अभिमन्यु की एक बात बड़ी शिक्षा देती हैं .. -हिम्म्त से हारना- मगर -हिम्मत मत हारना-

जीत निश्चित हो तो,
कायर भी जंग लड़ लेते है...
बहादुर तो वो लोग है,
जो हार निश्चित हो फिर भी मैदान नहीं छोड़ते...
भरोसा "ईश्वर" पर है,
तो जो लिखा है तकदीर में, वो ही पाओगे...
मगर, भरोसा अगर "खुद" पर है,
तो ईश्वर  वही लिखेगा, जो आप चाहोगे...



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अभिमन्यु की एक बात
बड़ी शिक्षा देती हैं ..
-हिम्म्त  से  हारना-
           मगर
-हिम्मत  मत  हारना-



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हमे हारने का शोख नहीँ
बस हम खेलते हे उस अंदाज से की लोग मैदान छोड देते हैं..!! 

वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!


आगे सफर था और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हमसफर छूट जाता..






मंजिल की भी हसरत थी और उनसे भी मोहब्बत थी..



ए दिल तू ही बता,उस वक्त मैं कहाँ जाता...


मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हमसफर भी था
रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते....




यूँ समँझ लो,
प्यास लगी थी गजब की...
मगर पानी मे जहर था...



पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते.






बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!





वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!!
सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!!






सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।।
आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।।






"हुनर" सड़कों पर तमाशा करता है और "किस्मत" महलों में राज करती है!!








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"शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता"..
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!!
जवानी का लालच दे के बचपन ले गया....
अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. .......




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आप कितने भी पवित्र शब्द
               पढ ले या बोल लें
        वो आपका भला नही करेंगे
                 जब तक आप
उन्हें उपयोग में नही लाते ।।


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आज जब आप उठ रहे थे , कोई अपनी आखिरी साँसे ले रहा था….
एक और दिन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दीजिये। इसे बर्वाद मत करिये।


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आज जब आप उठ रहे थे , कोई अपनी आखिरी साँसे ले रहा था….
एक और दिन के लिए ईश्वर को धन्यवाद दीजिये। इसे बर्वाद मत करिये।


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अपनी गलतियो को स्वीकारना एवं उन्हे सुधारना, जीवन मे सफलता की पहली सीढी है,
और परस्पर सम्बन्धो को सहज एवं सरल रखने का सर्वोत्तम मंत्र है ।





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एक "इच्छा" कुछ नहीं बदलती,
एक  "निर्णय" कुछ बदलता है ,
लेकिन....                     
एक "निश्चय" सब कुछ बदल देता है| 



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जीवन के  तीन मंत्र
 *आनंद में- वचन मत दीजिये*
*क्रोध  में - उत्तर मत दीजिये*
*दुःख में - निर्णय मत लीजिये*

मघसॅ डे ने उजववा करतां ते मघर साथे अडघो कलाक पसार करशो तो पण तेना जीवनमां उत्सव जेवुं वातावरण रहेशे.

मातृशकितने सलाम :
आजे '' मघॅस डे '' छे. कवि कहे छे: ' हे मानवी शीतळता मेळववाने माटे दोडादोड शानी करे छे ? साची शीतळता तो मानी गोदमां ज छे, जे हिमालयनी टोच पर पण नथी. '
गुजराती कवि बोटादकरे मातृवंदनानुं अदभूत काव्य '' जननीनी जोड सखी नहीं मळे रे लोल '' ललकायुॅ छे. तो मां ते मां बीजा बघा वगडाना वा जेवी देशी कहेवत पण ओछा शब्दोमां मानो महिमा समजावी जाय छे.
तो मात्र मानी खुशी अने आनंद माटे अने उसत्वोना घजागरा छोडीने साचा मनथी तेने भेटजो.. तेने ऐक वखत कहेजो के तमे तेने चाहो छो...तमारा जीवनमां तेनुं स्थान विशेष छे... पछी मने नथी लागतुं के, भेट सोगादो के केक लाववाना घतिंग करवानी जरुर पडे. मघसॅ डे ने उजववा करतां ते मघर साथे अडघो कलाक पसार करशो तो पण तेना जीवनमां उत्सव जेवुं वातावरण रहेशे. कारण के ऐकाद दिवसनी उजवणीथी आ अमूल्य ऋुण उतरे ऐवुं नथी. आ प्रसंगे कवि अनिल चावडानी रचना याद आवे छे...
'' दिकरा साथे रहेवा मा ह्रदयमां हषॅ राखे छे.
  दिकरो बिमार मा माटे अलगथी नसॅ राखे छे.
  सहेज अडतामां ज दु:खो सामटा थई  जाय छे गायब.
  मा हथेळीमां सतत जादुई ऐवो स्पशॅ राखे छे.

जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है।

रुलाना हर किसी को आता है,
हँसाना भी हर किसी को आता है,
रुला के जो मना ले वो "पापा"  है,
और जो रुला के खुद भी रो पड़े वही "माँ" है।



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आज लाखो रुपये
बेकार है
वो एक रुपये के सामने
जो MAA स्कूल जाते वक्त देती थी
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-माँ-
माँ एक ऐसा शब्द हैं,
जिसे सिर्फ़ बोलने से ही अपने हृदय में प्यार और ख़ुशी की लहर आ जाती हैं...





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"माँ" तू है, तो हम है...
"माँ" एक रिश्ता नहीं एक अहसास है,
भगवान मान लो या खुदा,
खुद वो माँ के रूप में हमारे आस पास है..
मारी वन्दनीय माँ अने मारा तमाम मित्रो ना माँ ने मारा प्रणाम..




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माँ है तो लोरी है
शगुन है
माँ है तो गीत है
उत्सव है
माँ है तो मंदिर है
मोक्ष है
माँ है तो मुमकिन है शहंशाह होना,
माँ के आँचल से बड़ा
दुनिया में कोई साम्राज्य नहीं




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I A S के साक्षात्कार में एक सवाल पूछा गया
यदि गर्दन नीची कर आपको खाने को कहा जाय
हर रोज अलग-अलग महिलाऐ बिना बोले आपको खाना परोसे..और ये पता लगाना हो कि आपकी मां ने किस दिन खाना परोसा तो...आपके पास क्या आधार है..?
" जिस दिन आधी रोटी मांगने पर भी,पूरी रोटी थाली में आ जाए तो समझ लूंगा
आज मां ने ही परोसा है ।"


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प्रेम से जो देती है वो बहन है,
लड़ झगड़ के जो देता है वो भाई है,
पूछ कर जो देता है वो पिता है,
बिना मांगे जो सब कुछ दे दे, वो माँ है।   

       

लाइन छोटी है पर मलतब बहुत बड़ा है.

लाइन छोटी है पर मलतब बहुत बड़ा है..
उम्र भर उठाया बोझ उस ''खीली'' ने..
और लोग तारीफ़ ''तस्वीर'' की करते रहे..



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❛"मतलब की बात
         सब समजते है,
     "सही बात का मतलब
        कोइ नहि समजता"




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कीसीकी तलाश मे मत नीकलो..
लोग खो नही - बदल जाते हे
छोटे थे तब सब नाम से बुलाते थे ,
बड़े हो गये तो बस काम से बुलाते हे..!!



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सब फ़साने हैं दुनियादारी के,
किस से किस का सुकून लूटा है;
सच तो ये है कि इस ज़माने में,
मैं भी झूठा हूँ तू भी झूठा है।



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(1)
“मतलब” का वजन बहुत ज्यादा होता है,
तभी तो “मतलब” निकलते ही रिश्ते हल्के हो जाते है.
                                   
(2)
जब कोई दिल दुखाये तो बेहतर है चुप रहना चाहिये...
.
क्योंकि...
.
जिंन्हें हम जवाब नहीं देते.. उन्हें वक़्त जवाब देता हैं...



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कितने झूठे हो गये है हम.......
बचपन में अपनों से
भी रोज रुठते थे, आज दुश्मनों से भी
मुस्करा के मिलते है.!!