हनुमान जयंती पर इन तस्वीरों के जरिए दोस्तों और प्रियजनों को भेजें शुभकामनाएं

हनुमान जयंती पर इन तस्वीरों के जरिए दोस्तों और प्रियजनों को भेजें शुभकामनाएं

Happy Hanuman Jayanti
हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां अवतार माना जाता है। बजरंगबली हिन्दूओं के प्रमुख देवता माने जाते हैं। साथ ही इन्हें बुद्धि और शक्ति का देवता भी माना जाता है। चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जन्मोत्सव मानाया जाता है तथा लाखों श्रद्धालु अंजनी पुत्र की पूजा-अर्चना करते हैं। हनुमान जयंती पर अपने रिश्तेदारों और दोस्तों को आप इन तस्वीरों के जरिए भी बधाई संदेश भेज सकते हैं।

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Hanuman Shayari, status, SMS & wishes in Hindi font.

 

Shree Ram, Jai Ram, Jai-Jai Ram

Karte Hanuman pure sab kaam

Naam Bajrangbali ka japte jao

Apne kashton se mukti paye jao.

 

श्री राम, जय राम, जय-जय राम

करते हनुमान पुरे सब काम

नाम बजरंगबली का जपते जाओ

अपने कष्टों से मुक्ति पाए जाओ.

Hanuman hain Ram ko sabse pyare 

Wo to hain bhakton me sabse nyare 

Pal-bhar me tumne lanka ko jalaya

Shree Ram ko mata-pita se milaya.

 

हनुमान हैं राम को सबसे प्यारे

वो तो हैं भक्तों में सबसे न्यारे

पल-भर में तुमने लंका को जलाया

श्री राम को माता सीता से मिलाया.

Best Hanuman Status, SMS, Wishes and Quotes In Hindi Font

 

Arz meri suno anjani ke laal

Kaat do mere ghor dukhon ka laal 

Tum ho maruti-nandan, dukh-bhanjan

Karun main apko din raat vandan.

 

अर्ज़ मेरी सुनो अंजनी के लाल

काट दो मेरे घोर दुखों का जाल

तुम हो मारुती-नन्दन, दुःख-भंजन

करूँ मैं आपको दिन रात वन्दन.

Karo kripa mujh par hai Hanuman

Jeevan-bhar karun main tumhe pranam

Jag me sab tere hi gun gaate hain

Hardam charnon me tere sheesh navate hain.

 

करो कृपा मुझ पर है हनुमान

जीवन-भर करूँ मैं तुम्हे प्रणाम

जग में सब तेरे ही गुण गाते हैं

हरदम चरणों में तेरे शीश नवाते हैं.

Best Hanuman Status, SMS, Wishes and Quotes In Hindi Font

 

Bheed padi tere bhakton par bajrangi 

Sun lo arz ab to darshan de do

Hey mahaveer ab to darshan de do

Puri kar do tum kamna meri.

 

भीड़ पड़ी तेरे भक्तों पर बजरंगी

सुन लो अर्ज़ अब तो दाता मेरी

हे महावीर अब तो दर्शन दे दो

पूरी कर दो तुम कामना मेरी.

Bole-bole hain humse Hanuman

Bolo bhakton milkar jai-siya Ram

Duniya rachne wala bhagwan hai

Sankat harne wala Hanuman hai.

 

बोले-बोले हैं हमसे हनुमान 

बोलो भक्तों मिलकर जय-सिया राम 

दुनिया रचने वाला भगवान है 

संकट हरने वाला हनुमान है.

 Hanuman Status, Shayari, SMS, Wishes and Quotes In Hindi Font

 

Sabke dukh ko dur kare wo Bajrangbali

Dete sukh, karte sab bhakton ki bhali

Ram-Ram harpal wo karte jaap hain

Sakal srishti ke karta prabhu aap hain.

 

सबके दुःख को दूर करे वो बजरंगबली 

देते सुख, करते सब भक्तों की भली 

राम-राम हरपल वो करते जाप हैं 

सकल सृष्टि के करता प्रभु आप हैं.

Karun main vinati tumse barambaar

Kar do prabhu mera tum beda paar

Mahima tumhari sab bhakt hain gaate 

Nange pag daude tere dar par sab aate.

 

करूं मैं विनती तुमसे बारम्बार 

कर दो प्रभु मेरा तुम बेडा पार 

महिमा तुम्हारी सब भक्त हैं गाते 

नंगे पग तेरे दर पर सब आते.

 Hanuman Status, Shayari, Wishes, and Quotes In Hindi Font

 

Hanuman lipat jaye Ram ke charan me

jb kasht ho tab hum aaye apki sharan me

Seene me apne Ram ko chupa rakha hai

Humne apna pura jeevan apko de rakha hai.

