ईमानदारी से कमाई करने वालों के शौक भले ही पूरे न हो...पर नींद जरूर पूरी होती हैं...!*

इस तस्वीर मे सारी प्लेट उल्टी है।।।
लेकिन चंद एक प्लेट सीधी।।।
जैसे ही आप को सीधी प्लेट नज़र आयेगी वैसे ही सब की सब प्लेट सीधी होजायगी ।।।।
जिन्दगी मे भी इसी तरहा होता है।।।
जब हमारी सोंच अछि हो तो हर चीज़ अछि लगने लगती है।।।।





*ना थके कभी पैर,* 

*ना कभी हिम्मत हारी है,* 

*जज्बा है परिवर्तन का ज़िंदगी में इसलिये सफर जारी है|*


*"मन" सभी के पास होता है.. मगर "मनोबल" कुछ लोगों के पास ही होता है..*






*अंदाज कुछ अलग हैं,*
        *मेरे सोचने का.!!!*

*सबको मंजिल का शोक हैं.!!*
     *और मुझे सही रास्तों का.!!!*
 *लोग कहते हैं, पैसा रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा...*
*हम कहते है अच्छे लोगों के साथ रहो, बुरा वक्त ही नहीं आयेगा.*
  







गजानन मह वन्दे गजकंथड़ रुपिनम ।
विघ्नहरणम सदा नौभी ऋद्धि सिद्धि प्रदायकम ।।
नमस्ते सृष्टि रूपाय,नाद रूपाय ते नमः ।
भक्त प्रियाय देवाय ,नमस्तुभ्य विनायकं ।।
 
    
"तन की खूबसूरती एक भ्रम  है..!*
*सबसे खूबसूरत आपकी "वाणी" है..!*
       *चाहे तो दिल "जीत" ले..!*
        *चाहे तो दिल "चीर" दे"!!*
*इन्सान सब कुछ कॉपी कर सकता है..!*
  *लेकिन किस्मत और नसीब नही..!*
        *"श्रेय मिले न मिले,*
  *अपना श्रेष्ठ देना कभी बंद न करें*
     

सुपर सुविचार


*ईमानदारी से कमाई करने वालों के शौक भले ही पूरे न हो...*

*पर नींद जरूर पूरी होती हैं...!*


 किसी से बदला लेना बहुत आसान है मगर किसी का बदला चुकाना बहुत ही मुश्किल। उन्हें भुलाना अच्छी बात नहीं जो विपत्ति में आपका साथ दिया करते हैं। पैसों पर ज्यादा घमंड मत करना उनसे सिर्फ बिल चुकाया जा सकता है बदला नहीं।
      सब कुछ होने पर भी यदि आपको संतोष नहीं है तो फिर आपको अभाव सतायेगा और सब कुछ मिलने पर भी यदि आप चुप नहीं रह सकते तो फिर आपको स्वभाव सतायेगा। यदि फिर आपके मन में अपने पास बहुत कुछ होने का अहम आ गया तो सच मानो फिर आपको आपका ये कुभाव सतायेगा।
       दौलतवान न बन सको तो कोई बात नहीं, दिलवान और दयावान बन जाओ, आनंद ही आनंद चारों तरफ हो जायेगा। जिन्दगी बदलने के लिए लड़ना पड़ता है।
और आसान करने के लिए समझना पड़ता है।

छोटा बनके रहोगे तो मिलेगी हर रहमत प्यारों 
बड़ा होने पर तो माँ भी गोद से उतार देती है

आयुर्वेद 41 दोहे - कृपया इस जानकारी को जरूर आगे बढ़ाएं

*आयुर्वेद दोहे*

पानी में गुड डालिए, बीत जाए जब रात!
सुबह छानकर पीजिए, अच्छे हों हालात!!

*धनिया की पत्ती मसल, बूंद नैन में डार!*
दुखती अँखियां ठीक हों, पल लागे दो-चार!!

*ऊर्जा मिलती है बहुत, पिएं गुनगुना नीर!*
कब्ज खतम हो पेट की, मिट जाए हर पीर!!

