हाल नी केळवणी विशे वांचवालायक सुविचार- मननी केळवणी

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प्राथमिक शाळाओ ना विद्यार्थियों तथा शिक्षकों ने वांचवालायक

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सुविचार

*इन्सान* " *इस एक कारण से* *अकेला हो जाता है*,  " *अपनो" को छोडने की सलाह*  " *गैरों" से लेता है*


" *इन्सान* " *इस एक कारण से*

*अकेला हो जाता है*, 


" *अपनो" को छोडने की सलाह* 

" *गैरों" से लेता है*

    


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*जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि*

     *सामने वाला गलत नहीं है सिर्फ*

       *उसकी सोच हमसे अलग है*

             *उस दिन जीवन से* 

        *दुःख समाप्त हो जायेंगे*


*"बड़प्पन" वह गुण है जो पद से नहीं*

*"संस्कारों" से प्राप्त होता है।*


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सुविचार





 वांचवा माटे

*"सफलता" भी फीकी लगती है, यदि कोई "बधाई देने वाला" नहीं हो।*

*विचार पुष्प*

*पेड़ के नीचे रखी भगवान की टूटी मूर्ति को देख कर समझ आया,*
*कि..*
*परिस्थिति चाहे कैसी भी हो,*
*पर कभी ख़ुद को*
*टूटने नही देना..*
*वर्ना ये दुनिया*
*जब टूटने पर भगवान को*
*घर से निकाल सकती है*
*तो फिर हमारी तो*
*औकात ही क्या है ...


   

*"सफलता" भी फीकी लगती है, यदि कोई "बधाई देने वाला" नहीं हो।*
*और "विफलता" भी सुन्दर लगती है, जब आपके साथ "कोई अपना खड़ा" हो।*

*आप पानी जैसे बनो, जो अपना रास्ता खुद बनाता है।*
*पत्थर जैसे ना बनो जो, दूसरों का रास्ता भी रोक लेता है।*
            

_*किसी को अपना बनाओ*_
_*तो “दिल” से बनाओ….*_
_*“जुबान” से नहीं ।*_

_*और किसी पर गुस्सा करो*_
_*तो “जुबान” से करो…..*_
_*“दिल” से नही*_

_*क्योंकि सुई में वही धागा प्रवेश कर सकता है जिस धागे में कोई गांठ नहीं हो ,*_

*रावण बनना भी कहां आसान...*

रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था

रावण में वासना थी
तो संयम भी था

रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न करने का संकल्प भी था

सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत थी
पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा थी

राम, तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था...!!

महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....
*"तुम में से कोई राम है क्या ❓"*

*प्रेम एटले शु* *प्रेम नथी सुंदरता निहालतु, प्रेम नथी कदी कद्रूरुपु निहालतु,*

*प्रेम एटले शु*

*प्रेम नथी सुंदरता निहालतु, प्रेम नथी कदी कद्रूरुपु निहालतु,*

*प्रेम नथी कदावर के पतला नथी निहालतु,*                    

*प्रेम नथी कदी नाती जाती नथी निहालतु,*     

            

*प्रेम नथी कदी धनवान के निर्धन निहालतु,*

*प्रेम को ना दिखे रात के दिन,*

*प्रेंम को ना दिखे किसी व्यवस्थित ना दिखे अवयस्थित,*                   

   *प्रेम तो बस आखिर प्रेम ही नाम है इसे दूसरा कोई नाम बदलने की कोशिश ना कीजिये.*

*"भूख ना जाने भावतु,*
*प्रीत ना जाने जात,*
*ऊंघ ना जाने उकरदो,*
*जया सुता त्या ज रात"........*

*सभीका जीवन प्रेममय रहे*

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*इन्सान* " *इस एक कारण से*

*अकेला हो जाता है*, 

" *अपनो" को छोडने की सलाह* 

" *गैरों" से लेता है*