 

हनुमान लिपट जाये राम के चरण में 

जब कष्ट हो तब हम आये आपकी शरण में 

सीने में अपने राम को छुपा रखा है 

हमने अपना पूरा जीवन आपको दे रखा है.

हनुमान जयंती पर इन तस्वीरों के जरिए दोस्तों और प्रियजनों को भेजें शुभकामनाएं

* समय चला, पर कैसे चला...* *पता ही नहीं चला...*

* समय चला, पर कैसे चला...*
            *पता ही नहीं चला...*

       *जिन्दगी कैसे गुजरती गई...*
            *पता ही नहीं चला...*

ज़िन्दगी की आपाधापी में,
कब निकली उम्र हमारी,
*पता ही नहीं चला।*

कंधे पर चढ़ने वाले बच्चे,
कब कंधे तक आ गए,
*पता ही नहीं चला।*

किराये के घर से
शुरू हुआ सफर,
अपने घर तक आ गया,
*पता ही नहीं चला।*

साइकिल के
पैडल मारते हुए,
हांफते थे उस वक़्त,
अब तो
कारों में घूमने लगे हैं,
*पता ही नहीं चला।*

हरे भरे पेड़ों से
भरे हुए जंगल थे तब,
कब हुए कंक्रीट के,
*पता ही नहीं चला।*

कभी थे जिम्मेदारी
माँ बाप की हम,
कब बच्चों के लिए
हुए जिम्मेदार हम,
*पता ही नहीं चला।*

एक दौर था जब
दिन में भी बेखबर सो जाते थे,
कब रातों की उड़ गई नींद,
*पता ही नहीं चला।*

बनेंगे कब हम माँ बाप
सोचकर कटता नहीं था वक़्त,
कब हमारे बच्चे बच्चों वाले होने योग्य हो गए,
*पता ही नहीं चला।*

जिन काले घने
बालों पर इतराते थे हम,
कब चाँदी से चमकने लगे,
*पता ही नहीं चला।*

होली और दिवाली मिलते थे,
यार, दोस्तों और रिश्तेदारों से,
कब छीन ली प्यार भरी
मोहब्बत आज के दौर ने,
*पता ही नहीं चला।*

दर दर भटके हैं,
नौकरी की खातिर ,
कब रिटायर होने का समय आ गया
*पता ही नहीं चला।*

बच्चों के लिए
कमाने, बचाने में
इतने मशगूल हुए हम,
कब बच्चे हमसे हुए दूर,
*पता ही नहीं चला।*

भरे पूरे परिवार से
सीना चौड़ा रखते थे हम,
कब परिवार हम दो पर सिमटा,

*।।। पता ही नहीं चला ।।।*

सोना अक्सर लोहे की तिजोरी में ही रखा जाता है..........!!!*

 *अगर ये तय है कि....*

 *जो दिया है, वो लौट के आएगा..*

              *तो क्यूँ न...*

     *सिर्फ दुआएं ही दी जाएं।*


         *"चरण उनके पूजे जाते है.* 

 *जिनके आचरण पूजने योग्य हो"*  


       *"अगर इन्सान की पहचान करनी हो तो*

           *सूरत से नही. चरित्र से करो...."*

                    *"क्यूंकि सोना*

        *अक्सर लोहे की तिजोरी में*

            *ही रखा जाता है..........!!!*

         

*संबंध कभी भी मीठी आवाज़ या सुन्दर चेहरे से नहीं टिकते,*

*वो टिकते हैं सुन्दर ह्रदय और कभी ना टूटने वाले  विश्वास से..!*


*रिश्तें वो नहीं जिसमे रोज बात हो,*

*रिश्तें वो भी नहीं जिसमे रोज साथ हो,*

*रिश्तें तो वो है जिसमे कितनी भी दूरियाँ हो,*

*लेकिन दिल में हंमेशा अपनो की याद हो.*





*रिश्ते मन से बनते हैं बातों से नहीं*

*कुछ लोग बहुत सी बातों के बाद भी अपने नहीं होते*

*और कुछ शांत रहकर भी अपने बन जाते हैं...*





*खुद की समझदारी ही...*

*अहमियत रखती है,*

*वरना अर्जुन और दुर्योधन के*

*गुरु तो एक ही थे !!*

 

रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं...*

          *बारिश  की बूंदें भले ही*
          *छोटी  हों लेकिन........*
          *उनका लगातार बरसना*
          *बड़ी  नदियों  का बहाव*
          *बन जाता है............*
          *ऐसे ही हमारे छोटे छोटे*
          *प्रयास निश्चित ही.......*
          *जीवन में बड़ा परिवर्तन*
          *लाने में सक्षम रहते हैं..!*
          *इसलिये प्रयास छोटा ही*
          *सही   किन्तु..,  लगातार*
          *होना चाहिये............!!*



