दिल से सोचना हमने जीवन मे क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया


एक बार एक संत ने अपने दो
     भक्तों को बुलाया और कहा आप
     को यहाँ से पचास कोस जाना है।
एक भक्त को एक बोरी खाने के
     समान से भर कर दी और कहा जो
     लायक मिले उसे देते जाना
और एक को ख़ाली बोरी दी उससे
      कहा रास्ते मे जो उसे अच्छा मिले
      उसे बोरी मे भर कर ले जाए।
दोनो निकल पड़े जिसके कंधे पर
     समान था वो धीरे चल पा रहा था
ख़ाली बोरी वाला भक्त आराम से
      जा रहा था
थोड़ी दूर उसको एक सोने की ईंट
     मिली उसने उसे बोरी मे डाल
     लिया
थोड़ी दूर चला फिर ईंट मिली उसे
     भी उठा लिया
जैसे जैसे चलता गया उसे सोना
     मिलता गया और वो बोरी मे भरता
     हुआ चल रहा था
और बोरी का वज़न। बड़ता गया
      उसका चलना मुश्किल होता गया
     और साँस भी चढ़ने लग गई
एक एक क़दम मुश्किल होता
     गया ।
दूसरा भक्त जैसे जैसे चलता गया
     रास्ते मै जो भी मिलता उसको
     बोरी मे से खाने का कुछ समान
     देता गया धीरे धीरे बोरी का वज़न
     कम होता गया
और उसका चलना आसान होता
     गया।
जो बाँटता गया उसका मंज़िल
     तक पहुँचना आसान होता गया
जो ईकठा करता रहा वो रास्ते मे
     ही दम तोड़ गया
दिल से सोचना हमने जीवन मे
     क्या बाँटा और क्या इकट्ठा किया
     हम मंज़िल तक कैसे पहुँच पाएँगे।

जिन्दगी का कडवा सच...
आप को 60 साल की उम्र के बाद
     कोई यह नहीं पूछेंगा कि आप का
     बैंक बैलेन्स कितना है या आप के
     पास कितनी गाड़ियाँ हैं....?

दो ही प्रश्न पूछे जाएंगे ...
     1-आप का स्वास्थ्य कैसा है.....?
         और
     2-आप के बच्चे क्या करते हैं....?

*किसी और का भेजा हुआ यह मैसेज*
    आपको भी अच्छा लगे तो
         ओरो को भी भेजें

क्या पता किसी की कुछ सोच
     बदल जाये।

प्यार बाटते रहो यही विनती है।

आदतें सुधार लिया जाए तो स्वभाव अपने आप सुधर जाएगा.

