आवती काले ता. 28 फेब्रुआरी, 2016ना दिवसे योजानार रेवन्युं तलाटी परीक्षा आपवा जता तमाम विद्यार्थीओने शुभकामनाएँ।

आवती काले योजानार परीक्षा आपवा जता तमाम विद्यार्थीओने शुभकामनाएँ।

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परीक्षार्थियों माटे अगत्यनी सूचना:

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 परीक्षा माटेनो कोल लेटरनी 2 कोपी अचूक प्रिन्ट करी लेवी (कोल लेटर प्रिन्ट करवा लिंक क्लिक करो: 


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 कोल लेटर डाउनलोड कर्या बाद तेना पर पासपोर्ट साइझनो फोटो चोंटाडवो अनिवार्य छे.


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 विद्यार्थीओ पासे कोल लेटर सिवाय एक ओळख पुरावो (ID proof) होवु जरुरी छे.


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परीक्षामा जता पहेला पोतानी पासे 2 बोलपेन (ब्लू अथवा ब्लेक) जरुर राखवी.


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 परीक्षा खंडमां मोबाईल फोन लइ जवो नही.


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 परीक्षा आपवा माटेना समय थी 1 कलाक पहेला ज परीक्षा केन्द्र पर पहोंची जवु जेथी वर्ग खंड शोधवामां समय न बगडे.


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 उत्तरवही आपवामां आवे त्यारे उत्तरवहीने सारी रीते चेक करी लेवी, टूटेली अथवा नुकशान थयेली उत्तरवही जणाय तो तुरत ज सुपरवाईजरनो संपर्क करवो.


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परीक्षा खंडमां उत्तरवही आपवामां आवे त्यारे शांति थी तेमां मांगेली बधी ज विगतो भरवी, उत्तरवहीमां विगत भरवामां खोटी उतावल करवी नही.


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 प्रश्नपत्र हाथमां आवे त्यारे तेने शांति थी एक पछी एक प्रश्न जोवा तेमज जे प्रश्नोना जवाब 100% आवडता होय तेना जवाब उत्तरवहीमां आपवा.


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 तलाटी परीक्षामां जे प्रश्न न आवडता होय तेना माटे 'E - Not Attempted' ओप्शन टीक करवा माटे खोटी उतावळ करवी नही, शक्य छे के छेल्ली मिनिटोमां विचार करवाथी कदाच जवाब याद आवी जाय.


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 शक्य होय त्या सुधी गणितना प्रश्नोने छेल्ले ज टच करवा कारण के गणितना प्रश्नोमां गणतरी दरमियान वधु समय बगडी शके छे.

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 घणीवार जोवामां आव्यु छे के विद्यार्थीओने प्रश्ननो जवाब आवडतो होय तो पण खोटो जवाब टीक करी आवे छे आवी मुश्केली थी बचवा माटे प्रश्नने 2 वार शांति थी वांची त्यार बाद ज जवाब आपवो.

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 घणा किस्साओमां एवु पण बने छे के विद्यार्थी साचा जवाबने बदले उत्तरवहीमां अन्य सर्कल ने डार्क करी दे छे, तेथी आ बाबते पण विद्यार्थीओए ध्यान आपी अने खूबज ध्यानपूर्वक जवाबने सर्कल करवु जोइए.


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 विद्यार्थीओ एक वात ध्याने राखे के आ परीक्षामा नेगेटीव मार्कींग छे. मतलब के 1 प्रश्नना साचा जवाबनो 1 मार्क, खोटा जवाब माटे 0.25% नेगेटीव मार्क आपवामा आवशे, विद्यार्थीओने जे जवाब न आवडतो होय तेवा जवाब माटे 'E - Not Attempted' ओप्शन टिक करवु फरजियात छे (जे प्रश्नमां जवाब नही आप्यो होय तेमा पण 0.25% नेगेटीव मार्क्स आपवामां आवशे), दरेक प्रश्नोना जवाब आपवा फरजियात छे, E ओप्शन टिक कर्यु हशे तेवा जवाब माटे नेगेटीव मार्क्स लागू पडशे नही.