*आज का विचार*

*कौन क्या कर रहा है ,*
*कैसे कर रहा है ,*
*क्यों कर रहा है –*
*इससे आप जितना दूर रहेंगे ,*
*अपनी मंजिल के उतने ही करीब रहेंगे .*

        

*"घमंड की बीमारी*

*'शराब' जैसी है साहब,*


*खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि  इसको चढ़ गयी है...!!"*


*ज़िंदगी में कम से कम,*

*एक दोस्त "काँच" जैसे और एक दोस्त "परछाईं" जैसे रखो, क्योंकि*

*"काँच" कभी झूठ नहीं बोलता और "परछाईं" कभी साथ नहीं छोड़ती*...

                 




    *जहाँ सूर्य की किरण हो* ..

     *वहीँ प्रकाश होता है*..

     *जहाँ भगवान के दर्शन हो*..

    *वहीँ भव पार होता है*..

    *जहाँ संतो की वाणी हो*...

    *वहीँ उद्धार होता है*...

                 *और*...

      *जहाँ प्रेम की भाषा हो*..

       *वहीँ परिवार होता है*... 



*रखा करो नजदीकियां,*
*ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं...*
*फिर मत कहना चले भी गए*
      *और बताया भी नहीं. . . !*
*बहुत ग़जब का नज़ारा है*
    *इस अजीब सी दुनिया का,*
*लोग सबकुछ बटोरने में लगे हैं*
   *खाली हाथ जाने के लिये..!



*किसी ने एक विद्वान से पूछा की*
*"आज के समय में सच्ची इज्जत किसकी होती है..??"*
*विद्वान ने जवाब दिया की :*
*"इज्जत किसी इंसान की नहीं होती*
*जरूरत की होती है।*
*"जरूरत खत्म, इज्जत खत्म"*
*यही दुनिया का रिवाज है..*
        




सुपर सुविचार

साइंस कहता है एक गिलास दूध में अगर एक बूंद भी केरोसिन मिली हो तो पूरा का पूरा दूध ही बेकार हो जाता है !

"नया टीचर"

क्लास में आते ही बच्चों को
अपना लंबा चौड़ा परिचय दिया।

बातों ही बातों में
उसने जान लिया की
लड़कियों के इस क्लास में
सबसे तेज और सबसे आगे
कौन सी लड़की है ?

उसने खामोश सी बैठी
उस लड़की से पूछा

बेटा आपका नाम क्या है ?

लड़की खड़ी हुई और बोली
जी सर , मेरा नाम है जूही

टीचर ने फिर पूछा

पूरा नाम बताओ बेटा ?

जैसे उस लड़की ने
नाम मे कुछ छुपा रखा हो

लड़की ने फिर कहा

जी सर , मेरा पूरा नाम जूही ही है

टीचर ने सवाल बदल दिया

और पूछा कि अच्छा
तुम्हारे पापा का नाम बताओ ?

लड़की ने जवाब दिया
जी सर , मेरे पापा का नाम है शमशेर !!

टीचर ने फिर पूछा
अपने पापा का पूरा नाम बताओ

लड़की ने जवाब दिया

मेरे पापा का पूरा नाम
शमशेर ही है सर जी

अब टीचर कुछ सोचकर बोला

अच्छा अपनी माँ का पूरा नाम बताओ

लड़की ने जवाब दिया
सर जी , मेरी माँ का पूरा नाम है निशा

टीचर के पसीने छूट चुके थे
क्योंकि अब तक
वो उस लड़की की फैमिली के
पूरे बायोडाटा में
जो एक चीज
ढूंढने की कोशिश कर रहा था
वो उसे नही मिला था !!

उसने आखिरी पैंतरा आजमाया

बोला -अच्छा तुम कितने भाई बहन हो ?

टीचर ने सोचा कि
जो चीज वो ढूंढ रहा है
शायद इसके भाई बहनों के नाम मे वो क्लू मिल जाये ?

लड़की ने टीचर के
इस सवाल का भी

बड़ी मासूमियत से जवाब दिया

बोली -सर जी , मैं अकेली हूँ
मेरे कोई भाई बहन नही है !!

अब टीचर ने
सीधा और निर्णायक सवाल पूछा

बेटे तुम्हारा धर्म क्या है ?

लड़की ने
इस सीधे से सवाल का भी
सीधा सा जवाब दिया

बोली -सर मैं एक विद्यार्थी हूँ
और ज्ञान प्राप्त करना ही
मेरा धर्म है !

मुझे पता है की
अब आप मेरे पेरेंट्स का धर्म पूछोगे !!

