रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं..!!

रोज़ याद न कर पाऊँ तो खुदग़रज़ ना समझ लेना दोस्तों
दरअसल छोटी सी इस उम्र मैं परेशानियां बहुत हैं..!!
मैं भूला नहीं हूँ किसी को...
मेरे बहुत अच्छे दोस्त है ज़माने में ..
बस थोड़ी जिंदगी उलझी पड़ी है....
अच्छा भविष्य बनाने में।. . .






जो लड़किया कम कपड़े पहनती है, उनके लिये एक पिता की ओर से समर्पित.


जो लड़किया कम कपड़े पहनती है, उनके लिये एक पिता की ओर से समर्पित :-
एक लड़की को उसके पिता ने iphone गिफ्ट किया..
दूसरे दिन पिता ने लड़की से पुछा, बेटी iphone मिलने के बाद सबसे पहले तुमने क्या किया?
लड़की :- मैंने स्क्रेच गार्ड और कवर का आर्डर दिया...
पिता :- तुम्हें ऐसा करने के लिये किसी ने बाध्य किया क्या?
लड़की :- नहीं किसी ने नहीं।
पिता :- तुम्हें ऐसा नही लगता कि तुमने iPhone निर्माता की बेइज्जती की हैं?
बेटी :- नहीं बल्कि निर्माता ने स्वयं कवर व स्क्रेच गार्ड लगाने के लिये सलाह दी है...
पिता :- अच्छा तब तो iphone खुद ही दिखने मे खराब दिखता होगा, तभी तुमने उसके लिये कवर मंगवाया है?
लड़की :- नहीं, बल्कि वो खराब ना हो इसीलिये कवर मंगवाया है..
पिता :- कवर लगाने से उसकी सुन्दरता में कमी आई क्या?
लड़की :- नहीं, इसके विपरीत कवर लगाने के बाद iPhone ज्यादा सुन्दर दिखता है..
पिता ने बेटी की ओर स्नेह से देखते कहा....
बेटी iPhone से भी ज्यादा कीमती और सुन्दर तुम्हारा शरीर है और इस घर की और हमारी इज्जत हो तुम,
उसके अंगों को कपड़ों से कवर करने पर उसकी सुन्दरता और निखरेगी...
बेटी के पास पिता की इस बात का कोई जवाब नहीं था, सिर्फ आँखों में आँशुओं के अलावा ।

भारतीय संस्कृति, संस्कार ओर अस्मिता को बनाए रखे।। 

कल जो वो नासमज बहेन की पढाई के खिलाफ था, आज बीवी के इलाज के लिए लेडी डोक्टर ढूढता है..!

मेरी बाकी उंगलियां
उस उंगली से जलती है,
जिस उंगली को पकड़कर,
मेरी बेटी चलती है...!!!



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"कल जो वो नासमज बहेन की पढाई के खिलाफ था, आज बीवी के इलाज के लिए लेडी डोक्टर ढूढता है..!  
                                        
"'बेटी बचाओ, बेटी पढाओ..!'

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बेहतरीन शब्द.....

"जब मैंने जन्म लिया,वहां "एक नारी" थी जिसने मुझे थाम लिया......
     
                        || मेरी माँ ||

बचपन में जैसे जैसे मैं बड़ा होता गया "एक नारी" वहां मेरा ध्यान रखने और मेरे साथ खेलने के लिए मौजूद थी.....
                  || मेरी बहन ||

जब मैं स्कूल गया "एक नारी" ने मुझे पढ़ने और सिखने में मदद की......
                || मेरी शिक्षिका ||
जब भी मै जीवन से निराश और हताश हुआ और जब भी हारा तब "एक नारी" ने मुझे संभाला ...
              || मेरी महिला मित्र ||
जब मुझे सहयोग,साथी और प्रेम की आवश्यकता हुई तब "एक नारी" हमेशा मेरे साथ थी.....
              || मेरी पत्नी ||

जब भी मैं जीवन में कठोर हुआ तब "एक नारी" ने मेरे व्यवहार को नरम कर दिया.....
              ||मेरी बेटी||

जब मैं मरूँगा तब भी "एक नारी" मुझे अपने गोद में समा लेगी.......
              || धरती माँ ||
यदि आप पुरुष हैं तो हर नारी का सम्मान करें.....और यदि आप महिला हैं, उन में से एक होने पर गर्व  करे...