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 विद्यार्थी मित्रो खास याद राखे के नेगेटीव मार्कसना लीधे ज घणा बधा उमेदवारोनी पसंदगी थती होती नथी. तेथी आ बाबते आप सौ अचूक गंभीर रहेशो.


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समाज को जोड़ नहीं पायोगे

जिस तरह सिलाई मशीन
में धागा नहीं डालने पर
वो चलती तो है
पर कुछ सिलती नहीं...
इसी तरह
समाज  में कायँ नहीं करोगे
तो समाज चलेगा  ज़रूर
पर समाज को जोड़ नहीं पायोगे


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एक बार संख्या 9 ने 8 को थप्पड़ मारा  8 रोने लगा...
पूछा मुझे क्यों मारा..?
9 बोला...
मैं बड़ा हु इसीलए मारा..
सुनते ही 8 ने 7 को मारा
और 9 वाली बात दोहरा दी
7 ने 6 को..
6 ने 5 को..
5 ने 4 को..
4 ने 3 को..
3 ने 2 को..
2 ने 1 को..
अब 1 किसको मारे
1 के निचे तो 0 था !
1 ने उसे मारा नहीं
बल्कि प्यार से उठाया
और उसे अपनी बगल में
बैठा लिया
जैसे ही बैठाया...
उसकी ताक़त 10 हो गयी..!और 9 की हालत खराब हो गई.
जिन्दगीं में किसी का साथ ही काफी हैं,
कंधे  पर  किसी का  हाथ ही काफी हैं,
दूर हो या पास...क्या फर्क पड़ता हैं,
     

"अनमोल रिश्तों
का तो बस "एहसास" ही काफी है । 

यहाँ तो लोग नफरत भी करते हैँ मोहब्बत की तरह।

समझ मेँ नहीँ आता किसपे भरोसा करेँ
यहाँ तो लोग नफरत भी करते हैँ मोहब्बत की तरह  ।।



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नफरत एक बहुत बड़ा रोग है
इसलिए दुआ है,
जो भी मुझसे नफरत करते है
वो जल्द ही ठीक हो जाये



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उनकी नफरत पर भी लुटा हमने जिंदगी
सोचो अगर वो मोहब्बत करते तो हम क्या करते…
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हम से प्यार करो या नफरत
वो तुम्हारे इरादे की बात है…
प्यार करोंगे तो दिल में रहोगे
लेकिन
नफरत करोंगे तो दिमाग में..
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खुदा सलामत रखे उनको
जो हमसे नफरत करते है
प्यार ना सही
नफरत ही सही
कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे ही करते है…
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नफरतों के बाजार में जीने का अलग ही मजा है
वो लोग रुलाना नहीं छोड़ते और हम हंसाना नहीं छोड़ते

एक नफरत ही तो है जिसे दुनिया चंद लम्हों में जान लेती है,
वर्ना
मोहब्बत का यकीन दिलाने में तो जिंदगी बित जाती है….
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अगर कोई हमें बेपनाह मोहब्बत कर सकता है
तो
नफरत भी उतनी ही कर सकता है,
क्योंकि….
एक खुबसुरत शीशा जब कभी भी तुटता है
तो
वह एक खतरनाक हथियार बन जाता है…



सम्मान आप का नहीं,आप के स्थान और स्थिति का करते हैं।

सांप घर पर दिखाई दे तो लोग डंडों से मारते हैं,
और शिव लिंग पर दिखाई दे तो दूध पिलाते हैं...
लोग सम्मान आप का नहीं,
आप के स्थान और स्थिति का करते हैं।




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"प्रतिभा सम्मान की मोहताज नहीँ होती
क्योकि हीरा यदि कीचड़ मेँ भी पड़ा हो तो वो हीरा ही कहलाएगा "

