अनुभव कहता है खामोशियाँ ही बेहतर हैं, शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."

*मेरा रब  कहता है !!*
*मत सोच रे बन्दे,*
*इतना ज़िन्दगी के बारे में !!*

*मैंने ये ज़िंदगी दी है तो,*
*कुछ सोचा होगा तेरे बारे मे !!*

*"अनुभव कहता है*
*खामोशियाँ ही बेहतर हैं,*
*शब्दों से लोग रूठते बहुत हैं..."*

*जिंदगी गुजर गयी....*
*सबको खुश करने में ..*

*जो खुश हुए वो अपने नहीं थे,*
*जो अपने थे वो कभी खुश नहीं* *हुए...*

*कितना भी समेट लो..*
*हाथों से फिसलता ज़रूर है..*

*ये वक्त है साहब..*
*बदलता ज़रूर है..*

*फूलों में भी कीड़े पाये*
*जाते हैं..,*
*पत्थरों में भी हीरे पाये*
*जाते हैं..,*
*बुराई को छोड़कर अच्छाई देखो यारों..,*
*नर में भी नारायण पाये जाते हैं..!!"*
*मैं आपके साथ हूँ ये मेरा भाग्य है*
*पर आप सब मेरे साथ हो ये मेरा परम सौभाग्य है...!!*

*अगर मुस्कुराहट के लिए*
*ईश्वर का शुक्रिया नहीं किया,*

*तो आँखों मे आये आँसुओं के लिये*
*शिकायत का हक़ कैसा*...?