दृष्टि नहीं दृष्टिकोण सही होना चाहिए!

अँधे को मंदिर आया देख लोग हँसकर बोले
"मंदिर में दर्शन करने आये तो हो
पर क्या भगवान को देख पाओगें"??
अँधे ने कहाँ- "क्या फर्क पड़ता हैं,
मेरा भगवान तो मुझे देख लेगा"
दृष्टि नहीं दृष्टिकोण सही होना चाहिए!

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एक खरगोश रोज़ एक लोहार की दुकान पर जाता और पूछता
“गाजर है???”
,
लोहार इंकार कर देता।
एक दिन लोहार को बहुत गुस्सा आया और उसने पकड़कर खरगोश के दांत तोड़ दिए।
,
और कहा – अब तू “गाजर” खा के दिखा?
फिर ?
फिर क्या
अगले दिन खरगोश आया और पूछने लगा –
“गाजर का हलवा है???”
*इसे कहते हैं 
हकारात्मक वलण