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दोस्तों, हम में से हर एक जीवन में सफल होना चाहता है | वैसे तो सफ़लता की कोई निश्चित परिभाषा नहीं होती , पर आम तौर पर अपने जीवन में निर्धारित किये गए लक्ष्यों की  प्राप्ति ही सफ़लता कहलाती है |
व्यावहारिक दृष्टि से देखा जाये तो पारिवारिक जीवन में शांति, रहने के लिए एक अच्छा घर, चलाने के लिए एक बढ़िया सी कार, परिवार के साथ व्यतीत करने के लिए पर्याप्त समय और खर्च करने के लिए पर्याप्त धन होने को ही सफ़लता समझा जाता है | शायद हम में से हर एक की यह इच्छा होती है |
ज्यादातर लोगों की यह समस्या होती है की सफल होने के लिए कौन सा रास्ता अपनाया जाये | क्या कोई अच्छी सी नौकरी करके सफल बना जाये या फिर कोई व्यापार किया जाये | ज़रूरी नहीं है की अगर एक रास्ते पर चलकर कोई व्यक्ति सफ़ल हुआ है तो दूसरा भी उस रास्ते पर चलकर सफ़ल ही होगा |
जहाँ टाटा और अम्बानी जैसे व्यक्ति उद्योगपति के रूप में सफल हुए हैं, वहीं सचिन तेंदुलकर एक क्रिकेटर के रूप में |
ऐसे हजारों उदाहरण हमारे सामने हैं जहाँ पर लोगों ने अलग – अलग क्षेत्रों में सफ़लता अर्जित की है | जहाँ लोगों ने अपने भीतर छुपी प्रतिभा को पहचाना और उसी क्षेत्र में आगे बढ़ते हुए सफ़लता को पाया |
आपने ये बात पहले भी सुनी होगी कि इन्सान तभी कामयाब होता है कि “जब वह वो काम करे जिससे वह प्यार करता है, या फिर जो भी काम वह करता है उससे प्यार करना सीख ले |”
सुनने में तो यह बात बहुत अच्छी लगती है दोस्तों, पर दिमाग खाली सा हो जाता है जब हम अपने भीतर छुपी हुई प्रतिभा को पहचानने की बात करते हैं |
अगर आपके साथ भी यही समस्या है तो आप सही लेख को पढ़ रहे हैं, आगे पढ़ते रहिये |
महान दार्शनिक सुकरात ने कहा है कि “जीवन का आनंद स्वयं को जानने में है” | स्वयं का निरिक्षण करना, अपनी प्रतिभा का पता लगाना और अपनी उस विशेष प्रतिभा का निरंतर विकास करना | वास्तव में यही हमारे जीवन का उद्देश्य होना चाहिये | यदि हम ऐसा कर लेते हैं, तभी सही मायने में हम सफ़ल हो पायेंगे |
आप अब तक सफ़ल हुए लोगों में से किसी का भी इतिहास उठा कर देख लीजिये | आप पायेंगे कि उनमें एक बात समान है, और वह यह है कि उन्होंने अपनी प्रतिभा को पहचाना और केवल उसी पर ध्यान दिया |
बहरहाल सफ़लता का सार केवल इसी बात में निहित है कि अपनी विशेष प्रतिभा का पता लगाना और उस के विकास पर पूरा ध्यान देना |
अब आप सोच रहे होंगे कि आपके अंदर ऐसी कौन सी विशेषता है जो आपको दूसरों से भिन्न करती है | क्या कोई ऐसी विशेषता है भी ? तो मैं आपसे कहूँगा कि दुनिया में हर इन्सान के अन्दर कोई न कोई प्रतिभा ज़रूर होती है |
हम में से ज्यादातर लोगों के लिए अपनी प्रतिभा को ढूंढ पाना एक कठिन काम होता है , या यूँ कहें कि शायद वे इस विषय पर ध्यान ही नहीं देते |
क्या है विशेष प्रतिभा या यूनिक टैलेंट ?
प्रकृति ने हम सभी को अलग अलग बनाया है | सभी एक दूसरे से भिन्न हैं और सभी के अन्दर एक विशेष गुण होता है | अपने अन्दर की विशेष योग्यता को समझने के लिए पहले ज़रूरी है कि हम यह जानें कि आखिर ये विशेष गुण या प्रतिभा क्या होती है | आईये, विशेष प्रतिभा के चारित्रिक गुणों को समझें |
  • कोई ऐसा कार्य जो आप दूसरों की अपेक्षा अधिक निपुणता से करते हैं, यानि की आपका टेलेंट |
  • कोई भी ऐसा काम जो आप पूरी लगन और मेहनत के साथ करते हैं |