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क्या खूब लिखा है एक पिता ने…
हमें तो सुख मे साथी चाहिये
दुख मे तो…
हमारी "बेटी" अकेली ही काफी है…

शौचालयों स्वच्छता के नारे - ये शौचालयों के नारें है जो बिलकुल नये है- सभी को एकबार जरुर सुनाओ ।।

शौचालयों स्वच्छता के नारे -

ये शौचालयों के नारें  है जो बिलकुल नये
है- सभी को एकबार जरुर सुनाओ ।।

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घर मै फ्रिज है घर मै टी बी
  शौच को बाहर जाती बीबी
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सौ बीघा है घर मै खेती
बाहर शौच को जाती बेटी
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घर बनवाया कितना सुंदर
शौचालय ना घर के अंदर
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लाखों के पहनें है गहने
बाहर शौच को जाती बहने
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घर मै बहू करे मर्यादा
बाहर बदन दिखाये आधा
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शौचालय है शान हमारी
छू मंतर होती बीमारी
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गांव गांव की हालत ऐसी
बीच सडक पर बेटी बैठी
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गाॅव मै जब होता अँधियारा
महिला देखे सडक किनारा
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शौचालय बन वालो भईया
शासन दे रही खूब रुपैया
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बाहर नही शौच को जाना
शौचालय अपना बनवाना
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बाहर शौच काम है गंदा
बंद करो ये मिलकर धंदा
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करते काम सभी ये खोटा
जाव ना बाहर लेकर लोटा
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अपनी इज्जत आप बचाओ
नही शौच को बाहर जाओ
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बाहर शौच है सोच पुरानी
बदल के लिखे दो नई कहानी
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रहन सहन घर का सब बदला
बाहर शौच ना जाना बदला
×××××××××××××××××××+

नई रजाई नया है गद्दा
बदला नही शौच का अडडा
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बहू ब्याह कर घर मै लाये
पर शौचालय नही बनाये
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सोच अभी है बही पुरानी
बाहर शौच जाये बहू रानी
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बैठी बीच सडक पर चाची
आया कोई उठी हगासी
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घर मै आई नई फटफटिया
शौच कोई जाती बाहर बिटिया
×××××××××××××××××××××
  

शौचालय है बहुत जरूरी
पंचायत देती मंजूरी
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शौचालय तुम खुद बनवाओ
बाहर हजार रूपया पाओ
×××××××××××××××××
बारह हजार की मिलती राशि
फौरन खाते मै आ जाती
××××××××××××××××××××
पंचायत को देना खाता
आपका रूपया बैंक मै आता
×××××××××××××××××××
  
नही बीच मै कोई दलाल
छीन ना पाये कोई माल
×××××××××××××××××
जिसके घर मै बनी ना टट्टी
उससे सब कोई करना कट्टी
××××××××××××××××××
  
सबको शौक पडी गहनों की
बाहर इज्जत जाये बहनों की
×××××××××××××

गुरु ही ब्रम्हा गुरु ही विष्णु गुरु देवो महेश्वरः , गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः

*गुरुपूर्णिमा पर विशेष-------*


*( गुरु+पूर्ण+माँ )*
                  *अर्थात*
 *सर्वप्रथम: माँ ही पूर्ण गुरु है*


*धन्य है वो लोग जो गुरु के संपर्क मे है तथा उनके सानिध्य में जीवन मे कुछ ज्ञान और शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिला।*
*गुरु शब्द और गुरु का जीवन समुद्र की गहराई है जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है।*

"सब धरती कागज करूँ
लिखनी सब वनराय
सात समुंदर मसि करूँ 
गुरु गुण लिखा ना जाये"

*गुरु का महत्व -*
सात द्वीप नौ खंड में 
गुरु से बड़ा ना कोय ।
करता करे न कर सके 
गुरु करे सो होय ।

*गुरु का हाथ पकड़ने की बजाय अपना हाथ गुरु को पकड़ा दो क्योंकि हम गुरु का हाथ गलती से छोड़ सकते हैं, किन्तु........*
*गुरु हाथ पकड़ेंगे तो कभी नहीं छोड़ेंगे*