तो मैं आपको बता दूं कि
मेरे पापा का धर्म है मुझे पढ़ाना
और मेरी मम्मी की जरूरतों को
पूरा करना

और मेरी मम्मी का धर्म है
मेरी देखभाल
और मेरे पापा की जरूरतों को
पूरा करना

लड़की का जवाब सुनकर
टीचर के होश उड़ गये

उसने टेबल पर रखे
पानी के ग्लास की ओर देखा
लेकिन उसे उठाकर पीना भूल गया !

तभी लड़की की आवाज
एक बार फिर उसके कानों में
किसी धमाके की तरह गुंजी

सर मैं विज्ञान की छात्रा हूँ
और एक साइंटिस्ट बनना चाहती हूँ !

जब अपनी पढ़ाई पूरी कर लुंगी
और अपने माँ बाप के
सपनों को पूरा कर लुंगी

तब कभी फुरसत में
सभी धर्मों के अध्ययन में जुटूंगी

और जो भी धर्म
विज्ञान की कसौटी पर
खरा उतरेगा
उसे अपना लुंगी

लेकिन अगर
धर्मग्रंथों के उन पन्नों में
एक भी बात विज्ञान के विरुद्ध हुई
तो मैं उस पूरी पवित्र किताब को
अपवित्र समझूँगी

और उसे कूड़े के ढेर में
फेंक दूंगी !

क्योंकि साइंस कहता है
एक गिलास दूध में
अगर एक बूंद भी
केरोसिन मिली हो तो

पूरा का पूरा दूध ही बेकार हो जाता है !

लड़की की बात खत्म होते ही
पूरी क्लास
साथी लड़कियों की
तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी !!

टीचर के पसीने छूट चुके थे !!

तालियों की गूंज उसके कानों में
गोलियों की गड़गड़ाहट की तरह
सुनाई दे रहे थे !

उसने आंखों पर लगे
धर्म के मोटे चश्मे को उतार कर
कुछ देर के लिए टेबल पर रख दिया

और पानी का ग्लास उठाकर
एक ही सांस में गटक लिया

थोड़ी हिम्मत जुटा कर
लड़की से बिना नजर मिलाये ही बोला !!

बेटा.....

I Proud of you...

*केवल अंक ही बच्चों की योग्यता का मापदंड नही*

परीक्षा से पहले प्रिंसिपल ने बच्चों के पैरेंट्स को एक लेटर भेजा जिसका हिन्दी अनुवाद इस प्रकार है :-

*डियर पैरेंट्स*
मैं जानता हूं आप इसको लेकर बहुत बेचैन हैं कि आपका बेटा *इम्तिहान में अच्छा प्रदर्शन करें*

लेकिन ध्यान रखें कि यह बच्चे जो इम्तिहान दे रहे हैं इनमें भविष्य के अच्छे *कलाकार* भी हैं जिन्हें गणित समझने की बिल्कुल जरूरत नहीं,

इनमें बड़ी बड़ी कंपनियों के *प्रतिनिधि* भी बैठे हैं, जिन्हें इंग्लिश लिटरेचर और इतिहास समझने की जरूरत नहीं है,

इन बच्चों में भविष्य के बड़े-बड़े *संगीतकार* भी हैं जिनकी नजर में केमिस्ट्री के कम अंकों का कोई महत्व नहीं,

इन सबका इनके भविष्य पर कोई असर नहीं पड़ने वाला इन बच्चों में भविष्य के *एथलीट्स* भी हैं जिनकी नजर में उनके मार्क्स से ज्यादा उन की फिटनेस जरूरी है|

लिहाजा अगर आपका बच्चा ज्यादा नंबर लाता है तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर वह ज्यादा नंबर नहीं ला सका तो तो आप बच्चे से उसका *आत्मविश्वास और उसका स्वाभिमान ना छीन ले*।

अगर वह अच्छे नंबर ना ला सके तो आप उन्हें *हौसला दीजिएगा की कोई बात नहीं* यह एक छोटा सा इम्तिहान हैl

*वह तो जिंदगी में इससे भी कुछ बड़ा करने के लिए बनाए गए हैं* l

अगर वह कम मार्क्स लाते हैं तो आप उन्हें बता दें कि आप फिर भी इनसे प्यार करते हैं और आप उन्हें उन के *कम अंको की वजह से जज नहीं करेंगे* l

ईश्वर के लिए ऐसा ही कीजिएगा और जब आप ऐसा करेंगे फिर देखिएगा कि आपका बच्चा *दुनिया भी जीत  लेगा* l

*एक इम्तिहान और कम नंबर आपके बच्चे से इसके सपने और इसका टैलेंट नहीं छीन सकते*

*और हां प्लीज ऐसा मत सोचिएगा कि इस दुनिया में सिर्फ डॉक्टर और इंजीनियर ही खुश रहते हैं*
(यह सब तो क्लब 99 की रेस में लगे घोडे है)

"अपने बच्चों को एक. अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दीजिये.