  • जिसे करने में आप कभी थकते नहीं और इसका भरपूर आनंद उठाते हैं |
  • जो आपको और आपके आसपास के लोगों को उत्साहित करता हैं |
  • जिसे आप कुशलता, और अधिक कुशलता के साथ करना चाहते हैं और आपको उसमें सुधार की भरपूर संभावनाएं दिखाई देती हैं |
हम में से ज्यादातर लोग अपनी योग्यताओं और प्रतिभाओं का विकास करने की बजाय उन्हें दबाते हैं | याद कीजिये अपने बचपन के दिन, आप में से कुछ लोगों को संगीत बहुत पसंद था, कुछ को चित्रकारी, कुछ को क्रिकेट खेलना और शायद कुछ को अभिनय करना | ऐसा नहीं है की आपको सिर्फ ये पसंद ही था बल्कि कुछ ने तो इन क्षेत्रों में अवार्ड्स भी जीते | सभी लोग आपकी प्रशंसा करते थे और कहते थे की तुम बड़े होकर इस क्षेत्र में बड़ा नाम करोगे | पर शायद समय के साथ हमने उन प्रतिभाओं को दबा दिया |
कैसे पहचानें अपने अन्दर छिपी हुई विशेष प्रतिभा को ?
यदि आप अभी भी असमंजस की स्तिथि में हैं और अपनी प्रतिभा को नहीं पहचान पा रहे हैं, तो नीचे दी गयी प्रक्रिया को अपनाएं | यह आपको आपकी प्रतिभा पहचानने में मदद करेगी |
  • ऐसे दस लोगों की लिस्ट बनायें जो आपको सही सलाह दे सकें और जिनकी सलाह का आप सम्मान करते हों |
  • इन लोगों से पूछें की उन्हें आपके अन्दर कौन सी विशेष योग्यता दिखाई देती है |
  • आप अपनी उन आदतों की लिस्ट बनायें जो आप किसी भी काम को बेहतरीन तरीके से करने के लिए प्रयोग करते हैं |
 अब आप ऊपर दी गयी प्रक्रियाओं का अवलोकन करें |
 एक लिस्ट बनायें कि आपके अन्दर कौन कौन से गुण (टेलेंट) हैं और उन्हें करने के लिए आपको क्या प्रोत्साहित (पैशन) करता है |  मतलब कि आप कौन सा काम बेहतर तरीके से करते हैं और क्यों करते हैं ?
 आशा है कि उपरोक्त विधि से आप अपनी विशेष प्रतिभा को ढूँढने में अवश्य सफल हो जायेंगे |
 क्या है जो आपको आगे बढने से रोक रहा है ?
वास्तविकता में अपनी प्रतिभा का पता लगाना ही पर्याप्त नहीं है | क्या कारण है कि लोगों को अपनी विशेषता का पता होते हुए भी वे उसका विकास नहीं कर पाते ? इसके कुछ सामान्य कारण नीचे दिए गए हैं :-
  •  अगर आप अपने कैरियर में आगे बढ़ चुके हैं तो इस बात का भय कि आपको नये सिरे से शुरुआत करनी पड़ेगी |
  •   इस बात का भय कि क्या आप अपनी प्रतिभा वाले क्षेत्र में अपनी आजिविका कमा पायेंगे या नहीं ?
  •  क्या आप एक नए क्षेत्र में कैरियर शुरू करने के लिए निवेश करने को तैयार हैं ?
  •  इस बात का डर कि क्या मैं अपनी पसंद के क्षेत्र में कामयाब हो पाऊँगा |
  •  अगर मैं सफल नहीं हो पाया तो लोग क्या कहेंगे कि अपना अच्छा भला काम छोड़कर नये क्षेत्र में जाने की ज़रूरत ही क्या थी ?
  • अपने वर्तमान सहकर्मियों का साथ छूट जाने का भय |
 उपरोक्त कुछ ऐसे कारण हैं कि जिनके चलते, आपको यह पता होते हुए भी कि आप किस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन कर सकते हैं, आप वह जोखिम उठाने को तैयार नहीं होते |
 दोस्तों, ज़िन्दगी सिर्फ एक बार ही मिलती है | अगर आप चाहते हैं कि उसे ख़ुशी से जिया जाये और जीवन का भरपूर आनंद उठाया जाये, तो फ़िर जो आपका पैशन है उसे अपना प्रोफेशन बनाईये | शुरुआती दौर में शायद कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, पर यकीन मानिये कि अंततः आपका जीवन खुशिओं से भरा हुआ होगा |
आपके उज्जवल भविष्य के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ |

