पानी तेरे कितने नाम.- आकाश से गिरे तो........ बारिश, आकाश की ओर उठे तो............. भाप,

पानी तेरे कितने नाम..........
आकाश से गिरे तो........
बारिश,
आकाश की ओर उठे तो.............
भाप,
अगर जम कर गिरे तो...............
ओले,
अगर गिर कर जमे तो..............
बर्फ,
फूल पर हो तो...............
ओस,
फूल से निकले तो................
इत्र,
जमा हो जाए तो...............
झील,
बहने लगे तो...........................
नदी,
सीमाओं में रहे तो..................
जीवन,
सीमाएं तोड़ दे तो....................
प्रलय,
आँख से निकले तो................
आँसू,
शरीर से निकले तो................
पसीना,
और
श्री हरी के चरणों को छू कर निकले तो...........
चरणामृत
( विश्व जल दिवस पर समर्पित )

एक ही दुश्मन से बार बार नहीं लड़ना चाहिए

नेपोलियन बोनापार्ट ने कहा था......आपको एक ही दुश्मन से बार बार नहीं लड़ना चाहिए, वरना आप अपने तमाम युद्ध कौशल उसे सिखा देंगे!
पति पत्नी के संबंधो में भी यही होता है दोनों योद्धा एक दुसरे के वारो से इतना परिचित होते हैं कि.............
युद्ध चलता रहता है ....हल कुछ नहीं निकलता !!!!!


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आज खुला दुश्मन के पीछे दुश्मन थे


और वो लश्कर इस लश्कर की ओट में था

ग़ुलाम हुसैन साजिदग़ज़ल देखिए

अजब हरीफ़ था मेरे ही साथ डूब गया


मिरे सफ़ीने को ग़र्क़ाब देखने के लिए

इरफ़ान सिद्दीक़ीग़ज़ल देखिए

'अर्श' किस दोस्त को अपना समझूँ


सब के सब दोस्त हैं दुश्मन की तरफ़

 दोस्त

अर्श मलसियानीग़ज़ल देखिए

बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं


मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले

 मोहब्बत, दोस्त, बहार

कलीम आजिज़

दिन एक सितम एक सितम रात करो हो


वो दोस्त हो दुश्मन को भी तुम मात करो हो

 दोस्त

कलीम आजिज़ग़ज़ल देखिए

दोस्ती जब किसी से की जाए


दुश्मनों की भी राय ली जाए

 दोस्त, फ़ेमस, दोस्ती

राहत इंदौरी

दोस्ती की तुम ने दुश्मन से अजब तुम दोस्त हो


मैं तुम्हारी दोस्ती में मेहरबाँ मारा गया

 दोस्ती

इम्दाद इमाम असरग़ज़ल देखिए

दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो


दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी

 दोस्त

जान काश्मीरीग़ज़ल देखिए

दोस्तों से इस क़दर सदमे उठाए जान पर


दिल से दुश्मन की अदावत का गिला जाता रहा

 दोस्त

हैदर अली आतिशग़ज़ल देखिए

दुनिया में हम रहे तो कई दिन प इस तरह


दुश्मन के घर में जैसे कोई मेहमाँ रहे

 दुनिया, मेहमान

क़ाएम चाँदपुरीग़ज़ल देखिए

दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं


दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं

 दोस्त, वफ़ा

हफ़ीज़ बनारसीग़ज़ल देखिए

दुश्मनों ने जो दुश्मनी की है


दोस्तों ने भी क्या कमी की है

 दोस्त, दुशमनी, दोस्ती

हबीब जालिबग़ज़ल देखिए

दुश्मनों से पशेमान होना पड़ा है


विद्रोह का अर्थ

विद्रोह का अर्थ 


विद्रोह धर्म की आत्मा है। विद्रोह का अर्थ है: समाज से, संस्कार से, शास्त्र से, सिद्धांत से, शब्द से मुक्ति।
आदमी का मन तो प्याज जैसा है, जिस पर पर्त-पर्त संस्कार जम गए हैं। और इन परतों के भीतर खो गया है आदमी का स्व। जैसे प्याज को कोई उधेड़ता है, एक-एक पर्त को अलग करता है, ऐसे ही मनुष्य के मन की परतें भी अलग करनी होती हैं।
जब तक सारे संस्कारों से छुटकारा न हो जाए, तब तक स्व का कोई साक्षात नहीं है।
संस्कारों के जोड़ का नाम ही हमारा अहंकार है। संस्कारों के सारे समूह का नाम ही हमारा मन हैं।
विद्रोह का अर्थ है: मन को तोड़ डालना।
मन बना है: समाज से। मन है समाज की देन। तुम तो हो परमात्मा से; तुम्हारा मन है समाज से।
इसलिए विद्रोह -- समाज, संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, शब्द - इन सबसे विद्रोह धर्म का मौलिक आधार है।
विद्रोह का अर्थ है: जीवन में हार्दिकता आए। वही करो, जो तुम्हारा हृदय करना चाहता है।
~ ओशो ~ (कन थोरे कांकर घने # 9)

सजा तो मिलनी ही थी...

वृद्धाश्रम में माँ को छोड़कर वो पलटा ही था की....
माँ ने आवाज़ देकर बुलाया...
बेटा अपने मन में किसी प्रकार का बोझ मत रखना..
तुझे पाने के लिए तीन बेटियो की भ्रूण हत्या की थी...
सजा तो मिलनी ही थी...




