प्रशंसा से पिंघलना मत आलोचना से उबलना मत

*प्रशंसा से पिंघलना मत*

*आलोचना से उबलना मत*



*अंदाज कुछ अलग हैं,*

        *मेरे सोचने का.!!!*

*सबको मंजिल का शोक हैं.!!*

 *और मुझे सही रास्तों का.!!!*

 *लोग कहते हैं, पैसा रखो, बुरे वक्त में काम आयेगा...*

*हम कहते है अच्छे लोगों के साथ रहो, बुरा वक्त ही नहीं आयेगा.*



*निस्वार्थ भाव से कर्म कर*      *क्योंकि*

           *इस धरा का*

           *इस धरा पर*             

      *सब धरा रह जाएगा*

*श्री कृष्ण ने बहुत बड़ी बात कही है,*

*ना जीत चाहिए,*

*ना हार चाहिए,*

*जीवन की सफलता के लिए केवल*

          *मित्र और परिवार* 

                  *चाहिए*

          





कैसा हो घर का वास्तु-  अटल जी की ज़ुबानी

घर चाहे कैसा भी हो..
उसके एक कोने में..
खुलकर हंसने की जगह रखना..

सूरज कितना भी दूर हो..
उसको घर आने का रास्ता देना..

कभी कभी छत पर चढ़कर..
तारे अवश्य गिनना..
हो सके तो हाथ बढ़ा कर..
चाँद को छूने की कोशिश करना .

अगर हो लोगों से मिलना जुलना..
तो घर के पास पड़ोस ज़रूर रखना..

भीगने देना बारिश में..
उछल कूद भी करने देना..
हो सके तो बच्चों को..
एक कागज़ की किश्ती चलाने देना..

कभी हो फुरसत,आसमान भी साफ हो..
तो एक पतंग आसमान में चढ़ाना..
हो सके तो एक छोटा सा पेंच भी लड़ाना..

घर के सामने रखना एक पेड़..
उस पर बैठे पक्षियों की बातें अवश्य  सुनना..

घर चाहे कैसा भी हो..
घर के एक कोने में..
खुलकर हँसने की जगह रखना.

चाहे जिधर से गुज़रिये
मीठी सी हलचल मचा दिजिये,

उम्र का हरेक दौर मज़ेदार है
अपनी उम्र का मज़ा लिजिये.

ज़िंदा दिल रहिए जनाब,
ये चेहरे पे उदासी कैसी
वक्त तो बीत ही रहा है,
उम्र की एेसी की तैसी