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मंजिल पाने के लिए, किसी रथ की जरूरत नहीं होती। सत्य को कहने के लिए, किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।

सत्य को कहने के लिए,
किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।
            नदियों को बहने के लिए,
किसी पथ की जरूरत नहीं होती।
                 जो बढ़ते हैं जमाने में,
    अपने मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
      किसी रथ की जरूरत नहीं होती।


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ज्यादातर लोगों का ये स्वभाव होता है,
कि लोगो में विशेषता से पहले कमजोरी नजर आती है, अतः
हमें एक बात गाँठ बाँध लेनी चाहिए,
कि हम तभी लोगों को उनकी बुराई दिखाऐंगे,
जब हम खुद समस्त बुराईयों से निर्लिप्त हो जायें !!


एक मेढक पेड़ की चोटी पर चढ़ने का सोचता है और आगे बढ़ता है
बाकी के सारे मेंढक शोर मचाने लगते हैं "ये असंभव है.. आज तक कोई नहीं चढ़ा.. ये असंभव है.. नहीं चढ़ पाओगे"
मगर मेंढक आख़िर पेड़ की चोटी पर पहुँच ही जाता है.. जानते हैं क्यूँ?
क्योंकि वो मेंढक "बहरा" होता है.. और सारे मेंढकों को चिल्लाते देख सोचता है कि सारे उसका उत्साह बढ़ा रहे हैं
इसलिए अगर आपको अपने लक्ष्य पर पहुंचना है तो नकारात्मक लोगों के प्रति "बहरे" हो जाइऐ.


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हो सकता है हर दिन अच्छा ना हो ,
लेकिन हर दिने में कुछ न कुछ अच्छा होता है।


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बदला लेने में क्या मजा है ,
मजा तो तब है जब आप सामने वाले को बदल डालें.


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मच्छर का बच्चा पहली बार
उड़ा...  जब वापिस आया तो
बाप ने पूछा: "कैसा लगा उड़कर?"
मच्छर का बच्चा बोला:
"बहुत अच्छा... जहाँ भी गया,
लोग तालियाँ बजा
रहे थे" 


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जो करते रहे इंतज़ार उनकी जिंदगी में आज भी झमेले है.

....जीत पक्की है....
कुछ करना है, तो डटकर चल,
           थोड़ा दुनियां से हटकर चल,
लीक पर तो सभी चल लेते है,
          कभी इतिहास को पलटकर चल,
बिना काम के मुकाम कैसा ?
          बिना मेहनत के, दाम कैसा ?
जब तक ना हाँसिल हो मंज़िल
          तो राह में, राही आराम कैसा ?
अर्जुन सा, निशाना रख, मन में,
          ना कोई बहाना रख !
लक्ष्य सामने है,  बस उसी पे अपना ठिकाना रख !!
          सोच मत, साकार कर,
अपने कर्मो से प्यार कर !
          मिलेगा तेरी मेहनत का फल,
किसी ओर का ना इंतज़ार कर !!
           जो चले थे अकेले उनके पीछे आज मेले है ...
            जो करते रहे इंतज़ार उनकी
जिंदगी में आज भी झमेले है...
     