केवल अंक ही बच्चों की योग्यता का मापदंड नही

महिला सशक्तिकरण पर निबंध- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व पर विस्तृत निबंध

महिला सशक्तिकरण पर निबंध- अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के महत्व पर विस्तृत निबंध

महिला सशक्तिकरण के बिना देश व समाज में नारी को असली आजादी हासिल नहीं हो सकती | वह सदियों पुरानी मूढ़ताओं और दुष्टताओं से लोहा नहीं ले सकती | बन्धनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद नहीं ले सकती | स्त्री सशक्तिकरण के अभाव में वह इस योग्य नहीं बन सकती कि स्वयं अपनी निजी स्वतंत्रता और अपने फैसलों पर आधिकार पा सके |

महिला अधिकारों और समानता का अवसर पाने में महिला सशक्तिकरण ही अहम भूमिका निभा सकती है | क्योंकि स्त्री सशक्तिकरण महिलाओं को सिर्फ गुजारे – भत्ते के लिए ही तैयार नहीं करती बल्कि उन्हें अपने अंदर नारी चेतना को जगाने और सामाजिक अत्याचारों से मुक्ति पाने का माहौल भी तैयारी करती है |

बेहतर समाज के निर्माण में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता को महसूस करते हुए  विश्व पटल पर नारी शक्ति को जागृत करने के लिए हर वर्ष दुनिया भर में 8 मार्च का दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है | नारी जागरण को समर्पित इस दिवस पर एक थीम तय की जाती है | यह थीम हर साल अलग – अलग रखी जाती है |

इस वर्ष 2017 की थीम है ” Be bold for change ” यानि ‘ महिलाओं की स्थिति में सुधार करने के लिए महिलाओं को ही बोल्ड होकर खुद आगे बढ़ना होगा ‘ हैं | क्योंकि नारी विश्व की चेतना है, माया है, ममता है, और मुक्ति है | दुसरे शब्दों में कहे तो जीवन मात्र के लिए करुणा सजाने वाली महाप्रकृति का नाम नारी है |

हमारे आदि – ग्रंथों में नारी को गुरुतर मानते हुए यहाँ तक घोषित किया गया है  – “यत्र नार्यस्तु पूजयन्ते रमन्ते तत्र देवता |” अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है, वहाँ देवता निवास करते है |

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पारम्परिक विचारधारा में प्राचीन काल से ही स्त्री की पत्नी और माता की भूमिका में प्रशंसा तो की गयी है, किन्तु मानवीय रूप से उसे सदैव से ही बहुत हेय समझा गया है | नारी को पुरुष का पुछल्ला मात्र मानकर सामाजिक उत्पीड़न किया जाता रहा है |

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रोमिला थापर कहती है, “पर्याप्त अधिकार और स्वतंत्रता की स्थिति से लेकर उतनी ही अधिक अधीनता की स्थिति तक उसमें व्यापक परिवर्तन आते रहे |”

नारी की स्थिति में कृषक समाजों के विकास और राज्यों के जन्म के साथ निर्णायक गिरावट आने लगी | इसमें हिन्दू समाज में जाति – सोपान नाम का केंद्रीय संगठनकारी सिद्धांत पुरुष प्रधान की विचारधारा की मुख्य भूमिका रही | इस विचारधारा के कारण शूद्रों और स्त्रियों दोनों को वैदिक अनुष्ठानों से वंचित कर दिया गया | सार्वजनिक जीवन जब जब पुरुषों का कर्मक्षेत्र बन गया, तो स्त्रियाँ घरों तक सीमित होकर रह गई |लेकिन यदि यह जीवन का एक सच था, तो दूसरी ओर यह बात भी सच थी कि स्त्रियों का अलगाव कोई निरपवाद, सार्वभौमिक प्रथा न थी |

Women Empowerment in Hindi

समय – समय पर राजनितिक, समाजिक, आर्थिक क्षेत्रों में धनी और निर्धन दोनों वर्गों की स्त्रियों की अत्यधिक सार्वजिनक सक्रियता के प्रमाण भी मिलते है | रजिया सुन्तल,अहिल्याबाई, नूरजहाँ, गुलबदन, हर्रम बेगम आदि स्त्रियों के चरित्र उदहारण स्वरुप हैं |

महिला शक्ति की सार्वजनिक सक्रियता का प्रमाण औपनिवेशिक काल में हुए 1857 के विद्रोह में भी दिखाई पड़ता है | रानी लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत महल, रानी राजेश्वरी देवी,सुगरा बीबी, अदा देवी, आशा देवी गुज्जर, भगवानी देवी, रणबीरी बाल्मिकी, झलकारी बाई, अवंती बाई, महाबिरा देवी आदि वीरंगनाओं ने भाग लेकर समाज में सदैव उपेक्षित समझी जाने वाली महिलाओं की वीरता, साहस और सक्रिय भूमिका को बाहर लाकर राष्ट्र, समाज के लिए कुछ कर गुजरने का जज्बा प्रदान किया |