*प्रातः काल पानी पिएं, घूंट-घूंट कर आप!*
बस दो-तीन गिलास है, हर औषधि का बाप!!

*ठंडा पानी पियो मत, करता क्रूर प्रहार!*
करे हाजमे का सदा, ये तो बंटाढार!!

*भोजन करें धरती पर, अल्थी पल्थी मार!*
चबा-चबा कर खाइए, वैद्य न झांकें द्वार!!

*प्रातः काल फल रस लो, दुपहर लस्सी-छांस!*
सदा रात में दूध पी, सभी रोग का नाश!!

*प्रातः- दोपहर लीजिये, जब नियमित आहार!*
तीस मिनट की नींद लो, रोग न आवें द्वार!!

*भोजन करके रात में, घूमें कदम हजार!*
डाक्टर, ओझा, वैद्य का , लुट जाए व्यापार !!

*घूट-घूट पानी पियो, रह तनाव से दूर!*
एसिडिटी, या मोटापा, होवें चकनाचूर!!

*अर्थराइज या हार्निया, अपेंडिक्स का त्रास!*
पानी पीजै बैठकर, कभी न आवें पास!!

*रक्तचाप बढने लगे, तब मत सोचो भाय!*
सौगंध राम की खाइ के, तुरत छोड दो चाय!!

*सुबह खाइये कुवंर-सा, दुपहर यथा नरेश!*
भोजन लीजै रात में, जैसे रंक सुजीत!!

*देर रात तक जागना, रोगों का जंजाल!*
अपच,आंख के रोग सँग, तन भी रहे निढाल^^

*दर्द, घाव, फोडा, चुभन, सूजन, चोट पिराइ!*
बीस मिनट चुंबक धरौ, पिरवा जाइ हेराइ!!

*सत्तर रोगों कोे करे, चूना हमसे दूर!*
दूर करे ये बाझपन, सुस्ती अपच हुजूर!!

*भोजन करके जोहिए, केवल घंटा डेढ!*
पानी इसके बाद पी, ये औषधि का पेड!!

*अलसी, तिल, नारियल, घी सरसों का तेल!*
यही खाइए नहीं तो, हार्ट समझिए फेल!

*पहला स्थान सेंधा नमक, पहाड़ी नमक सु जान!*
श्वेत नमक है सागरी, ये है जहर समान!!

*अल्यूमिन के पात्र का, करता है जो उपयोग!*
आमंत्रित करता सदा, वह अडतालीस रोग!!

*फल या मीठा खाइके, तुरत न पीजै नीर!*
ये सब छोटी आंत में, बनते विषधर तीर!!

*चोकर खाने से सदा, बढती तन की शक्ति!*
गेहूँ मोटा पीसिए, दिल में बढे विरक्ति!!

*रोज मुलहठी चूसिए, कफ बाहर आ जाय!*
बने सुरीला कंठ भी, सबको लगत सुहाय!!

*भोजन करके खाइए, सौंफ, गुड, अजवान!*
पत्थर भी पच जायगा, जानै सकल जहान!!

*लौकी का रस पीजिए, चोकर युक्त पिसान!*
तुलसी, गुड, सेंधा नमक, हृदय रोग निदान!

*चैत्र माह में नीम की, पत्ती हर दिन खावे !*
ज्वर, डेंगू या मलेरिया, बारह मील भगावे !!

*सौ वर्षों तक वह जिए, लेते नाक से सांस!*
अल्पकाल जीवें, करें, मुंह से श्वासोच्छ्वास!!

*सितम, गर्म जल से कभी, करिये मत स्नान!*
घट जाता है आत्मबल, नैनन को नुकसान!!

*हृदय रोग से आपको, बचना है श्रीमान!*
सुरा, चाय या कोल्ड्रिंक, का मत करिए पान!!

*अगर नहावें गरम जल, तन-मन हो कमजोर!*
नयन ज्योति कमजोर हो, शक्ति घटे चहुंओर!!