किस्मत की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब होती है.!

जीत हासिल करनी हो तो काबिलियत बढाओ,
किस्मत की रोटी तो कुत्तेको भी नसीब होती है.!




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"Impossible"   को
गौर  से  देखो वो
खुद कहता है
""I  m  Possible""

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सत्य को कहने के लिए,
किसी शपथ की जरूरत नहीं होती।
            नदियों को बहने के लिए,
किसी पथ की जरूरत नहीं होती।
                 जो बढ़ते हैं जमाने में,
    अपने मजबूत इरादों पर,
उन्हें अपनी मंजिल पाने के लिए,
      किसी रथ की जरूरत नहीं होती। 




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दुसरो की छांव में खड़े रहकर
हम अपनी परछाई खो देते है..
अपनी परछाई के लिये
हमे धूप में खड़ा होना पड़ता है..!





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एक चिड़िया ने मधुमक्खी से पूछा कि तुम इतनी मेहनत से शहद बनाती हो और इंसान आकर उसे चुरा ले जाता है, तुम्हे बुरा नही लगता ??
मधुमक्खी ने बहुत सुंदर जवाब दिया :
इंसान मेरा शहद ही चुरा सकता है पर मेरी शहद बनाने की कला नही ।।
कोई भी आपका Creation चुरा सकता है पर आपका Talent (हुनर) नही..


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सपने ओर लक्ष्य में एक ही अंतर हे ।।
सपने के लिए बिना महेनत की नींद चाहिए ।
ओर लक्ष्य के लिए बिना नींद की महेनत ।।


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             जो सफर की
            शुरुआत करते हैं,
         वे मंजिल भी पा लेते हैं.
                   बस,
            एक बार चलने का
         हौसला रखना जरुरी है.
                 क्योंकि,
          अच्छे इंसानों का तो
      रास्ते भी इन्तजार करते हैं...
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करोडो लोगों का दिल जीत सकते है...!!!!

दो हाथ से हम पचास लोगो को नही मार सकते.....
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दो हाथ जोड  कर हम करोडो लोगों का दिल जीत सकते है...!!!!

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*झुको उतना की*
*जितना सही हो*
*बेवजह झुकना दुसरे के*
*अहम् को  केवल बढ़ावा देता है*

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"ऊँचा उठने के लिए पंखों की ज़रुरत केवल पक्षियों को ही पड़ती है..
मनुष्य तो जितना विनम्रता से झुकता है
उतना ही ऊपर उठता है...!!





जिंदगी मे बस इतना कमाओ की ... जम़ीन पर बैठो तो..., लोग उसे आपका बड़प्पन कहें..., औकात नहीं....

जिंदगी मे बस इतना कमाओ की ...
जम़ीन पर बैठो तो...,
लोग उसे आपका बड़प्पन कहें...,
औकात नहीं....



कोई इतना भी अमीर नहीं होता कि वो अपना बीता हुआ कल ख़रीद सके,
कोई इतना भी ग़रीब नहीं होता कि वो अपना आने वाला कल न बदल सके!


“मैं भी एक सम्पन्न घराने का था, पर जुए और शराब की लत ने मुझे सड़क पर लाकर खड़ा कर दिया” एक व्यक्ति अपनी करुण कथा दीनबन्धु एंड्रयूज से कह रहा था -”माता-पिता के प्यार और भाई-बहन के स्नेह से वंचित होना पड़ा। तभी से दर-दर की खाक छान रहा हूँ और अब स्थिति ऐसी है कि खाने के भी लाले पड़ रहे हैं। इसी मजबूरी ने चोरी करना भी सिखा दिया और कई वर्षों की जेल की सजा भी काट चुका हूँ। मेहनत-मजदूरी करते बन नहीं पड़ता। स्वास्थ्य भी साथ नहीं देता और फिर ऊपर से कोढ़ में खाज की तरह टी.बी. की शिकायत! जीवन से ऊब चुका हूँ। आत्महत्या करने को जी चाहता है।” 

