साथ  ना छोड़े.....*


        


*इंसान' की सोच भी 'अज़ीब' है 'कामयाबी' मिले तो अपनी 'अक्ल' पर खुश होता है...*
*और जब 'मुसीबत' आये तो अपने 'नसीब' को दोष देता है...*


हमें अक्सर महसूस होता है कि दूसरों का जीवन अच्छा है............

*"हमें अक्सर*
*महसूस होता है*
*कि दूसरों का जीवन*
*अच्छा है............*

*लेकिन*
*हम ये भूल जाते है कि*
*उनके लिए*
*'हम भी दूसरे ही है..."*



   जीवन को दो तरीकों से सुखद बनाया जा सकता है। पहला यह है कि जो तुम्हें पसंद है उसे प्राप्त कर लो या जो प्राप्त है उसे पसंद कर लो। 

     अगर आप भी उन व्यक्तिओं में से एक हैं जो प्राप्त को पसंद नहीं करते और ना ही पसंद को प्राप्त करने का सामर्थ्य रखते हैं तो आपने स्वयं ही अपने सुखों का द्वार बंद कर रखा है।

     सुख प्राप्त करने की चाह में आदमी मकान बदलता है, दुकान बदलता है। कभी-कभी देश बदलता है तो कभी-कभी भेष भी बदलता है। लेकिन अपनी सोच और स्वभाव बदलने को राजी नहीं है।

      भूमि नहीं अपनी भूमिका बदलो। जिस दिन आदमी ने अपना स्वभाव जीत लिया उसी दिन उसका अभाव मिट जायेगा।



*चांद भी क्या खूब है,*
*न सर पर घूंघट है,* 
*न चेहरे पे बुरका,*

*कभी करवाचौथ का हो गया,*
*तो कभी ईद का,*
*तो कभी ग्रहण का*

*अगर*

*ज़मीन पर होता तो*
*टूटकर विवादों मे होता,*
*अदालत की सुनवाइयों में होता,*
*अखबार की सुर्ख़ियों में होता,*

*लेकिन*

*शुक्र है आसमान में बादलों की गोद में है,*
*इसीलिए ज़मीन में कविताओं और ग़ज़लों में महफूज़ है”*



  मनुष्य जन्म से नहीं अपितु कर्म से महान बनता है और मनुष्य चित्र से नहीं, चरित्र से सुन्दर बनता है। अच्छे परिवार में जन्म लेना मात्र एक संयोग है और अच्छे कार्यों द्वारा जीवन को उत्कृष्ट बनाना एक उपलब्धि। इसलिए इस बात पर ज्यादा विचार मत करना कि मेरा परिवार कैसा है ? लेकिन यह जरूर विचारणीय है कि मेरा व्यवहार कैसा है? 
      आपके जीवन जीने का ढंग ही पैमाना (मापक) है आपकी महानता का। आपके जीने के ढंग से ही निर्धारण होगा कि आपने कितना सुन्दर जीवन जिया।
    मनुष्य की     वास्तविक सुन्दरता उसका सुन्दर तन नहीं अपितु सुन्दर मन है। गुण न हो तो रूप व्यर्थ है क्योंकि जीवन रूपवान होकर नहीं, गुणवान होकर जिया जाता है।
     समाज अच्छे (चित्र) रूप वालों को नहीं अपितु अच्छे चरित्र वालों को पूज्यनीय मानता है। अत: कुल और रूप कितना भी सुन्दर क्यों न हो मगर सदगुणों के अभाव में दोनों का कोई महत्व नहीं।

क्या बताएं यार तुम्हें दुनिया के मजे।
सर झुकाके लूट लो दुनिया के मजे॥