*तुलसी का पत्ता करें, यदि हरदम उपयोग!*
मिट जाते हर उम्र में,तन में सारे रोग।

*कृपया इस जानकारी को जरूर आगे बढ़ाएं*

क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं।

सुपर सुविचार


1. क़ाबिल लोग न तो किसी को दबाते हैं और न ही किसी से दबते हैं।


2. ज़माना भी अजीब हैं, नाकामयाब लोगो का मज़ाक उड़ाता हैं और कामयाब लोगो से जलता हैं।


3. कैसी विडंबना हैं ! कुछ लोग जीते-जी मर जाते हैं, और कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं।


4. इज्जत किसी आदमी की नही जरूरत की होती हैं. जरूरत खत्म तो इज्जत खत्म।


5. सच्चा चाहने वाला आपसे प्रत्येक तरह की बात करेगा. आपसे हर मसले पर बात करेगा. लेकिन धोखा देने वाला सिर्फ प्यार भरी बात करेगा।


6. हर किसी को दिल में उतनी ही जगह दो जितनी वो देता हैं.. वरना या तो खुद रोओगे, या वो तुम्हें रूलाऐगा।


7. खुश रहो लेकिन कभी संतुष्ट मत रहो।


8. अगर जिंदगी में सफल होना हैं तो पैसों को हमेशा जेब में रखना, दिमाग में नही।


9. इंसान अपनी कमाई के हिसाब से नही, अपनी जरूरत के हिसाब से गरीब होता हैं।



 

10. जब तक तुम्हारें पास पैसा हैं, दुनिया पूछेगी भाई तू कैसा हैं।



 






11. हर मित्रता के पीछे कोई न कोई स्वार्थ छिपा होता हैं ऐसी कोई भी मित्रता नही जिसके पीछे स्वार्थ न छिपा हो।

12. दुनिया में सबसे ज्यादा सपने तोड़े हैं इस बात ने, कि लोग क्या कहेंगे.. 

13. जब लोग अनपढ़ थे तो परिवार एक हुआ करते थे, मैने टूटे परिवारों में अक्सर पढ़े-लिखे लोग देखे हैं।

14. जन्मों-जन्मों से टूटे रिश्ते भी जुड़ जाते हैं बस सामने वाले को आपसे काम पड़ना चाहिए।

15. हर प्रॉब्लम के दो सोल्युशन होते हैं.. भाग लो..(run away) भाग लो..(participate) पसंद आपको ही करना हैं।

16. इस तरह से अपना व्यवहार रखना चाहिए कि अगर कोई तुम्हारे बारे में बुरा भी कहे, तो कोई भी उस पर विश्वास न करे।

17. अपनी सफलता का रौब माता पिता को मत दिखाओ, उन्होनें अपनी जिंदगी हार के आपको जिताया हैं।

18. यदि जीवन में लोकप्रिय होना हो तो सबसे ज्यादा ‘आप’ शब्द का, उसके बाद ‘हम’ शब्द का और सबसे कम ‘मैं’ शब्द का उपयोग करना चाहिए।

19. इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता, लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं.. और कितना वक़्त लगेगा।

20. दुनिया के दो असम्भव काम- माँ की “ममता” और पिता की “क्षमता” का अंदाज़ा लगा पाना।




21. कितना कुछ जानता होगा वो शख़्स मेरे बारे में जो मेरे मुस्कराने पर भी जिसने पूछ लिया कि तुम उदास क्यों हो।

22. यदि कोई व्यक्ति आपको गुस्सा दिलाने मे सफल रहता हैं तो समझ लीजिये आप उसके हाथ की कठपुतली हैं।

23. मन में जो हैं साफ-साफ कह देना चाहिए Q कि सच बोलने से फैसलें होते हैं और झूठ बोलने से फासलें।

24. यदि कोई तुम्हें नजरअंदाज कर दे तो बुरा मत मानना, Q कि लोग अक्सर हैसियत से बाहर मंहगी चीज को नजरंअदाज कर ही देते हैं।

