1. भगवान लकड़ी, पत्थर या मिट्टी की मूर्तियों में नहीं रहते। उनका निवास हमारी भावनाओं में है, हमारे विचारों में है।
– चाणक्य
2. ईश्वर न काबा में है, न काशी में वह तो घर-घर में व्याप्त है – हर दिल में मौजूद है।
– महात्मा गाँधी
3. जैसे पिता अपने प्रिय पुत्र को ताड़ना देता है, वैसे ही प्रभु उस मनुष्य को ताड़ना देता है जिससे वह प्रेम करता है।
– बाईबिल
4. जिसने सुख में तो ईश्वर को कभी स्मरण नहीं किया और दुःख में याद किया, ऐसे दास की प्रार्थना कौन सुने अर्थात भगवान उसी की सुनते हैं, जो सुख और दुःख में समान भाव रहता है।
– कबीर
5. धन और ईश्वर में बनती नही गरीब के घर में ही प्रभु निवास करते हैं।
– महात्मा गाँधी
6. दुखी आशा से ईश्वर में भक्ति रखता है, सुखी भी से दुखी पर जितना ही अधिक दुःख पड़े, उसकी भक्ति बढती जाती है. सुखी पर दुःख पड़ता है, तो वह विद्रोह करने लगता है. वह ईश्वर को भी अपने धन के सामने झुकाना चाहता है।
– प्रेमचन्द
7. आदमी जितना असमर्थ है, भगवान उतना ही समर्थ है. उसकी कृपा अपरम्पार है. और वह हजार हाथों से मदद करता है।
– महात्मा गाँधी
8. ईश्वर उन्हीं की सहायता करता है जो स्वयं अपनी सहायता करते हैं ।
– अज्ञात
9. जो ईश्वर की आराधना के साथ-साथ पुरूषार्थ करते हैं, उन के दुःख और दारिद्रय दूर होते हैं और ऐश्र्वर्य बढ़ता है।
– ऋग्वेद
10. जहाज किसी भी दिशा में क्यों न जाए, कम्पास की सूई उत्तर दिशा ही दिखती है. इस कारण जहाज को दिशाभ्रम नहीं होता इसी प्रकार मनुष्य का मन यदि भगवान की ओर रहे तो फिर उसे कोई डर नहीं।
– श्री रामकृष्ण परमहंस
11. ईश्वर के दो निवास स्थान हैं – एक बैकुंठ में और दूसरा नम्र और कृतज्ञ हृदय में।
– आइजक वाट्सन
12. अंत: करण यदि मलिन और अपवित्र बना रहे ,तो परमात्मा की उपासना भी फलवती न होगी. अत:ईश्वर की उपासना निष्प्राण हृदय से करें।
– ऋग्वेद
13. जो ईश्वर को पा लेता है, वह मूक और शांत हो जाता है।
– रामकृष्ण परमहंस
14. भगवान दुखियों से अत्यंत स्नेह करते हैं।
– जय शंकर प्रसाद
15. ईश्वर सत्य है और प्रकाश उसकी छाया है।
– प्लेटो
16. हर तरफ की तारीफ अल्लाह के ही लिए है, सारे संसार का पालनहार (रब) है, निहायत दयावान बेहद मेहरबान है।
– कुरान शरीफ
17. ईश्वर से अधिक निकटतम कोई वस्तु नहीं है।
– स्वामी रामतीर्थ
18. ईश्वर-विशवास बहुत बड़ी शक्ति है. हमें इस शक्ति से वंचित नहीं रहना चाहिए।
– अज्ञात
19. मनुष्य का जितना लौकिक कामनाओं, धन आदि के लिए तथा स्त्री आदि के प्रति प्रेम होता है उतना ही यदि वह ईश्वर से प्रेम करे, तो निसंदेह संसार से रक्षा और परमानन्द की प्राप्ति हो सकती है।
– सामवेद
20. जैसे दूध में मौजूद होते हुए भी घी दिखाई नहीं देता, फूल में गंध होती है पर दिखाई नहीं देती, हमें अपनी बुराई और दूसरे की भलाई दिखाई नहीं देती, बीज में छिपा वृक्ष दिखाई नहीं देता, शरीर में होने वाली पीड़ा दिखाई नहीं देती, वैसे ही सर्वत्र व्याप्त और विद्दमान रहने वाला परमात्मा भी दिखाई नहीं देता।
– अज्ञात
21. हमारी गाडी चलाने वाला ईश्वर है. उसमें बैठे हम लोग जब तक श्रद्धा रखेंगे, वह जरूर चलते रहेगी।
– महात्मा गाँधी
22. ईश्वर का दाहिना हाथ कोमल, परन्तु बायां बहुत कठोर है।
– रवीन्द्रनाथ ठाकुर
23. भगवान ने हमें जीवन का उपहार दिया है; यह अब हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम अपनेआप को अच्छी तरह से जीने का उपहार दें।
-वॉल्टेयर
24. जब तक आप स्वयं पर विश्वास नहीं करते, तब तक आप भगवान पर भी विश्वास नहीं कर सकते।
-स्वामी विवेकानंद
25. आप पायेंगे कि ईश्वर केवल उन लोगों की मदद करते हैं जो कड़ी मेहनत करते हैं। यह सिद्धांत बहुत स्पष्ट है।
-ए. पी. जे. अब्दुल कलाम