एक कहावत है कि आदतें आपका स्वभाव बनाती हैं। सुधार लिया जाए तो स्वभाव अपने आप सुधर जाएगा। जैसे कि आपको आइसक्रीम, मिठाई, शराब, चाट-पकौड़ी खाना, पिक्चर देखना इनमें से या अन्य कोई आदत है तो जब भी जहां भी मौका मिलेगा आपका झुकाव तुरन्त उस तरफ जाएगा और आदत पूजा पाठ करने, मंदिर मस्जिद जाने, नमाज पढऩे, इबादत करने की बनी हुई है। बड़़ों को इज्जत देने, उनसे अच्छा व्यवहार करने की आदत है तो आपका स्वभाव हमेशा आपको प्रेरित करेगा। आदत बात-बात में अपशब्दों को बोलने की है तो मौका, परिस्थिति देखें बगैर आपके मुख से अनचाहे अपशब्द निकल ही जाएंगे। इसलिए बुजुर्ग कहते हैं कि हमें अच्छी आदतें डालनी चाहिए वे हमारा स्वभाव बन जाएंगी।
छोटे बच्चे को माता पहले किसी भी काम या व्यवहार की आदत डालती है। धीरे-धीरे वह आदत उसमें इतनी रच बस जाती है कि वह स्वभाव बन जाती है। बच्चे को बार-बार याद नहीं दिलाना पड़ता कि यह करो, यह मत करो। वह स्वभाव वश वही करेगा जो उसे करना चाहिए। नेताओं की आदत होती है आश्वासन देने की तो हर मौके पर आश्वासन ही देते रहते हैं कभी बेमौके भी। जैसे कि एक नेता को उद्घाटन की फीता काटने की आदत सी थी। एक बार दूल्हा-दुल्हन का आशीर्वाद देने उन्हें बुलाया गया। उनके पास कैंची हमेशा रहती थी सो उन्होंने आदत स्वभाव वश दूल्हा-दुल्हन के गठजोड़े के बंधन को कैंची से काट दिया। बाद में उनकी समझ में आया तो बहुत शर्मिंदा हुए। बगलें झांकने लगे। हमारी दिनचर्या आदतों से चलती है फिर स्वभाव बन जाती है। कभी-कभी हम वह काम यंत्रवत से करते हैं। जैसे हम कोई मशीन हों। तो आइए हम कुछ अच्छी आदतों के बारे में सोचें। जैसे बड़ों का सम्मान करना, व्यायाम, मधुरवाणी का प्रयोग, संतुलित भोजन, स्वच्छता, सत्य बोलना जब तक कि झूठ बोलना किसी के हित में या सार्वजनिक हित में न हो। ईमानदारी, जवाबदारी, सतर्कता, सेवा, परहित के काम आदि ऐसे काम हैं जिन्हें हम अपनी आदतों में शुमार कर लें तो स्वहित और परहित का काम होगा। थोड़ा सा सकारात्मक चिन्तन और उस पर चलने से सब हो जाता है। हम कुछ करते हैं अपनी इच्छा अनुसार या चाहते हैं कि ऐसा हो पर होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है इसलिए कहा गया है कि इंसान चाहे तो क्या होता है, होता वही है जो मंजूरे खुदा होता है तो क्यों न अपनी इच्छाओं को ईश्वर पर छोड़ दें जो ठीक समझेंगे करेंगे और फिर हमें स्वीकार करना आना चाहिए। स्वीकार भाव से जीना इसे ही कहते हैं। हमारे चाहने और होने में हमेशा संघर्ष चलता है पर हम सिर्फ चाह सकते हैं फल भगवान के हाथ में है इसलिए कहा गया है इंसान को सिर्फ कर्म करना चाहिए वह भी सत्कर्म, फल भगवान के हाथ में छोड़ दो। वह देगा और जो देगा उचित ही देगा।
आज हमारे जीवन में इतनी विसंगतियां क्यों हैं? क्योंकि हम चाहते कुछ हैं बोलते कुछ हैं करते कुछ हैं कोई सामन्जस्य नहीं है तीनों में। यदि हम सही चाह रखें तो आगे सब ठीक होगा। पर हम अपनी इच्छाओं के घोड़ों को दौड़ाते रहते हैं बिना लक्ष्य के और जब वे पूरी नहीं होती तो निराश हो जाते हैं इसलिए मेरा सुझाव है कि सही सोच सही आदतें विकसित करें फिर यह हमारा स्वभाव हो जाएगा सही फल मिलेगा। यही मेरा संदेश है।
के.एल. बानी
वास्तुविद्

*अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !*

शख्सियत अच्छी होगी !
तभी दुश्मन बनेगे ,
वरना बुरे की तरफ , देखता ही कौन हैं !!
पत्थर भी उसी पेड़ पर फेंके जाते हैं, जो फलों से लदा होता है ,
देखा है किसी को सूखे पेड पर पत्थर फेंकते हुए.

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*पहाड चढने वाला व्यक्ती झुककर चलता है और ऊतरने वाला कडक चलता है |*
*कोई अगर इंसान झुककर चल रहा है मतलब ऊँचाई पर जा रहा है इंसान अकड कर चल रहा है, मतलब नीचे जा रहा है 


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|रिश्ते और बर्फ के गोले 
एक समान ही होते हैं...
जिसे बनाना तो आसान होता है
लेकिन बनाए रखना
बहुत मुश्किल होता हैं
दोनो को बचाए रखने का
बस एक ही तरीका है...
...शीतलता बनाए रखिऐ.


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लोहा नरम होकर औजार बन जाता है,
सोना नरम होकर जेवर बन जाता है !
मिट्टी नरम होकर खेत बन जाती है, 
आटा नरम होता है तो रोटी बन जाती है !
ठीक इसी तरह अगर इंसान भी नरम हो जाये तो लोगो की दिलों मे अपनी जगह बना लेता है !
सदैव बेहतर की उम्मीद करे ! 