25. “जिन्दगी”एक आइसक्रीम की तरह हैं टेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं और वेस्ट करोगे तो भी पिघलती हैं। इसलिये जिन्दगी को वेस्ट नही टेस्ट करो।

26. गलती कबूल़ करने और गुनाह छोङने में कभी देर ना करना, Q कि सफर जितना लंबा होगा वापसी उतनी ही मुशिकल हो जाती हैं।

27. दुनिया में सिर्फ माँ-बाप ही ऐसे हैं जो बिना किसी स्वार्थ के प्यार करते हैं।

28. कोई देख ना सका उसकी बेबसी जो सांसें बेच रहा हैं गुब्बारों मे डालकर।

29. जीना हैं, तो उस दीपक की तरह जियो जो बादशाह के महल में भी उतनी ही रोशनी देता हैं जितनी किसी गरीब की झोपड़ी में।

30. जो भाग्य में हैं वह भाग कर आयेगा और जो भाग्य में नही हैं वह आकर भी भाग जायेगा।





31. हँसते रहो तो दुनिया साथ हैं, वरना आँसुओं को तो आँखो में भी जगह नही मिलती। 

 
32. दुनिया में भगवान का संतुलन कितना अद्भुत हैं, 100 कि.ग्रा. अनाज का बोरा जो उठा सकता हैं वो खरीद नही सकता और जो खरीद सकता हैं वो उठा नही सकता।

33. जब आप गुस्सें में हो तब कोई फैसला न लेना और जब आप खुश हो तब कोई वादा न करना। (ये याद रखना कभी नीचा नही देखना पड़ेगा)।

34. अगर कोई आपको नीचा दिखाना चाहता हैं तो इसका मतलब हैं आप उससे ऊपर हैं।

35. जिनमें आत्मविश्वास की कमी होती हैं वही दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते हैं।

36. मुझे कौन याद करेगा इस भरी दुनिया में, हे ईशवर बिना मतल़ब के तो लोग तुझे भी याद नही करते।

37. अगर आप किसी को धोखा देने में कामयाब हो जाते हैं तो ये मत सोचिए वो बेवकूफ कितना हैं बल्कि ये सोचिए उसे आप पर विश्वास कितना हैं।

38. बहुत दूर तक जाना पड़ता हैं सिर्फ यह जानने के लिए कि नजदीक कौन हैं।

39. अपनी उम्र और पैसे पर कभी घमंड़ मत करना Q कि जो चीजें गिनी जा सके वो यक़िनन खत्म हो जाती हैं।

40. मैनें धन से कहा.. तुम एक कागज़ के टुकड़े हो.. धन मुस्कराया और बोला मैं बेश्क एक कागज़ का टुकड़ा हूँ लेकिन मैनें आज तक कूड़ेदान का मुँह नही देखा।



41. इंसान कहता हैं.. अगर पैसा हो तो मैं कुछ कर के दिखाऊँ, लेकिन पैसा कहता हैं तू कुछ कर के दिखा तभी तो मैं आऊँ। 

42. जिदंगी मे कभी भी किसी को बेकार मत समझना Q कि बंद पड़ी घड़ी भी दिन में दो बार सही समय बताती हैं।

43. बचपन में सबसे ज़्यादा पूछा गया सवाल – बड़े होकर क्या बनना हैं ? जवाब अब मिला.. फिर से बच्चा बनना हैं।

44. कंडक्टर सी हो गई हैं जिंदगी.. सफर भी रोज़ का हैं और जाना भी कही नही।

45. जिंदगी मज़दूर हुई जा रही हैं और लोग “साहब” कहकर तानें मार रहे हैं।

46. एक रूपया एक लाख नही होता.. फिर भी एक रूपया अगर एक लाख से निकल जाए तो वो लाख भी नही रहता.

