रखा करो नजदीकियां, ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं...*

          *बारिश  की बूंदें भले ही*
          *छोटी  हों लेकिन........*
          *उनका लगातार बरसना*
          *बड़ी  नदियों  का बहाव*
          *बन जाता है............*
          *ऐसे ही हमारे छोटे छोटे*
          *प्रयास निश्चित ही.......*
          *जीवन में बड़ा परिवर्तन*
          *लाने में सक्षम रहते हैं..!*
          *इसलिये प्रयास छोटा ही*
          *सही   किन्तु..,  लगातार*
          *होना चाहिये............!!*



*आज का विचार*

*कौन क्या कर रहा है ,*
*कैसे कर रहा है ,*
*क्यों कर रहा है –*
*इससे आप जितना दूर रहेंगे ,*
*अपनी मंजिल के उतने ही करीब रहेंगे .*

        

*"घमंड की बीमारी*

*'शराब' जैसी है साहब,*


*खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि  इसको चढ़ गयी है...!!"*


*ज़िंदगी में कम से कम,*

*एक दोस्त "काँच" जैसे और एक दोस्त "परछाईं" जैसे रखो, क्योंकि*

*"काँच" कभी झूठ नहीं बोलता और "परछाईं" कभी साथ नहीं छोड़ती*...

                 




    *जहाँ सूर्य की किरण हो* ..

     *वहीँ प्रकाश होता है*..

     *जहाँ भगवान के दर्शन हो*..

    *वहीँ भव पार होता है*..

    *जहाँ संतो की वाणी हो*...

    *वहीँ उद्धार होता है*...

                 *और*...

      *जहाँ प्रेम की भाषा हो*..

       *वहीँ परिवार होता है*... 



*रखा करो नजदीकियां,*
*ज़िन्दगी का कुछ भरोसा नहीं...*
*फिर मत कहना चले भी गए*
      *और बताया भी नहीं. . . !*
*बहुत ग़जब का नज़ारा है*
    *इस अजीब सी दुनिया का,*
*लोग सबकुछ बटोरने में लगे हैं*
   *खाली हाथ जाने के लिये..!



*किसी ने एक विद्वान से पूछा की*
*"आज के समय में सच्ची इज्जत किसकी होती है..??"*
*विद्वान ने जवाब दिया की :*
*"इज्जत किसी इंसान की नहीं होती*
*जरूरत की होती है।*
*"जरूरत खत्म, इज्जत खत्म"*
*यही दुनिया का रिवाज है..*
        




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