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किसी के सरल स्वभाव को  कमज़ोरी न समझो,
संसार में पानी से अधिक सरल कुछ भी नहीं,
मगर उसका तेज़ बहाव बड़ी से बड़ी चट्टान को चूर चूर कर डालता है।

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जहाँ तुम हो,
          वहाँ तुम्हें सब प्यार करें
जहाँ से तुम चले जाओ,
           वहाँ तुम्हें सब याद करें
जहाँ तुम पहुँचने वाले हो,
           वहाँ सब तुम्हारा इंतजार करे


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"भाग्य" के दरवाजे पर
सर पीटने से बेहतर है,
"कर्मो" का तूफ़ान पैदा करे
सारे दरवाजे खुल जायेंगे.!
परिस्थितिया जब विपरीत होती है,
तब "प्रभाव और पैसा" नहीं
"स्वभाव और सम्बंध" काम आते है ॥


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"स्वभाव" रखना है तो उस "दीपक" की तरह रखो. , जो "बादशाह" के महल में भी उतनी "रोशनी" देता है,
जितनी किसी "गरीब" की "झोपड़ी" में_।।

  
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​​कोयल​ अपनी भाषा बोलती है,​
        ​इसलिये  ​आज़ाद​ रहती हैं.​
  ​किंतु  ​तोता​ दूसरे कि भाषा बोलता है,​
      ​इसलिए पिंजरे में जीवन भर​
                 ​​गुलाम​ रहता है.​
​अपनी ​भाषा,​​
        ​अपने ​विचार​ और​
               _​"अपने आप"​ पर विश्वास करें..!

*वह शब्द सही मायने मे परिवार है !!!*

जन्मदिन क्या है..??
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ये सवाल BBC World के एक प्रोग्राम में विश्व के तमाम बड़े VVIP की उपस्थिति में पूछा गया था..
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जिसका सबसे सुंदर जवाब डॉ अब्दुल कलाम जी ने दिया था.
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उन्होंने कहा था कि...
*जन्म दिन आपकी जिंदगी का एक मात्र वो दिन होता है जिस दिन आपके रोने की आवाज पर आपकी मां मुस्कराई थी*
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उसके बाद फिर ऐसा दिन कभी नहीं आता कि औलाद के रोने पर मां मुस्कराये.


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*एक रात मैं अपने कमरे में सो रहा था के अचानक मेरी आँख खुल गई ।सामने यमदूत को खड़ा देखा। मैंने पुछा यहाँ कैसे ?यमदूत ने कहा कि मैं तेरी माँ को लेने आया हुँ । मैं घबरा गया,दिल बैठ गया, आँखें नम हो गई । मैंने यमदूत से कहा, एक सौदा करते है, तुम माँ की जिदंगी बक्क्ष दो और मुझे ले चलो । यमदूत ने मुस्कुरा कर कहा मै लेने तो तुझे ही आया था पर तुझ से पहले ये सौदा तेरी माँ ने कर लिया*


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धरती  पर  प्यार  से  तीन  शब्दों    की  रचना  हुयी  है .......
1.   Boyfriend
2.   Girlfriend
3.   Family
किन्तु  एक  बात  ध्यान  देने             वाली  है  कि .....
Boyfriend   और
Girlfriend    इन  दो  शब्दों   के   
                  अन्तिम  तीन  अक्षर     से  बनता  है  "end" 
इसलिये  ये  सम्बन्ध  एक  दिन  ख़त्म   हो   जाते   हैं  परन्तु .....
तीसरा  शब्द  है  :
FAMILY  =  FAM  +  ILY     
जिसके  पहले  तीन  अक्षर  से     बनता  है :
Fam = Father  And  Mother 
आैर  अन्तिम  तीन  अक्षर  से :
ily  =  I  Love  You
अत:  जिस  शब्द   का   आरम्भ पिता  एंव  माता  से  और  अन्त   प्यार  के  साथ  हो,  वह   शब्द    सही  मायने  मे  परिवार  है !!!

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*परणित पुरुष ने वाँचवा अने वंचावालायक*

*किन किन रिश्तों में पुरुष का नाम पहले आता है*

किन किन रिश्तों में पुरुष का नाम पहले आता है
दादा.दादी
नाना.नानी
मामा.मामी
काका .काकी
भइया.भाभी
पती.पत्नी
लेकिन सिर्फ एक रिश्ता है ऐसा है
जिसमे पुरुष बाद में आता हैऔर वो है
माँ बाप का
माँ-बाप साक्षात भगवान का रूप होते है ,
क्योंकि भगवान के ही नामों मे
पहले स्त्री का नाम आता है ,
जैसे....
गौरी शंकर , लक्ष्मी नारायण ,सीता राम ,राधे कृष्ण...
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मा विशे सुवाक्यो.