47. जो लोग दिल के अच्छे होते हैं, दिमाग वाले उनका जमकर फायदा उठाते हैं।

48. जली रोटियाँ देखकर बहुत शोर मचाया तुमनें.. अगर माँ की जली उंगलियों को देख लेते, तो भूख उड़ गई होती।

49. इस कलयुग में रूपया चाहे कितना भी गिर जाए, इतना कभी नहीं गिर पायेगा, जितना रूपये के लिए इंसान गिर चुका हैं।

50. नमक की तरह हो गई हैं जिंदगी.. लोग स्वादानुसार इस्तेमाल कर लेते हैं।

दुनिया उन्ही की खैरियत पूछती है, जो पहले से खुश हो

*दुनिया उन्ही की खैरियत पूछती है, जो पहले से खुश हो,*

*जो तकलीफ में हैं, उन्के तो मोबाईल नंबर तक खो जाते हैं..*


मनुष्य को हमेशा मौका नही ढूंढना चाहिये,
क्योंकि जो आज है वही सबसे अच्छा मौका है।



प्रेम एक ऐसा अनुभव है जो मनुष्य को कभी हारने नही देता,
और घृणा एक ऐसा अनुभव है जो इंसान को कभी जीतने नही देता।



मनुष्य को हमेशा यह नही सोचना चाहिए की वो अपने जीवन में कितना खुश है,
बल्कि यह सोचना चाहिये की उस मनुष्य की वजह से दूसरे कितने खुश हैं।



जब तक हम किसी भी काम को करने की कोशिश नही करते हैं, जब तक हमे वो काम नामुमकिन ही लगता है।



मनुष्य को अपने लक्ष्य में कामयाब होने के लिए
खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है।


*इन्सान को कभी अपने वक़्त*  

*पर घमन्ड नही करना चाहिए*

*क्योंकि*

*वक़्त तो उन नोटों का भी*         

*नहीं हुआ* 

*जो कभी पूरा बाजार खरीदने*   

*की ताकत रखते थे*

मेरी निंदा से यदि किसी को संतोष होता है , तो....

*जिदंगी का खुबसूरत*
*लम्हा कौन सा होता है??*
       
*Fantastic Answer :*

*जब आपका परिवार आपको*
*दोस्त समझने लगे*
*और*
*आपका दोस्त आपको*
*"अपना परिवार"*








*परीक्षा हमेशा अकेले में होती हैं..*
*लेकिन उसका परिणाम सबके सामने होता है।*
*इसलिए कोई भी कर्म करने से पहले*
*परिणाम पर जरूर विचार करें ....*





आँखों से अंधा होना यह तो भाग्य की बात है मगर विवेक से अंधा होना यह दुर्भाग्य की बात है ।*

आंख के अंधे को जगत नजर नहीं आता मगर विवेक के अंधे को तीनों लोकों के नाथ नजर नहीं आते ।*

आँख से अंधा होना दयनीय है मगर विवेक से अंधा होना सोचनीय है।*

आँख ना हो तो केवल एक जन्म ख़राब होता है लेकिन विवेक के अभाव में तो जन्म-जन्मान्तर तक प्रभावित होते है ।

*पैसा लोगों की*
*हैसियत*
*बदल सकता है*
*औकात*
*नही..!!!*

  

आप अगर खुश रहना जानते हैं और लोगों से हंस कर मिलने की आदत रखते हैं, तो यह आपके व्यक्तित्व का बहुत बड़ा गुण है. इसकी बदौलत आप जीवन के हर छेत्र में लोगों के पसंदीदा हो सकते हैं....अगर आपमें यह गुण नहीं है, तो आप बेशक नापसंद किए जा सकते हैं ।

हर आदमी चाहता है कि एक खुश व्यक्ति के साथ अपना वक्त बिताए, उससे बतियाए....इसलिए जो जितना खुशमिजाज होता है, वह उतना ही पसंद किया जाता है, इसलिए आप भी खुश रहने का प्रयास करिए।

