एक सच्चा दोस्त
अगर सौ भी बार रूठे तो
उसे मना लो
क्योंकि,,
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कीमती मोतियों की माला
जितनी बार भी टूटे
उसे पिरोना ही पड़ता है।।
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*दोस्ती* शब्द का अर्थ
बड़ा ही मस्त होता है .., ( दो+हस्ती )
जब दो हस्ती मिलती हैं ..,
तब दोस्ती होती है ... ...
*समुंदर* _ _ ना हो तो _ _*कश्ती* _ _ किस काम कीं ..._
*मजाक*_ _ना हो , तो _ _ *मस्ती* _ _ किस काम की ... _
*दोस्तों* _ _ के लिए तो कुर्बान है , ये _ _ *जिंदगी...* _
अगर _ _ *दोस्त* _ _ ही ना हो , तो फिर ये _ _ *जिंदगी* _ _ किस काम कीं ...
बड़ा ही मस्त होता है .., ( दो+हस्ती )
जब दो हस्ती मिलती हैं ..,
तब दोस्ती होती है ... ...
*समुंदर* _ _ ना हो तो _ _*कश्ती* _ _ किस काम कीं ..._
*मजाक*_ _ना हो , तो _ _ *मस्ती* _ _ किस काम की ... _
*दोस्तों* _ _ के लिए तो कुर्बान है , ये _ _ *जिंदगी...* _
अगर _ _ *दोस्त* _ _ ही ना हो , तो फिर ये _ _ *जिंदगी* _ _ किस काम कीं ...
चंद लाइने दोस्तों के नाम :-*
"क्यूँ मुश्किलों में साथ देते हैं "दोस्त"
"क्यूँ गम को बाँट लेते हैं "दोस्त"
"न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है !
"फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं "दोस्त "
"क्यूँ गम को बाँट लेते हैं "दोस्त"
"न रिश्ता खून का न रिवाज से बंधा है !
"फिर भी ज़िन्दगी भर साथ देते हैं "दोस्त "
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परिवार और दोस्त साथ है तो,
हर ऋतु "बसन्त"है,
हर ऋतु "बसन्त"है,
ना हो तो "बस- अंत" है!!!
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*दीवो माटीनो छे*
*के*
*सोनानो ते महत्वनुं नथी*
*परंतु*
*ते अंधारामां प्रकाश केटलो आपे छे*,
*ते महत्वनुं छे.*
*के*
*सोनानो ते महत्वनुं नथी*
*परंतु*
*ते अंधारामां प्रकाश केटलो आपे छे*,
*ते महत्वनुं छे.*
*तेवी ज रीते*
*मित्र गरीब होय के अमीर*
*ते*
*महत्व नु नथी*
*दुःखमा केटलो मददरुप थाय छे*
*ते महत्वनुं छे*.
*मित्र गरीब होय के अमीर*
*ते*
*महत्व नु नथी*
*दुःखमा केटलो मददरुप थाय छे*
*ते महत्वनुं छे*.
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जीवन मे ' दो ' तरह के दोस्त ज़रूर बनाना ..
.एक ' कृष्ण ' कि तरह, जो आपके लिए लड़ेगा नहीं, पर ये ' सुनिश्चित ' करेगा कि आप ही जीत जाए ..
और ..
दुसरा ' कर्ण ' कि तरह जो आप के लिए तब भी लड़ेगा , जब आपकी ' हार ' सामने दिख रही हो ..!!!
.एक ' कृष्ण ' कि तरह, जो आपके लिए लड़ेगा नहीं, पर ये ' सुनिश्चित ' करेगा कि आप ही जीत जाए ..
और ..
दुसरा ' कर्ण ' कि तरह जो आप के लिए तब भी लड़ेगा , जब आपकी ' हार ' सामने दिख रही हो ..!!!
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मै यादों का किस्सा खोलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
मै गुजरे पल को सोचूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
अब जाने कौन सी नगरी में,
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
आबाद हैं जाकर मुद्दत से.
मै देर रात तक जागूँ तो ,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ बातें थीं फूलों जैसी,
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
कुछ लहजे खुशबू जैसे थे,
मै शहर-ए-चमन में टहलूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं.
वो पल भर की नाराजगियाँ,
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!
और मान भी जाना पलभर में,
अब खुद से भी रूठूँ तो,
कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं...!!
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