गुरु ही ब्रम्हा गुरु ही विष्णु गुरु देवो महेश्वरः ।।
गुरु ही साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवै नमः ।।

*गुरु के बिना ज्ञान अधूरा है , गुरु ही हमें सही राह दिखाते है ।*
*इसलिए हमें गुरु की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए ।।*
*प्रभु श्रीराम एवं श्री कृष्ण को भी गुरु के पास शिक्षा प्राप्त करना पड़ी थी।*
*गुरु भक्ति के कई उदाहरण हमारे ग्रंथों में हैं ।।*







*गुरु ही मीत है*
                     *गुरु ही प्रीत है*
*गुरु ही जीवन है*
                     *गुरु ही प्रकाश है*
*गुरु ही सांस है*
                     *गुरु ही आस है*
*गुरु ही प्यास हैै*
                     *गुरु ही ज्ञान है*
*गुरु ही ससांर है*
                     *गुरु ही प्यार है*
*गुरु ही गीत है*
                     *गुरु ही संगीत है*
*गुरु ही लहर है*
                     *गुरु ही भीतर है*
*गुरु ही बाहर है*
                     *गुरु ही बहार है*
*गुरु ही प्राण है*
                     *गुरु ही जान है*
*गुरु ही संबल है*
                     *गुरु ही आलंबन है*
*गुरु ही दर्पण है*
                     *गुरु ही धर्म है*
*गुरु ही कर्म है*
                     *गुरु ही मर्म है*
*गुरु ही नर्म है*
                     *गुरु ही प्राण है*
*गुरु ही जहान है*
                     *गुरु ही समाधान है*
*गुरु ही आराधना है*
                     *गुरु ही उपासना है*
*गुरु ही सगुन है*
                     *गुरु ही निर्गुण है*
*गुरु ही आदि है*
                     *गुरु ही अन्त हैै*
*गुरु ही अनन्त है*
                     *गुरु ही विलय है*
*गुरु ही प्रलय है*
                     *गुरु ही आधि है*
*गुरु ही व्याधि है*
                     *गुरु ही समाधि है*
*गुरु ही जप है*
                     *गुरु ही तप है*
*गुरु ही ताप है*
                     *गुरु ही यज्ञः है*
*गुरु ही हवन है*
                     *गुरु ही समिध है*
*गुरु ही समिधा है*
                     *गुरु ही आरती है*
*गुरु ही भजन है*
                     *गुरु ही भोजन है*
*गुरु ही साज है*
                     *गुरु ही वाद्य है*
*गुरु ही वन्दना है*
                     *गुरु ही आलाप है*
*गुरु ही प्यारा है*
                     *गुरु ही न्यारा है*
*गुरु ही दुलारा हैै*
                     *गुरु ही मनन है*
*गुरु ही चिंतन है*
                     *गुरु ही वंदन है*
*गुरु ही चन्दन है*
                     *गुरु ही अभिनन्दन है*
*गुरु ही नंदन है*
                     *गुरु ही गरिमा है*
*गुरु ही महिमा है*
                     *गुरु ही चेतना है*
*गुरु ही भावना है*
                     *गुरु ही गहना है*
*गुरु ही पाहुना है*
                     *गुरु ही अमृत है*
*गुरु ही खुशबू है*
                     *गुरु ही मंजिल है*
*गुरु ही सकल जहाँ है*
                     *गुरु समष्टि है*
*गुरु ही व्यष्टि है*
                     *गुरु ही सृष्टी है*
*गुरु ही सपना है*
                     *गुरु ही अपना है*
करता करे ना कर सके,
    गुरु करे सब होय।
सात द्वीप नौ खंड में,
    गुरु से बड़ा ना कोय ।।
सात संमुद्र की मसीह करु,
लेखनी सब वनराय।
सब धरती कागज करु पर,
गुरु गुण लिखा ना जाय ।।
गुरु को पारस जानिए, करे लौह को स्वर्ण.
शिष्य और गुरु जगत में, केवल दो ही वर्ण..
*
संस्कार की सान पर, गुरु धरता है धार.
नीर-क्षीर सम शिष्य के, कर आचार-विचार..
*
माटी से मूरत गढ़े, सद्गुरु फूंके प्राण.
कर अपूर्ण को पूर्ण गुरु, भव से देता त्राण..
*
गुरु से भेद न मानिये, गुरु से रहें न दूर.
गुरु बिन 'सलिल' मनुष्य है, आँखें रहते सूर
गुरु पूर्णिमा की आप सभी को अनंत बधाई
गुरु गोविन्द दोऊ ख़ड़े काके लागो पाय।
बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय॥
     ब्रह्मा बनकर अपने शिष्य में सदगुणों का सृजन करना। बिष्णु बनकर उसके सदगुणों, सदप्रवृत्तियों का रक्षण और पालन करना।
महेश बनकर उसमे शेष दुष्प्रवृतियों का नाश करना और शिष्य को उसके साक्षात ब्रह्म स्वरुप का आभास करा देने वाले ऐसे प्रज्ञा पुरुष के प्रति कृत्य - कृत्य हो जाने वाला महापर्व ही गुरु पूर्णिमा है।
    