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19 वी सदी में सामाजिक सुधार आंदोलन की बात करें या 20वी सदी के राष्ट्रीय स्वतंत्रता संघर्ष की, नारी ने पुरुषों के साथ भाग लेकर पुरानी मान्यताओं को दरकिनार करते हुए अपनी शक्ति का जबदस्त अहसास कराया |

आज हमारे मानस में नारी शक्ति की पहचान स्वतंत्र, जिज्ञासु और आत्मविश्वास से भरी स्त्री की तस्वीर न उभर कर एक ऐसी संघर्षशील स्त्री की तस्वीर उभरती है, जिसके घरेलू दायित्व वही के वही हैं | अब परिस्थियों की मांग है कि आत्मदया और आत्मपीडन के तार पर साधा हुआ अपने पारम्परिक स्वरूप के प्रति आक्रोश एक स्तर के बाद बंद हो |

बीती बातों को याद करने या दोहराने से महिलाओं की स्थिति पर कोई फर्क नहीं पड़ने वाला | देश की आधी आबादी को अब अपने सत्य से वृहत सत्य की परिधि तक जाना होगा | यह देखना होगा कि किसी भी महत्वपूर्ण क्षेत्र में महिलाओं के कार्य करने या न करने से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्या विशेष फर्क पड़ेगा | लेकिन स्त्री सशक्तिकरण का सारा रास्ता एक लम्बी छलांग लगाकर एक बार में पार नहीं किया जा सकता, उसे कदम – कदम पर चलकर ही पार किया जा सकता है |

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आज सम्पूर्ण व्यवस्था में जिस आमूल रूप से स्त्री सम्बन्धी मुद्दों के पुनर्मूल्यांकन और विश्लेषण की जरुरत है, उस निर्णय के अधिकार को पुरुष व्यवस्था ने अभी तक अपने पास रखा है | स्त्री की अस्मिता का संघर्ष दोहरे स्तरों पर है क्योंकि अस्मिता का संघर्ष केवल अपने होने अपनी शक्ति की पहचान करने मात्र से नहीं जुड़ा है बल्कि अस्मिता का संघर्ष और विकास का मुद्दा एक दूसरे से जुड़ा हुआ है |

वर्तमान में महिलाएँ उत्पादन एवं पुनरुत्पादन के कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं फिर भी द्रुत आर्थिक विकास और सामाजिक परिवर्तनों में महिलाओं का योगदान अदृश्य तथा मान्यता रहित रहा क्योंकि कि उनसे स्टीरियों टाइप प्रक्रिया और पारम्परिक भूमिका निभाने की आशा की जाती रही |

महिलाओं की आर्थिक भूमिका की उपेक्षा की जाती रही जबकि सशक्तिकरण के लिए आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना परम आवश्यक है | और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होने के लिए महिलाओं का शिक्षित होना बेहद जरुरी है लेकिन भारत में आज भी महिलाओं के लिए पर्याप्त शिक्षा व्यवस्था की कमी है |

एक शिक्षित महिला ही इस महा अभियान का नेतृत्व कर सकती है | इसके अतिरिक्त नारी का स्वास्थ्य, समाज में व्याप्त यौन हिंसा, वेश्यावृति की बढ़ती घटनाओं को रोकना कारगर उपाय है |

महिलाओं को उनकी क्षमता और योग्यता के अनुसार विकास का पूर्ण अवसर प्रदान करना और नारी सशक्तिकरण राष्ट्रीय नीति को अपडेट करने की भी जरुरत है | साथ ही महिलाओं के प्रति लोगों की सोच में बदलाव की भी आवश्यकता है |

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नारी मनुष्य वर्ग का अभिन्न अंग है | उसके स्थिति का समाज पर और समाज का उसकी स्थिति पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है | समाज निर्माण में मात्र पुरुष ही भाग ले और नारी को घर के पिंजरे में ही कैद रखा जाए, यह अनुचित है | इसमें नारी वर्ग को और समाज को तो हानि है ही, प्रतिबन्ध लगाने वाले पुरुष भी उस हानि से नहीं बच सकते |

नारी चेतना रूप है | वह परिवार संचालन का उत्तरदायित्व संभालते हुए भी समाज निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है |

दुनिया के किसी भी देश व समाज का विकास महिला सशक्तिकरण के अभाव में संभव नहीं है | समाज की उन्नति के लिए स्त्री को विकास के लिए स्वच्छ और उपयुक्त पर्यावरण उपलब्ध कराना पूरी मनुष्य जाति का कर्तव्य है |

