P के पीछे पड़ते-पड़ते हम पाप करते है यह भी P है । फिर हमारा P से पतन होता है और अंत मे बचता है सिर्फ, P से पछतावा ।

'P' शब्द बहुत प्रिय है :-
       हम जिंदगी भर P के पीछे भागते रहते है । जो मिलता है वह भी P और जो नहीं मिलता वह भी P ।
                 P   पति
                 P   पत्नि
                 P    पुत्र
                 P    पुत्री
                 P   परिवार
                 P    पैसा
                 P   पद
                 P   प्रतिष्ठा
                 P   प्रशंसा
                 P    प्रेम
       ये सब P के पीछे पड़ते-पड़ते हम पाप करते है यह भी P है ।  फिर हमारा P से पतन होता है और अंत मे बचता है सिर्फ, P से पछतावा ।  पाप के P के पीछे पड़ने से अच्छा है परमात्मा के P के पीछे पड़े।
और P से कुछ पुण्य कमाये.
P से प्रणाम..




एक समय था जब " मंत्र " काम करते थे !
उसके बाद एक समय आया जिसमें " तंत्र " काम करते थे...
फिर समय आया जिसमे " यंत्र " काम करते थे !
और आज के समय में कितने दुःख की बात है,
सिर्फ
" षड्यंत्र " काम करते है...!!!
जब तक "सत्य " घर से बाहर निकलता है.......!
तब तक " झूठ  " आधी दुनिया घूम लेता है...!!



स्वर्ग में सब कुछ है लेकिन मौत नहीं है,
गीता में सब कुछ है लेकिन झूठ नहीं है,
दुनिया में सब कुछ है लेकिन किसी को सुकून नहीं है,
और
आज के इंसान में सब कुछ है लेकिन सब्र नहीं  ‬ 
ना खुशी खरीद पाता हू ना ही गम बेच पाता हू फिर भी मै ना जाने क्यु हर रोज कमाने जाता हू..


रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो
तो भी एक अच्छा जूता पहनकर
उस पर चला जा सकता है..
लेकिन यदि एक अच्छे जूते
के अंदर एक भी कंकड़ हो तो
एक अच्छी सड़क पर भी
कुछ कदम भी चलना मुश्किल है ।।
यानी -
"बाहर की चुनोतियों से नहीं
हम अपनी अंदर की कमजोरियों
से हारते हैं "




किसी ने गौतम बुद्ध से पूछा,
" आप बड़े है फिर भी निचे बैठते है"
बहुत ही खूबसूरत जवाब दिया..
"निचे बैठने वाला इंसान कभी गिरता नहीं.."|