*"" जिसकी प्रसन्नता को संसार की विघ्न बाधाएँ छीन नहीं सके, वही सच्चा अमीर है ""*
                              
हर किसी को यही लगता है कि वह बहुत दुखी है, उसके जीवन में बहुत संघर्ष है, उसके लिये राह बहुत कठिन है....पर जैसा कहा कि सभी को ऐसा ही लगता है इसका मतलब है कि ‘"अपने "' को त्याग कर और "‘दूसरे’" को अपना कर हम सुखी नहीं हो सकते हैं ।
हम जहाँ हैं, जिस स्थिति में हैं वहीं अगर विश्वास का दामन थाम लें तो सुखी हो सकते हैं क्योंकि अतिसुख देने वाली मात्र एक आत्म विश्वास ही है ।

       
आज का आदमी मेहनत में कम और मुकद्दर में ज्यादा विश्वास रखता है। आज का आदमी सफल तो होना चाहता है मगर उसके लिए कुछ खोना नहीं चाहता है। वह भूल रहा है कि सफलताएँ किस्मत से नहीं मेहनत से मिला करती हैं।
       किसी की शानदार कोठी देखकर कई लोग कह उठते हैं कि काश अपनी किस्मत भी ऐसी होती लेकिन वे लोग तब यह भूल जाते हैं कि ये शानदार कोठी, शानदार गाड़ी उसे किस्मत ने ही नहीं दी अपितु इसके पीछे उसकी कड़ी मेहनत रही है। मुकद्दर के भरोसे रहने वालों को सिर्फ उतना मिलता है जितना मेहनत करने वाले छोड़ दिया करते हैं।
       किस्मत का भी अपना महत्व है। मेहनत करने के बाद किस्मत पर आश रखी जा सकती है मगर खाली किस्मत के भरोसे सफलता प्राप्त करने से बढ़कर कोई दूसरी नासमझी नहीं हो सकती है।
       दो अक्षर का होता है "लक", ढाई अक्षर का होता है "भाग्य", तीन अक्षर का होता है "नसीव" लेकिन चार अक्षर के शब्द मेंहनत के चरणों में ये सब पड़े रहते हैं।

अगर आप अच्छी याददाश्त के धनी हैं तो यह अच्छी बात है मगर कभी-कभी आपकी यही अच्छी याददाश्त आपके लिए गलत साबित हो जाती है। दुनियाँ में हर बार वही नहीं घटता जिसे याद रखा जा सके यहाँ कई बार वो भी घट जाता है जिसे भुलाना अनिवार्य हो जाता है।
       इस दुनियाँ में ऐसे भी लोग हैं जो मात्र यह याद कर-करके दुखी होने में लगे है कि पाँच साल पहले मेरा इतना-इतना नुकसान हो गया था, मेरा अपमान हो गया था अथवा मेरे साथ गलत व्यवहार किया गया था।
      इन पाँच-पाँच साल पुरानी घटनाओं को स्मरण कर रोने वालों को देखकर लगता है, काश अगर इनकी स्मरण शक्ति इतनी तेज न होती तो ये बेचारे फिर व्यर्थ में भूतकाल (बीते समय) का रोना न रोकर वर्तमान की खुशियों का आनन्द ले रहे होते।
       उस व्यर्थ को भुलाने का प्रयास करो जो आपको इस जीवन के आनन्द से वंचित करता है।
गीताजी कहती हैं भूतकाल में जो चला गया और भविष्य में जो मिलने वाला है उसके बारे में सोचकर वह आनन्द का अवसर न गंवाओ जो आपको वर्तमान में मिल रहा है।

          

