दोस्त, किताब, रास्ता और सोच गलत हों तो गुमराह कर देते हैं, और सही हो तो जीवन बना देतें हैं..!!





*कृपया इस दीवाली पर दीपक में तेल डालकर तेल बर्बाद ना करें.....*

*वो तेल किसी गरीब को दे दें जिससे वो भी पूरी बना के दीवाली मना सके......*

*इस मेसेज को पढ़कर मैं बहुत भावुक हो गया हूँ और इससे inspire होकर मैंने decide किया है कि इस बार पांच दीपक कम जलाऊंगा,*,

*और उस तेल को लट्ठ पे लगा के रखूंगा और इस तरह के मैसेज करने वालों को इसी लट्ठ से हैप्पी दीवाली बोलूंगा,,*



*कृपया इस दीवाली पर दीपक में तेल डालकर तेल बर्बाद ना करें.....*

*वो तेल किसी गरीब को दे दें जिससे वो भी पूरी बना के दीवाली मना सके......*

*इस मेसेज को पढ़कर मैं बहुत भावुक हो गया हूँ और इससे inspire होकर मैंने decide किया है कि इस बार पांच दीपक कम जलाऊंगा,*,

*और उस तेल को लट्ठ पे लगा के रखूंगा और इस तरह के मैसेज करने वालों को इसी लट्ठ से हैप्पी दीवाली बोलूंगा,,*



"दोस्त" "किताब" "रास्ता" और "सोच"....*

दोस्त, किताब, रास्ता और सोच गलत हों तो गुमराह कर देते हैं, और सही हो तो जीवन बना देतें हैं..!!*



*बहुत प्यारा सन्देश*

कभी आपका बस की सबसे पीछे वाली सीट पर बैठने का मौका लगा है l यदि नही ; तो कभी गौर करना  l और हा ; तो आपने महसूस किया होगा कि  पीछे की सीट पर धक्के ज्यादा महसूस होते है l चालक तो सबके लिए एक ही है l बस की गति भी समान है l फिर ऐसा क्यों ? साहब जिस बस में आप सफर कर रहे है उसके चालक से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी - आपकी यात्रा में धक्के भी उतने ही ज्यादा होंगे l

 आपकी जीवन यात्रा के सफर में भी जीवन की गाड़ी के चालक *परमपिता* से आपकी दूरी जितनी ज्यादा होगी आपको ज़िन्दगी में *धक्के* उतने ही ज्यादा खाने पड़ेंगे l अपनी रोज़ की दिनचर्या में यथासंभव कुछ समय अपने *आराध्य* के समीप बैठो और उनसे अपने मन की बात एकदम साफ शब्दों में कहो l आप स्वयं एक अप्रत्याशित चमत्कार महसूस करेंगे।