मां जो भी बनाए उसे बिना नखरे किये खा लिया करो..."

क्युंकि दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनके पास या तो खाना नही होता या मां नही होती..














मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले... पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले.


मैं भले ही वो काम नहीं करता  जिससे खुदा मिले...
पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले.

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*जब , बगैर किसी वजह के*
*ख़ुशी महसूस करो तो* 
*यकीन कर लो, कि* 
*कोई ना कोई, कहीं ना कहीं,*
*तुम्हारे लिये,, दुआ, कर रहा है।*


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                जब आप धन
               कमाते हैं तो घर
               में चीजें आती हैं,
                     लेकिन
        जब आप कीसी की दुआयें
                 कमातें हैं तो
                 धन के  साथ
                    "खुशी",
                    "सेहत",
                      और
                    "प्यार"
                 भी आता है...
      

सुन्दर युवती आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए..... .

जब कोई सुन्दर युवती, बिलकुल बिंदास होकर, आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए.....
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तो समझ जाइए कि,
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अब आप युवा नहीं रहे.....

आटलु एक वार जरुर वांचो. - "केम छो ” कहेवानी पहेल दर वखते आपणे ज करवी जोइए.

* "केम  छो ” कहेवानी  पहेल  दर वखते आपणे ज करवी जोइए.
* श्रेष्ठ पुस्तकों खरीद वानी टेव राखो पछी भले ते वंचाय के न वंचाय.
* कोइए  लंबावेलो  (दोस्तीनो) हाथ  क्यारेय  तरछोडशो नही.
* बहादुर बनो अथवा तेवो देखाव करो.
* कोइने पण आपणी वात कहेता पहेलां बे वखत विचार करो.
* महेणुं  क्यारेय न मारो.
* कोइपण आशावादीनी वातने तोडी पाडशो  नही ,शक्य छे के एनी पासे मात्र एक ज आशा होय.
* क्रेडिट काॅड सगवड साचववा माटे छे, ऊधारी करवा माटे नहीं.
* रात्रे जमती वखते टी.वी बंध राखवु.
* नकारात्मक  प्रकृति ना माणसो ने  मडवानु टाडो.
* दरेक व्यक्ति ने बीजी तक आपो , त्रीजी नहीं.
* संतानो नाना होय त्यारथी ज तेमने पैसा नी किंमतनुं अने  बचत नुं महत्व समजावी देवु.
* जे गांठ  छोड़ी शकाय एवी होय तेने कापशो नही.
* जेने तमे चाहता होय तेनी सतत काळजी लेता रहो.
* कुटुंबना  सभ्यो साथे पिकनिक पर जवानुं गोठवो.
* गोसिप ,निंदा ,जुगार  अने  कोइना पगारनी चचाॅथी दूर रहो.
* जिंदगी मा तमोने हंमेशा न्याय मडशे ज एवुं मानीने चालवु नही.
* लोको ने तमारी समस्या ओ मा रस नथी होतो एटलुं याद राखो.
* अफसोस कयाॅ विनानुं जीवन जीवों.
* क्यारेक  हारवानी पण तैयारी राखो.
* मा-बाप ,पति -पत्नी के संतानोनी टीका करवानुं मन थाय त्यारे जीभ पर काबू राखो.
* फोननी घंटडी वागे त्यारे रिसिवर ऊपाडीने स्फूर्ति भयाॅ अवाजे वात करो.

* शब्दों वापरती वखते काळजी राखो.
* बाळकोना स्कूल ना कायॅक्रम मा अवश्य हाजरी आपो.
* घरडां माणसो साथे खूब  सौजन्यताथी  अने  धीरजथी  वतॅन  करो.
* तमारी  ओफिस के  घरे  कोइ  आवे  तो  एने  ऊभा  थइ  आवकारो.
* मोटी  समस्या ओ थी  दूर  भागों  नही , मोटी  तक  एमा  ज होइ  शके  छे.
* गंभीर  बिमारीमां  ओछामां  ओछा  त्रण मोटा  डोक्टरोनो  अभिप्राय  लो.
* बचत  करवानी  शिस्त  पाळो.
* ऊत्साही  अने  विधेयात्मक  विचारो धरावती  व्यक्ति बनावानो  प्रयत्न  करो .याद  राखो  के  दरेक  व्यक्ति ने  तेनी  सारी  बाजू  सांभडवानी  गमे  छे.
* संतानोने  कडक  शिस्त  पाठ  भणाव्या  पछी  तेमने  ऊष्मापुणॅ  भेटवानुं  भूलशो  नही.
* अठवाडये  एक  वखत  ऊपवास  करो.
* कोइने  बोलाववा  चपटी  वगाडवी  नही.
* ऊँची  किंमतवाडी  वस्तु ओ नी  गुणवत्ता  पण  ऊँची  ज  हशे  एम  मानी  लेवुं  नही.
* घर  पोषाय  एटली  किंमतनुं  ज लेवुं.
* संगीत नुं  एकाद  वाजिंत्र  वगाडता  आवडवुं  ज  जोइए.
                                         
* जम्या  पछी  इश्वरनो  आभार  अवश्य मानो......