*जिंदगी में आप बेफिक्र होकर क्यों नहीं रहते जबकि आप जानते हैं कि जिंदगी चलाने वाला भगवान*


आप हवाई जहाज में बेफिक्र होके बैठते हैं जबकि आप पायलट को जानते तक नहीं
 आप जहाज में बेफिक्र हो कर बैठते है जबकि आप केप्टन को जानते तक नहीँ

 आप बस में भी बेफिक्र होकर सवारी करते हैं जबकि बस ड्राइवर को आप पहचानते तक नहीं

ट्रेन में भी आप बेफिक्र होकर यात्रा करते हैं जबकि मोटरमैन को आप जानते तक नहीं

फिर जिंदगी में आप बेफिक्र होकर क्यों नहीं रहते जबकि आप जानते हैं कि जिंदगी  चलाने वाला भगवान हैं 



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आज मंदिर में बहुत भीड़ थी, एक  *विदेशी लड़की दर्शन* के लिए लगी लम्बी लाइन को अचरज से देख रही थी, *तभी एक पंडित जी आये और बोले :~* बहुत लम्बी कतार है, ऎसे दर्शन नही हो पाएंगे, *501* रू. मे *VIP* पास ले लो, जल्दी दर्शन करवा दूंगा !
*विदेशी *लड़की बोली :~* मै 5100 दूंगी, भगवान से कहो बाहर आकर मिल लें !
*पंडित जी बोले :~* मजाक करती हो, भगवान भी कभी मंदिर से बाहर आते हैं क्या ?
*विदेशी लड़की फिर बोली :~* मै 51000 दूंगी, उनसे कहो, मुझ से मेरे घर पर आकर मिल लें !
*पंडितजी:~* (गुस्से मे) : तुमने भगवान को समझ क्या रखा रखा है !

*विदेशी लड़की :~ वही तो मै भी पूछना चाहती हूं, आपने भगवान को समझ क्या रखा है ?*
वैज्ञानिक तर्क सफल जीवन का मूल आधार हैं
इसलिए बुद्ध कहते हैं -
जो तर्क नही करता वह धर्म में अँधा हैं , जो तर्क नही कर सकता वो मुर्ख हैं और जो तर्क-वितर्क करने का साहस ही नही कर सकता वो मानसिक ग़ुलाम हैं ।



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          सारा जहा उसी का है
             जो मुस्कुराना जानता है
         रोशनी भी उसी की है जो शमा
                 जलाना जानता है
      हर जगह मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे है।
      लेकीन इश्वर तो उसीका है जो
            "सर" झुकाना जानता है!



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*पेड़ के नीचे रखी भगवान की टूटी मूर्ति को देख कर समझ आया,*
*कि..*
*परिस्थिति चाहे कैसी भी हो,*
*पर कभी ख़ुद को टूटने नही देना..*
*वर्ना ये दुनिया जब टूटने पर भगवान को घर से निकाल सकती है तो फिर हमारी तो औकात ही क्या है।*



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          *अच्छे लोगों की भगवान*
             *परीक्षा बहुत लेता है,*
          *परन्तु साथ नहीं छोडता,*
             
                      *और*
           *बुरे लोगों को भगवान*
              *बहुत कुछ देता है,*
           *परन्तु साथ नहीं देता|*


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" ईश्वर तो दिखाई भी
नहीं देते …
विश्वास कैसे करूँ ?"
सुदंर जवाब मिला …
"श्रद्धा वाई-फ़ाई
कि तरह होती है …
दिखती तो नहीं है …             
पर सही पासवर्ड डालो
तो कनेक्ट हो जाते हो "

                     
        



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         ; _*पावों में यदि जान हो*_
                     _*तो*_
        _*मंजिल तुमसे दूर नहीं।*_
        _*आँखों में यदि पहचान हो,*_
                     _*तो*_
          _*इंसान तुमसे दूर नहीं।*_
         _*दिल में यदि स्थान हो*_
                     _*तो*_
         _*अपने तुमसे दूर नहीं।*_
         _*भावना में यदि जान हो,*_
                    _*तो*_
         _*भगवान तुमसे दूर नहीं।*_