*दोनों तरफ़ से निभाया जाये, वही रिश्ता कामयाब होता है, एक तरफ़ से सेंक कर तो रोटी भी नहीं बनती..!*

सुपर सुविचार


*दोनों तरफ़ से निभाया जाये, वही रिश्ता कामयाब होता है*

*एक तरफ़ से सेंक कर तो रोटी भी नहीं बनती..!*



*मन के जिस दरवाजे से "शक" अंदर प्रवेश करता है,* 

*"प्यार" और "विश्वास"*
*उसी दरवाजे से बाहर निकल जाते हैं..*

सुपर सुविचार


एक घर मे *पांच दिए* जल रहे थे।


एक दिन पहले एक दिए ने कहा -


इतना जलकर भी *मेरी रोशनी की* लोगो को *कोई कदर* नही है...


तो बेहतर यही होगा कि मैं बुझ जाऊं।


वह दिया खुद को व्यर्थ समझ कर बुझ गया । 


जानते है वह दिया कौन था ?


वह दिया था *उत्साह* का प्रतीक ।


यह देख दूसरा दिया जो *शांति* का प्रतीक था, कहने लगा -


मुझे भी बुझ जाना चाहिए।


निरंतर *शांति की रोशनी* देने के बावजूद भी *लोग हिंसा कर* रहे है।


और *शांति* का दिया बुझ गया । 


*उत्साह* और *शांति* के दिये के बुझने के बाद, जो तीसरा दिया *हिम्मत* का था, वह भी अपनी हिम्मत खो बैठा और बुझ गया।


*उत्साह*, *शांति* और अब *हिम्मत* के न रहने पर चौथे दिए ने बुझना ही उचित समझा।


*चौथा* दिया *समृद्धि* का प्रतीक था।


सभी दिए बुझने के बाद केवल *पांचवां दिया* *अकेला ही जल* रहा था।


हालांकि पांचवां दिया सबसे छोटा था मगर फिर भी वह *निरंतर जल रहा* था।


तब उस घर मे एक *लड़के* ने प्रवेश किया।


उसने देखा कि उस घर मे सिर्फ *एक ही दिया* जल रहा है।


वह खुशी से झूम उठा।


चार दिए बुझने की वजह से वह दुखी नही हुआ बल्कि खुश हुआ।


यह सोचकर कि *कम से कम* एक दिया तो जल रहा है।


उसने तुरंत *पांचवां दिया उठाया* और बाकी के चार दिए *फिर से* जला दिए ।


जानते है वह *पांचवां अनोखा दिया* कौन सा था ?


वह था *उम्मीद* का दिया...


इसलिए *अपने घर में* अपने *मन में* हमेशा उम्मीद का दिया जलाए रखिये ।


चाहे *सब दिए बुझ जाए* लेकिन *उम्मीद का दिया* नही बुझना चाहिए ।


ये एक ही दिया *काफी* है बाकी *सब दियों* को जलाने के लिए ....




*अफसोस इस बात का नही कि*
*“धर्म” का धंधा हो रहा है,*

*अफसोस तो इस बात का है कि*
*पढ़ा लिखा भी अंधा हो रहा है....!!!*