चूहा अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो मारे बिना चैन नहीं लेते हैं..
साँप अगर पत्थर का हो तो सब उसे पूजते हैं
मगर जिन्दा हो तो उसी वक़्त मार देते हैं..
माता अगर पत्थर की हो तो सब पूजते हैं, माँ कहते हैं
मगर जिन्दा है तो कीमत नहीं समझते।
बस यही समझ नहीं आता कि
ज़िन्दगी से इतनी नफरत क्यों और
पत्थरों से इतनी मोहब्बत क्यों.. ?
*जिस तरह लोग मुर्दे इंसान को कंधा देना पुण्य समझते हैं
*काश इस तरह ज़िन्दा इंसान को सहारा देंना पुण्य समझने लगे तो ज़िन्दगी आसान हो जायेगी
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एक बादशाह ने गधों को क़तार में चलता देखा तो धोबी से पूछा, "ये कैसे सीधे चलते हैं..?"
धोबी ने जवाब दिया, "जो लाइन तोड़ता है उसे मैं सज़ा देता हूँ, बस इसलिये ये सीधे चलते हैं।"
बादशाह बोला, "मेरे मुल्क में अमन क़ायम कर सकते हो..?"
धोबी ने हामी भर ली।
धोबी शहर आया तो बादशाह ने उसे मुन्सिफ बना दिया, और एक चोर का मुक़दमा आ गया, धोबी ने कहा चोर का हाथ काट दो।
जल्लाद ने वज़ीर की तरफ देखा और धोबी के कान में
बोला, "ये वज़ीर साहब का ख़ास आदमी है।"
धोबी ने दोबारा कहा इसका हाथ काट दो, तो वज़ीर ने सरगोशी की कि ये अपना आदमी है ख़याल करो।
इस बार धोबी ने कहा, "चोर का हाथ और वज़ीर की ज़ुबान दोनों काट दो, और एक फैसले से ही मुल्क में अमन क़ायम हो गया…।
बिलकुल इसी न्याय की जरुरत हमारे देश को है।