समाज में नारी और पुरुष दोनों को एक बराबरी का दर्जा मिलाना चाहिए | जिस दिन महिला और पुरुष के बीच का भेद – भाव खत्म हो जायेगा उस दिन हमारे समाज में एक नये युग का आरम्भ हो जाएगा | लेकिन आज भी सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं को शारीरिक और मानसिक हिंसा का सामना करना पड़ रहा है |

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भारतीय राष्ट्रीय कानून के तहत 2001 राष्ट्रीय महिला नीति पारित की गयी | पुरुषों के समान सभी क्षेत्रों में महिलाओं को अधिकार देने के लिए कानून बनाए गए लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि महिलाओं को अधिकार देने के नाम पर राष्ट्रीय महिला नीति को बने 15 वर्ष से ज्यादा समय बीत गए पर आज भी महिला सशक्तिकरण नहीं हुआ | नारी सशक्तिकरण के नारे और भाषण तो दीए जाते है लेकिन हकीकत में आज समाज में महिला की हालत बेहद चिंताजनक है |

आर्थिक और प्रौद्योगिक परिवर्तनों के बावजूद महिलाओं के प्रति हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है | यह एक विचित्र विडम्बना है कि जो महिला घर, परिवार और समाज की सुरक्षा की बुनियादी कड़ी है आज उसी के खिलाफ हिंसा होती है | सच तो यह है कि एक सभ्य समाज में महिलाओं के प्रति हिंसा किसी भी तरह स्वीकार एवं क्षमा योग्य नहीं है |

भारतीय प्राचीन संस्कृति में नारी को स्वयं शक्ति स्वरूपा कहा गया है | नारी के उसी शक्ति को और भी सशक्त बनाने के लिए महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता है | जिससे वह सड़क से लेकर घर तक, स्कूल से लेकर दफ्तर तक हर जगह सिर उठाकर चल सके, समाज के सभी बंधनों से मुक्त होकर अपने निर्णय खुद ले सके | वह इतनी सशक्त हो कि उसकी तरफ कोई गलत नजर से देखने की हिम्मत न कर सके |

नारी सशक्तिकरण के द्वारा ही  स्वस्थ्य समाज का निर्माण किया जा सकता है  | इस बात को दुनिया भर के सभी देशों ने माना है और इसलिए देश के संविधान में भी महिलाओं को हर क्षेत्र में बिना किसी भेद भाव के पुरुषों के समकक्ष अधिकार दिए गए है | महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए महिला सशक्तिकरण योजना “राष्ट्रीय महिला आयोग” तथा विभिन्न राज्यों में “राज्य महिला आयोग” की स्थापना की गई है जो सुधार के लिए अनवरत प्रयासरत हैं |

महिलाओं को मुख्य धारा में लाने के लिए हमारी सरकार ने वर्ष 2001 को महिला सशक्तिकरण वर्ष के रूप में घोषित किया | यह बात बिलकुल सत्य है कि महिलाओं की आधी आबादी के हर क्षेत्र में सशक्त होने पर ही देश सशक्त होगा और सही मायने में उसका सम्पूर्ण विकास होगा |

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यद्यपि नारी का महत्व उसके त्याग, तपस्या, सेवा-भाव और समर्पण में निहित है | बिना इन भावों के नारी नारी कहाँ रह जाती है और शायद इसीलिए पुरुष को कठोर कहा गया है तथा स्त्री को कोमल | यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि स्त्री अन्तर्जगत का उच्चतम विकास है जिसके बल पर समस्त सदाचार ठहरे हुए है | इसलिए प्रकृति ने भी उसे इतना सुंदर मनमोहक आवरण दिया है |

रमणी रूप की स्वामिनी नारी का जीवन नि:संदेह सेवा और समर्पण का सार है | लेकिन इस समर्पण को समझने वाला सह्रदय पुरुषों की संख्या बहुत कम है | ज्यादातर पुरुष नारी की इन विशेषताओं की उपेक्षा कर उसकी कोमल भावनाओं को उसकी विवशता समझते है और इस प्रकार अपनी मानसिक संकीर्णता का परिचय देते है | यह त्रासदी आधे भाग की है | इसी आधी आबादी को आगे लाना और सशक्त बनाना महिला सशक्तिकरण का उद्देश्य है |

हमेशा से नारी सशक्तिकरण के मार्ग में उसका शारीरिक रूप से कमजोर होना बाधक बनता रहा है | इस बात को जयशंकर प्रसाद जी ने भी महसूस कर अपनी रचना में लिखा है –

“यह आज समझ तो पाई हूँ

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दुर्बलता में मैं नारी हूँ |

अवयव की सारी कोमलता

लेकर मैं सबसे हारी हूँ ||”