विचार और दृष्टिकोण से ही जीवन का ताना बाना रचा हूआ है ,,
विचारों के चयन से ही प्रभु माया का खेल निर्भर है ,,आप के अन्दर सकरात्मक दृष्टिकोण और अच्छे विचार हैं तो आप ज्यादे सच्चे मन से अपने धर्म ,अर्थ ,कर्म पथ पर आनन्द पूर्वक जीवन जी रहे हैं ,,
तनावरहित ,,,लेकिन जैसे ही विचारों की अशुद्धि आती है तुरन्त माया भी उसी अनरूप वातावरण तैयार करती हूई मिलेगी ,,विचारों के चयन में प्रभु की भक्ति की शक्ति मायने रखती है ,,
विचार को सारगर्भित रूप देने के लिये ही धर्म बना है पंथ बना पूर्वजों का डर था कि आने वाला समय कहीं मनुष्य भटक न जाये इसलिये उन्होने धार्मिक ग्रन्थों की रचना कर डाली आप रामायण पढ़ डालिये संदेष जो छिपा है कर्तव्य पालन निष्ठा का न समझ में आये तो फिर ,,,,बेकार ही है ,,धर्म का मर्म केवल आप के मन को शुद्ध करने के लिये बना है
जिस व्यक्ति के पास आप होते हो अगर लगे इस व्यक्ति के पास आकर आपके अन्त:चित्त साफ और सपष्ट सकरात्मक दृष्टिकोण बनना प्रारम्भ हो गया अँहकार को अगर त्याग दें और वह व्यक्ति आपके मस्तिष्क के रन्ध रन्ध में आनन्द दे तो
सत्संगी है वो ,,वरना आप चार घण्टा सत्संग सुन रहे हों और विचारों में परिवर्तन ही न हो तो कोई मतलब नहीं ,,,

      
सच है दुनिया का तो काम ही है कहना। ऊपर देखकर चलोगे तो कहेंगे... ‘"
अभिमानी हो गए।‘" नीचे देखकर चलोगे तो कहेंगे... ‘"बस किसी के सामने देखते ही नहीं।‘" आंखे बंद कर दोगे तो कहेंगे कि.... ‘"ध्यान का नाटक कर रहा है‘"....चारो ओर देखोगे तो कहेंगे कि.... ‘"निगाह का ठिकाना नहीं। निगाह घूमती ही रहती है।"‘ और परेशान होकर आंख फोड़ लोगे तो यही दुनिया कहेगी कि....‘"
किया हुआ भोगना ही पड़ता है।‘" ईश्वर को राजी करना आसान है, लेकिन संसार को राजी करना असंभव है।*

दुनिया क्या कहेगी, उस पर ध्यान दोगे तो भजन नहीं कर पाओगे। यह नियम है।*

*अंत मे दोस्तो*

मसला यह भी है इस ज़ालिम दुनिया का..;*
*कोई अगर अच्छा भी है तो वो अच्छा क्यों है..!*

*और.......*

चक्रव्यूह रचने वाले सारे अपने ही होते हैं.!*
*कल भी यही सच था और आज भी यही सच है.!*

संसार में कोई व्यक्ति यदि हमें अच्छा कहे तो क्या हम अच्छे हो जाएंगे ??? नहीं, ऐसा कभी नहीं होगा...अगर हम बुरे हैं तो बुरे ही रहेंगे। अगर हम अच्छे हैं तो अच्छे ही रहेंगे , भले ही पूरी दुनियां हमें बुरा कहे। लोग निंदा करे तो मन में आनंद आना चाहिए। हम पाप नहीं करते , हम किसी को दुःख नहीं देते , फिर भी हमारी निंदा होती है तो उसमें दुःख नहीं होना चाहिए , प्रत्युत प्रसन्नता होने चाहिए। भगवान के द्वारा जो होता है , सब मंगलमय ही होता है। इसलिए मन के विरुद्ध बात हो जाए तो उसमें आनंद मनाना चाहिए।*

एक संत ने कहा है..... ""मेरी निंदा से यदि किसी को संतोष होता है , तो बिना प्रयत्न के ही मेरी उन पर कृपा हो गई , क्योंकि कल्याण चाहने वाले पुरुष तो दूसरों के संतोष के लिए अपने कष्टपूर्वक कमाए हुए धन का भी परित्याग कर देते हैं। मुझे तो कुछ करना ही नहीं पड़ा।""*

     

छु ना सकूं "आसमान" ...तो ना सही ....हर एक के "दिलो" को छु जाऊ.. बस इतनी सी "तमन्ना" है !!!*

