विद्रोह का अर्थ

विद्रोह का अर्थ 


विद्रोह धर्म की आत्मा है। विद्रोह का अर्थ है: समाज से, संस्कार से, शास्त्र से, सिद्धांत से, शब्द से मुक्ति।
आदमी का मन तो प्याज जैसा है, जिस पर पर्त-पर्त संस्कार जम गए हैं। और इन परतों के भीतर खो गया है आदमी का स्व। जैसे प्याज को कोई उधेड़ता है, एक-एक पर्त को अलग करता है, ऐसे ही मनुष्य के मन की परतें भी अलग करनी होती हैं।
जब तक सारे संस्कारों से छुटकारा न हो जाए, तब तक स्व का कोई साक्षात नहीं है।
संस्कारों के जोड़ का नाम ही हमारा अहंकार है। संस्कारों के सारे समूह का नाम ही हमारा मन हैं।
विद्रोह का अर्थ है: मन को तोड़ डालना।
मन बना है: समाज से। मन है समाज की देन। तुम तो हो परमात्मा से; तुम्हारा मन है समाज से।
इसलिए विद्रोह -- समाज, संस्कार, सभ्यता, संस्कृति, शब्द - इन सबसे विद्रोह धर्म का मौलिक आधार है।
विद्रोह का अर्थ है: जीवन में हार्दिकता आए। वही करो, जो तुम्हारा हृदय करना चाहता है।
~ ओशो ~ (कन थोरे कांकर घने # 9)

सजा तो मिलनी ही थी...

वृद्धाश्रम में माँ को छोड़कर वो पलटा ही था की....
माँ ने आवाज़ देकर बुलाया...
बेटा अपने मन में किसी प्रकार का बोझ मत रखना..
तुझे पाने के लिए तीन बेटियो की भ्रूण हत्या की थी...
सजा तो मिलनी ही थी...




मां जो भी बनाए उसे बिना नखरे किये खा लिया करो..."

क्युंकि दुनिया में ऐसे लोग भी है जिनके पास या तो खाना नही होता या मां नही होती..














मैं भले ही वो काम नहीं करता जिससे खुदा मिले... पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले.


मैं भले ही वो काम नहीं करता  जिससे खुदा मिले...
पर वो काम जरूर करता हूँ...जिससे दुआ मिले.

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*जब , बगैर किसी वजह के*
*ख़ुशी महसूस करो तो* 
*यकीन कर लो, कि* 
*कोई ना कोई, कहीं ना कहीं,*
*तुम्हारे लिये,, दुआ, कर रहा है।*


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                जब आप धन
               कमाते हैं तो घर
               में चीजें आती हैं,
                     लेकिन
        जब आप कीसी की दुआयें
                 कमातें हैं तो
                 धन के  साथ
                    "खुशी",
                    "सेहत",
                      और
                    "प्यार"
                 भी आता है...
      

सुन्दर युवती आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए..... .

जब कोई सुन्दर युवती, बिलकुल बिंदास होकर, आपकी बगल वाली सीट पर आकर बैठ जाए.....
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तो समझ जाइए कि,
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अब आप युवा नहीं रहे.....

आटलु एक वार जरुर वांचो. - "केम छो ” कहेवानी पहेल दर वखते आपणे ज करवी जोइए.

* "केम  छो ” कहेवानी  पहेल  दर वखते आपणे ज करवी जोइए.
* श्रेष्ठ पुस्तकों खरीद वानी टेव राखो पछी भले ते वंचाय के न वंचाय.
* कोइए  लंबावेलो  (दोस्तीनो) हाथ  क्यारेय  तरछोडशो नही.
* बहादुर बनो अथवा तेवो देखाव करो.
* कोइने पण आपणी वात कहेता पहेलां बे वखत विचार करो.
* महेणुं  क्यारेय न मारो.
* कोइपण आशावादीनी वातने तोडी पाडशो  नही ,शक्य छे के एनी पासे मात्र एक ज आशा होय.
* क्रेडिट काॅड सगवड साचववा माटे छे, ऊधारी करवा माटे नहीं.
* रात्रे जमती वखते टी.वी बंध राखवु.
* नकारात्मक  प्रकृति ना माणसो ने  मडवानु टाडो.
* दरेक व्यक्ति ने बीजी तक आपो , त्रीजी नहीं.
* संतानो नाना होय त्यारथी ज तेमने पैसा नी किंमतनुं अने  बचत नुं महत्व समजावी देवु.
* जे गांठ  छोड़ी शकाय एवी होय तेने कापशो नही.
* जेने तमे चाहता होय तेनी सतत काळजी लेता रहो.
* कुटुंबना  सभ्यो साथे पिकनिक पर जवानुं गोठवो.
* गोसिप ,निंदा ,जुगार  अने  कोइना पगारनी चचाॅथी दूर रहो.
* जिंदगी मा तमोने हंमेशा न्याय मडशे ज एवुं मानीने चालवु नही.
* लोको ने तमारी समस्या ओ मा रस नथी होतो एटलुं याद राखो.
* अफसोस कयाॅ विनानुं जीवन जीवों.
* क्यारेक  हारवानी पण तैयारी राखो.
* मा-बाप ,पति -पत्नी के संतानोनी टीका करवानुं मन थाय त्यारे जीभ पर काबू राखो.
* फोननी घंटडी वागे त्यारे रिसिवर ऊपाडीने स्फूर्ति भयाॅ अवाजे वात करो.