लेकिन इस सबके बावजूद नारी को जहाँ भी आर्थिक, सामाजिक, राजनितिक क्षेत्रों में पुरुषों के समान अवसर प्राप्त हुए है, वहाँ उसने अपने आप को पुरुषों के समकक्ष श्रेष्ठ साबित कर दिखाया है | आज स्त्री की छवि भले ही ‘पवित्र देवी आदरणीय’ की नहीं है लेकिन भारतीय संस्कृति के इतिहास के पन्ने पलट कर देखे तो नर और नारी को गृहस्थी की गाड़ी चलाने के लिए दो पहियों की भांति माना गया है | एक के बिना दूसरा अधूरा तथा आश्रयहीन था |

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यदि विभिन्न कालों के आधार पर भारतीय स्त्रियों की स्थिति पर दृष्टि डाले तो हम पायेंगे कि वैदिक काल में नारी पग – पग पर पुरुष की सहभागिनी हुआ करती थी | किन्तु उत्तर वैदिक युग में नारी की दशा गिरती गई | मध्यकाल आते – आते स्त्री जाति की दशा और भी दयनीय हो गई | इस काल में महिलाओं को अबला माना जाता था, जिसका जिक्र कवि मैथलीशरण ने अपनी रचना में की है –

“अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आँचल में है दूध और आँखों में पानी ”

पर बदलते भारतीय समाज में नारी की स्थिति भी परिवर्तनीय रही है | कभी नारी को श्रद्धा के साथ पूजा गया तो कभी दासता के बंधन में जकड़कर पशुवत व्यवहार किया गया | प्रसिद्ध लेखिका सिमोन कहती है कि –

“स्त्री की स्थिति अधीनता की है स्त्री सदियों से ठगी गई है और यदि उसने कुछ स्वतंत्रता हासिल की है तो बस उतनी ही जितनी पुरुष ने अपनी सुविधा के लिए उसे देनी चाही |”

बदलते समय के साथ आज की नारी पढ़ – लिख कर स्वतंत्र है | वह अपने अधिकारों के प्रति सजग है तथा स्वयं अपना निर्णय लेती है | अब वह चारदीवारी से बाहर निकलकर देश के लिए विशेष महत्वपूर्ण कार्य करती है |

महिला सशक्तिकरण पर निबंध

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वर्ष 2016 में तुर्की के इस्तांबुल में हजारों महिलाओं ने उस बिल का विरोध किया जिसमें यह प्रावधान था कि यदि किसी नाबालिक लड़की से दुष्कर्म का आरोपी उससे शादी कर लें तो उसे सजा नहीं दी जाएगी | महिलाओं के आवाज उठाने पर इस बिल को वापस ले लिया गया |

भारत में भी ऐसी महिलाओं की कमी नहीं है जिन्होंने समाज में बदलाव और महिला सम्मान के लिए अपने अन्दर के डर को जमींदोज कर दिया | ऐसी ही एक मिसाल बनी सहारनपुर की अतिया साबरी | अतिया पहली ऐसी मुस्लिम महिला है जिन्होंने तीन तलाक के खिलाफ आवाज बुलंद किया | तेजाब पीड़ितों के खिलाफ इंसाफ की लड़ाई लड़ने वाली वर्षा जवलगेकर के भी कदम रोकने की नाकाम कोशिश की गई लेकिन उन्होंने इंसाफ की लड़ाई लड़ना नहीं छोड़ा | हमारे देश में ऐसे कई उदहारण है जो महिला सशक्तिकरण का पर्याय बन रही है |

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आज देश में नारी शक्ति को सभी दृष्टि से सशक्त बनाने के प्रयास किये जा रहे है | इसका परिणाम भी देखने को मिल रहा है |महिलाएं जागरूक हो चुकी है |इन्होंने उस सोच को बदल दिया है कि वह घर और परिवार में से किसी एक जिम्मदारी को ही बेहतर निभा सकती है |

इक्कीसवीं सदी नारी जीवन में सुखद सम्भावनाओं की सदी है | इसके उदीयमान स्वर्णिम, प्रभात की झाकियाँ अभी से देखने को मिल रही है | यह हर क्षेत्र में आगे आने लगी है | आज की नारी अब जाग्रत और सक्रीय हो चुकी है | युगदृष्टा स्वामी जी ने बहुत अच्छी बात कही है “नारी जब अपने ऊपर थोपी हुई बेड़ियों एवं कड़ियों को तोड़ने लगेगी तो विश्व की कोई शक्ति उसे नहीं रोक पायेगी” | वर्तमान में नारी ने रुढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ना शुरू कर दिया है | यह एक सुखद संकेत है | लोगों की सोच बदल रही है, फिर भी इस दिशा में और भी प्रयास अपेक्षित है |