*छु ना सकूं "आसमान" ....तो ना सही ....*

*हर एक के "दिलो" को छु जाऊ..बस इतनी सी* *"तमन्ना" है !!!*

*"खो" देते हैं..*
*फिर...*
*"खोजा" करते हैं,*
*यही खेल हम जिन्दगी भर "खेला" करते है !!*

*जीता रहा मै, अपनी धुन मे*
*दुनिया का कायदा नही देखा...*
*रिश्ता निभाया तो दिल से,*
*कभी फायदा नही देखा।*

*हैरान कर के मुझे, लोग खुश होते है।*

*मैं खुश रहकर, लोगो को हैरान करता हूँ।*

*थोड़ा सा और निखर जाऊं, यही मैंने ठानी है,*

*ऐ जिंदगी, थोड़ा रुक, अभी मैंने हार कहाँ मानी है ?*

*जिंदगी कैसी अजीब हो गई है*

*खुश दिखना*

*खुश होने से ज्यादा जरुरी हो गया है*

*कागज की कश्ती में सवार है हम...*

*फिर भी कल के लिये , परेशान है हम....*

*कभी कभी रिश्तों की कीमत वो लोग समझा देते है*

*जिनसे हमारा कोई रिश्ता ही नहीं होता है*

*पहले जिंदगी में थोड़ी सी*
*टेंशन थी,*

*अब टेंशन में थोड़ी सी,*
*जिंदगी रह गयी है.*
 

*जो सफर की शुरुआत करते हैं,*
*वे मंजिल भी पा लेते हैं.*

*बस,*
*एक बार चलने का*
*हौसला रखना जरुरी है.*

*क्योंकि,*
*अच्छे इंसानों का तो*
*रास्ते भी इन्तजार करते हैं..*



सुंदर सुविचार


कुछ लोग तो आपसे सिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं, क्‍योंकि… बहुत सारे लोग आपसे प्‍यार करते है


*अधिक दूर देखने*
*की चाहत में...*
           
*बहुत कुछ पास से*
*गुज़र जाता है.



कुछ लोग तो आपसे सिर्फ इसलिए भी नफरत करते हैं, क्‍योंकि… बहुत सारे लोग आपसे प्‍यार करते है




“कठोर किंतु सत्य”  

माचिस किसी दूसरी चीज को जलाने से पहले खुद को जलाती हैं..! *गुस्सा* भी एक माचिस की तरह है..! यह दुसरो को बरबाद करने से पहले खुद को बरबाद करता है… 


शब्दों की ताकत को कम मत आंकिये… साहेब क्योकि छोटा सा “हाँ” और छोटा सा “ना” पूरी जिंदगी बदल देता है। 



छोटी छोटी खुशियां ही तो जीने का सहारा बनती है ।। ख्वाहिशों का क्या वो तो पल-पल बदलती है।


सबको गिला है, बहुत कम मिला है, जरा सोचिए… जितना आपको मिला है, उतना कितनों को मिला है 


सुविचार हिंदी में 



मनुष्य को हमेशा मौका नही ढूंढना चाहिये,

क्योंकि जो आज है वही सबसे अच्छा मौका है।


प्रेम एक ऐसा अनुभव है जो मनुष्य को कभी हारने नही देता,

और घृणा एक ऐसा अनुभव है जो इंसान को कभी जीतने नही देता।



मनुष्य को हमेशा यह नही सोचना चाहिए की वो अपने जीवन में कितना खुश है,

बल्कि यह सोचना चाहिये की उस मनुष्य की वजह से दूसरे कितने खुश हैं।



जब तक हम किसी भी काम को करने की कोशिश नही करते हैं, जब तक हमे वो काम नामुमकिन ही लगता है।



मनुष्य को अपने लक्ष्य में कामयाब होने के लिए

खुद पर विश्वास होना बहुत ज़रूरी है।




*मनुष्य का असली चरित्र तब सामने आता है..?*
*जब वो नशे में होता है!*
*फिर नशा चाहे धन का हो, पद का हो,*
*या फिर रूप का हो !!*