* शब्दों वापरती वखते काळजी राखो.
* बाळकोना स्कूल ना कायॅक्रम मा अवश्य हाजरी आपो.
* घरडां माणसो साथे खूब  सौजन्यताथी  अने  धीरजथी  वतॅन  करो.
* तमारी  ओफिस के  घरे  कोइ  आवे  तो  एने  ऊभा  थइ  आवकारो.
* मोटी  समस्या ओ थी  दूर  भागों  नही , मोटी  तक  एमा  ज होइ  शके  छे.
* गंभीर  बिमारीमां  ओछामां  ओछा  त्रण मोटा  डोक्टरोनो  अभिप्राय  लो.
* बचत  करवानी  शिस्त  पाळो.
* ऊत्साही  अने  विधेयात्मक  विचारो धरावती  व्यक्ति बनावानो  प्रयत्न  करो .याद  राखो  के  दरेक  व्यक्ति ने  तेनी  सारी  बाजू  सांभडवानी  गमे  छे.
* संतानोने  कडक  शिस्त  पाठ  भणाव्या  पछी  तेमने  ऊष्मापुणॅ  भेटवानुं  भूलशो  नही.
* अठवाडये  एक  वखत  ऊपवास  करो.
* कोइने  बोलाववा  चपटी  वगाडवी  नही.
* ऊँची  किंमतवाडी  वस्तु ओ नी  गुणवत्ता  पण  ऊँची  ज  हशे  एम  मानी  लेवुं  नही.
* घर  पोषाय  एटली  किंमतनुं  ज लेवुं.
* संगीत नुं  एकाद  वाजिंत्र  वगाडता  आवडवुं  ज  जोइए.
                                         
* जम्या  पछी  इश्वरनो  आभार  अवश्य मानो......

व्यवहार मीठा ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आती, बोल मीठे न हों तो कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती।

"कदम ऐसा चलो,
           कि निशान बन जाये।
काम ऐसा करो,
          कि पहचान बन जाये।
यहाँ जिन्दगी तो,
          सभी जी लेते हैं,
मगर जिन्दगी जीओ तो ऐसी,
कि सबके लिए मिसाल बन जाये"



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हमें पता है कि रंगोली दुसरे ही दिन मिटने वाली है,
फिर भी वो ज्यादा से ज्यादा आकर्षक हो, कलात्मक हो,
मनमोहक हो ये कोशिश रहती है.
जीवन भी कुछ रंगोली जैसा ही है,
हमें पता है जिंदगी एक दिन ख़त्म हो जाएगी, फिर भी उसे खुबसूरत बनाने की कोशिश करते रहना चाहिए...
पल पल.... हर पल..



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व्यवहार मीठा ना हों तो हिचकियाँ भी नहीं आती,
बोल मीठे न हों तो कीमती मोबाईलो पर घन्टियां भी नहीं आती।


घर बड़ा हो या छोटा, अग़र मिठास ना हो,
तो ईंसान तो क्या, चींटियां भी नजदीक नहीं आती।
     


जीवन का 'आरंभ' अपने रोने से होता हैं..,
और
जीवन का 'अंत' दूसरों के रोने से,
इस "आरंभ और अंत" के बीच का समय                                                      भरपूर हास्य भरा हो...
बस यही सच्चा जीवन है...!!!
     
      



                          हे प्रभु
           न किसी का फेंका हुआ मिले,
            न किसी से छीना हुआ मिले,
               मुझे बस मेरे नसीब मे
                  लिखा हुआ मिले,
                  ना मिले ये भी तो
                   कोई ग़म नही
             मुझे बस मेरी मेहनत का
                  किया हुआ मिले..
            
बिंदी 1 रुपये की आती है व ललाट पर लगायी जाती है।
पायल की कीमत हजारों में आती है पर पैरों में पहनी जाती है।
इन्सान आदरणीय अपने कर्म से होता है,
उसकी धन दौलत से नहीं।
एक फ़क़ीर शमशान में दो चिताओ की राख को बड़े ध्यान से देख रहा था।
किसी ने पूछा कि बाबा एसे क्यू देख रहे हो राख को ।
फ़क़ीर बोला कि ये एक अमीर की लाश की राख है जिसने ज़िंदगी भर काजू बादाम खाये
और ये एक ग़रीब की लाश है जिसे दो वक़्त की रोटी भी बडी मुश्किल से मयस्सर होती थी ,
मगर इन दोनों की राख एक सी ही है फिर किस चीज़ पर आदमी को घमंड  है वही देख रहा हूं।


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इतना मूल्यवान मनुष्य जीवनप्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?