जगत में कुशलता पूर्वक चलना सिखाए वो गुरु और जगत से कुशलता पूर्वक चलाकर जगदीश तक पहुँचा दे वो सद्गुरु है।
शूल से फूल, कंकड़ से कंचन, और भोगवान से भगवान बनाने वाले ऐसे सदगुरु देव के चरणों में बारम्बार प्रणाम है।
भारत के सभी पूज्य संतों और गुरुओं के चरणों में वंदन, उनका निरंतर आशीर्वाद और सान्निध्य हम सबको
          
            "पानी" के बिना
            "नदी" बेकार है,
           "अतिथि" के बिना
            "आँगन" बेकार है,
             "प्रेम" ना हौ तो
         "सगेसम्बन्धी"बेकार है,
                   *और*
         जीवन में "गुरु" ना हौ तो
             "जीवन" बेकार है।
                *इसलिये*
       जीवन में "गुरु" ज़रूरी है
पर गुरुर नही.
जय माता जी,

घमंड से अपना *सर* ऊँचा न करे... जीतने वाले भी .... अपना *गोल्ड मैडल*... सिर झुका के हासिल करते है


घमंड से अपना *सर* ऊँचा न करे...
जीतने वाले भी ....
अपना *गोल्ड मैडल*...
सिर झुका के हासिल करते है




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आहिस्ता से पढना- पछतायेगा कौन ? 
एक वाक्य भी दिल में बैठ गया तो कविता सार्थक हो जायेगी -
मैं रूठा ,
      तुम भी रूठ गए
                      फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है ,
           कल खाई होगी
                           फिर भरेगा कौन ?
मैं चुप ,
     तुम भी चुप
          इस चुप्पी को फिर तोडे़गा कौन ?
छोटी बात को लगा लोगे दिल से ,
                 तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
दुखी मैं भी और  तुम भी बिछड़कर ,
                   सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी ,
       न तुम राजी ,
             फिर माफ़ करने का बड़प्पन
                                       दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी ,
                        तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहम् मेरे ,
       एक तेरे भीतर भी ,
               इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
              फिर इन लम्हों में अकेला
                                     रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन
           एक ने आँखें....
                तो कल इस बात पर फिर
                                      पछतायेगा कौन ?




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      *कोई आपके लिए रूपये*
               *खर्च करेगा तो कोई*
                *समय खर्च करेगा,*
             *समय खर्च करने वाले*
         *व्यक्ति को हमेशा अधिक*
              *महत्व और सम्मान*
                 *देना क्योंकि...*
           *वह आपके पीछे अपने*
           *जीवन के वो पल खर्च*
          *कर रहा है जो उसे कभी*
             *वापिस नही मिलेंगे !!*



*अभिमान तब आता है*
*जब हमे लगता है हमने कुछ काम किया है,*
                *और* .. .. ..
    *सम्मान तब मिलता है .. .. ..*
*जब दुनिया को लगता है,*
*कि आप ने कुछ महत्वपूर्ण काम किया है ।।*