छोटा सा जीवन है, लगभग 80 वर्ष।
उसमें से आधा =40 वर्ष तो रात को
बीत जाता है। उसका आधा=20 वर्ष
बचपन और बुढ़ापे मे बीत जाता है।
बचा 20 वर्ष। उसमें भी कभी योग,
कभी वियोग, कभी पढ़ाई,कभी परीक्षा,
नौकरी, व्यापार और अनेक चिन्ताएँ
व्यक्ति को घेरे रखती हैँ।अब बचा ही
कितना ? 8/10 वर्ष। उसमें भी हम
शान्ति से नहीं जी सकते ? यदि हम
थोड़ी सी सम्पत्ति के लिए झगड़ा करें,
और फिर भी सारी सम्पत्ति यहीं छोड़
जाएँ, तो इतना मूल्यवान मनुष्य जीवन
प्राप्त करने का क्या लाभ हुआ?
स्वयं विचार कीजिये :-
इतना कुछ होते हुए भी,
1- शब्दकोश में असंख्य शब्द होते हुए भी...
मौन होना सब से बेहतर है।
2- दुनिया में हजारों रंग होते हुए भी...
सफेद रंग सब से बेहतर है।
3- खाने के लिए दुनिया भर की चीजें होते हुए भी...
उपवास शरीर के लिए सबसे बेहतर है।
4-पर्यटन के लिए रमणीक स्थल होते हुए भी..
पेड़ के नीचे ध्यान लगाना सबसे बेहतर है।
5- देखने के लिए इतना कुछ होते हुए भी...
बंद आँखों से भीतर देखना सबसे बेहतर है।
6- सलाह देने वाले लोगों के होते हुए भी...
अपनी आत्मा की आवाज सुनना सबसे बेहतर है।
7- जीवन में हजारों प्रलोभन होते हुए भी...
सिद्धांतों पर जीना सबसे बेहतर है।
इंसान के अंदर जो समा जायें वो
             " स्वाभिमान "
                    और
जो इंसान के बाहर छलक जायें वो
             " अभिमान "
   अच्छा लगे तो सबको भेजें



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किसी की मजबूरियाँ पे न हँसिये,
कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..!
डरिये वक़्त की मार से,
बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
अकल कितनी भी तेज ह़ो,
नसीब के बिना नही जीत सकती..
बीरबल अकलमंद होने के बावजूद,
कभी बादशाह नही बन सका...!!"
"ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो, ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो !
एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है! इसलिये वक़्त उन्हें दो जो तुम्हे चाहते हों दिल से!
रिश्ते पैसो के मोहताज़ नहीं होते क्योकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते पर जीवन अमीर जरूर बना देते है  "
आपके पास मारुति हो या बीएमडब्ल्यू - सड़क वही रहेगी |
आप टाइटन पहने या रोलेक्स - समय वही रहेगा |
आपके पास मोबाइल एप्पल का हो या सेमसंग - आपको कॉल करने वाले लोग नहीं बदलेंगे |
आप इकॉनामी क्लास में सफर करें या बिज़नस में - आपका समय तो उतना ही लगेगा |
भव्य जीवन की लालसा रखने या जीने में कोई बुराई नहीं हैं, लेकिन सावधान रहे क्योंकि आवश्यकताएँ पूरी हो सकती है, तृष्णा नहीं |
एक सत्य ये भी है कि धनवानो का आधा धन तो ये जताने में चला जाता है की वे भी धनवान हैं |
कमाई छोटी या बड़ी हो सकती है....
पर रोटी की साईज़ लगभग  सब घर में एक जैसी ही होती है। 




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नदी में गिरने से किसी की
जान नहीं जाती...
जान तभी जाती है जबकि
तैरना नहीं आता...
परिस्थितियाँ कभी समस्या
नहीं बनती....
समस्या तभी बनती है जब
हमें परिस्थितियों से निपटना
नहीं आता ॥




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  ना तुम अपने आप को गले लगा सकते हो..
  ना ही तुम अपने कंधे पर सर रखकर रो सकते हो..
    एक दूसरे के लिये जीने का नाम ही जिंदगी है..
    इसीलिए वक़्त उन्हें  भी दो जो       आपको चाहते हैं दिल से..
    रिश्ते पैसों के मोहताज़ नहीं होते..
     क्योंकि कुछ रिश्ते मुनाफा नहीं देते
     परन्तु अमीर जरूर बना देते हैं.




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