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रेती मा पडेली खाँड़ कीडी वीणी शके पण हाथी नही
तेथी क्यारेय नाना माणस ने नानों न गणवो,
क्यारेक नानों माणस मोटु काम करी जाय छे,

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दर्पण जब चेहरे का दाग दिखाता है,
तब हम दर्पण नहीं तोडते बल्कि दाग साफ करते हैं।
उसी प्रकार हमारी कमी बताने वाले पर क्रोध करने के बजाय कमी दूर करना श्रेष्ठ है।  







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"मनुष्य कितना भी गोरा क्यों ना हो परंतु उसकी
परछाई सदैव काली होती है...!!
"मैं श्रेष्ठ हूँ" यह आत्मविश्वास है
लेकिन....
"सिर्फ मैं ही श्रेष्ठ हूँ"यह अहंकार है !


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            "अंहकार" और "पेट"
               जब बढ़ जाता है,
                  तो 'इंसान....
                चाह कर भी
        "गले" नहीं मिल सकता..!!"
       
      





   
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          "कर्म" एक ऐसा रेस्टोरेंट है ,
               जहाँ ऑर्डर देने की
                  जरुरत नहीं है
             हमें वही मिलता है जो
                 हमने पकाया है।
         
            जिंदगी की बैंक में जब
             " प्यार " का " बैलेंस "
                 कम हो जाता है
             तब " हंसी-खुशी " के
           चेक बाउंस होने लगते हैं।
                 इसलिए हमेशा
                 अपनों के साथ
           नज़दीकियां बनाए रखिए ।
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*"रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,*
*"लेकिन मुस्कुराने से...*
*पराये भी अपने हो जाते हैं !*
*"मुझे वो रिश्ते पसंद है,*
*"जिनमें " मैं " नहीं " हम " हो !!*
*"इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही,*
*"उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही..!!*
          .
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                *घमंड* और *पेट*
                जब ये दोनों बढतें हैं..
          तब *इन्सान* चाह कर भी 
       किसी को गले नहीं लगा सकता..
      जिस प्रकार नींबू के रस की एक बूँद
     हज़ारों लीटर दूध को बर्बाद कर देती है...
                     ...उसी प्रकार...
                  *मनुष्य* *का* *अहंकार*
              भी अच्छे से अच्छे संबंधों को
                     बर्बाद कर देता है".!!!
      
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: *" नफरतों में क्या रखा हैं ..,*
*मोहब्बत से जीना सीखो..,*
            *क्योकि*
*ये दुनियाँ न तो हमारा घर हैं ...*
                *और ...*
*न ही आप का ठिकाना ..,*
*याद रहे !                                        .       दूसरा मौका सिर्फ*                            
*कहानियाँ देती हैं , जिन्दगी नहीं....*..                                .                         *मानव कितने भी प्रयत्न कर ले* 
            *अंधेरे में छाया*
            *बुढ़ापे में काया*
                    *और*
          *अंत समय मे माया*
       *किसी का साथ नहीं देती*
             
     *""सदा मुस्कुराते रहिये""*

*हर चीज़ की कीमत समय आने पर ही होती है,*

*हर चीज़ की कीमत समय आने पर ही होती है,*
*मुफ्त में मिलता हुआ ये ओक्सिजन, अस्पताल में बहुत महंगा बिकता है।।*



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*नदी* का पानी *मीठा* होता है क्योंकि
              वो पानी *देती* रहती है।
*सागर* का पानी *खारा* होता है क्योंकि
             वो हमेशा *लेता* रहता है।
*नाले* का पानी हमेशा *दुर्गंध* देता है क्योंकि
              वो *रूका* हुआ होता है।
           *यही जिंदगी है*
*देते रहोगे* तो सबको *मीठे* लगोगे।
*लेते रहोगे* तो *खारे* लगोगे।और
अगर *रुक गये* तो सबको *बेकार* लगोगे।
    
निष्कर्ष : *सत्कर्म ही जीवन है।*


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         अमीर के जीवन में जो
                    महत्व
       ""सोने""    की      ""चैन""
                का होता है
        गरीब के जीवन में वही
                    महत्व
         ""चैन""   से    ""सोने ""
               का होता है