दीनबन्धु बड़ी धैर्य से उसकी कथा सुन रहे थे। सब कुछ सुनने के उपरान्त उनने प्रश्न किया-”क्या तुम्हें पता नहीं बुरी आदतों का परिणाम भी बुरा होता है?” युवक ने सकारात्मक जवाब में सिर हिला दिया।

“फिर तुमने यह गलती क्यों की?” दीनबन्धु का सवाल था।

कुछ तो मित्रों के बहकावे में आकर और कुछ बड़प्पन का अहंकार जताने हेतु।”

दीनबन्धु उसे समझाने की दृष्टि से कहने लगे-”व्यक्ति यहीं भ्रमित हो जाता है। यह समझता है कि वह पड़ोसियों पर, समाज पर ऐसे कृत्यों द्वारा अपनी छाप डाल लेगा। लोग उसे बड़ा प्रगतिशील, सभ्य, और आधुनिक मानने लगेंगे, पर होता ठीक इसके विपरीत है। उन्हीं के बिरादरी वाले ऐसे लोगों को बड़ा और आधुनिक मान सकते हैं, पर यदि कोई सचमुच ही विचारशील व्यक्ति हो, तो इस आधुनिक सभ्यता, और चिन्तन-चेतना की प्रवृत्ति द्वारा स्वयं को बड़ा बनाने और कहलाने को कभी उचित नहीं ठहरायेगा। व्यक्ति बड़ा और महान बाह्याडम्बर से पहनावे-ओढ़ावे से नहीं, वरन् कर्त्तृत्व से बनता है, चिन्तन-चरित्र से बनता है और यदि यह सब ओछे और बचकाने हों, तो भले ही आडम्बर का ढकोसला वह ओढ़े रहे, पर वास्तविकता जग-जाहिर हो ही जाती है और लोग उसके तथाकथित ‘बड़प्पन’ पर उँगली उठाने लगते हैं। याद रखो महानता सदा सादगी में होती है, बड़प्पन में नहीं।”

युवक का समाधान हो चुका था। वह बड़ी आर्तदृष्टि से दीनबन्धु की ओर देख रहा था, जैसे उसे अपना अपराध-बोध हो गया हो और वह उसे स्वीकार रहा हो। दीनबन्धु ने उसे कई महीनों तक अपने साथ रखा एवं उसका उपचार कराया। अनेक महीनों के पश्चात् जब उसका स्वास्थ्य और रोग लगभग सही हो गया, तो उनने युवक से कहा-”अब तुम जा सकते हो, पर फिर से इन गंदी लतों को पास फटकने मत देना और कहीं मेहनत-मजदूरी कर ईमानदारी की जिन्दगी जीना।”

युवक उनकी नसीहत की स्वीकारोक्ति में नतमस्तक हो प्रणाम कर चल पड़ा। अनेक वर्षों बाद एक सुबह दीनबन्धु की झोंपड़ी के सामने आकर एक कार रुकी। उससे सीधे-साधे लिबास में एक प्रौढ़ सा दीखने वाला व्यक्ति उतरा। दरवाजा खटखटाया। कुछ क्षण पश्चात् दीनबन्धु बाहर आये। व्यक्ति ने भाव विभोर होकर कहा-”पहचाना।” दीनबन्धु असमंजस में पड़ गये तभी अपना परिचय न देते हुए उसने कहा “ मैं वही हूँ, जिसने आपसे अमुक महीनों तक सेवा करवायी थी।”

परिचय पाकर दीनबन्धु ने मुस्कराते हुए कहा-”अरे! तुम। अन्दर आओ।” युवक ने संक्षेप में अपनी प्रगति-कथा सुनायी कि किस तरह अखबार बेचते हुए आज वह एक फैक्ट्री का मालिक बन गया है। वह अपने साथ ढेर सारे उपहार और एक प्रस्ताव लेकर आया था कि वह इस झोंपड़ी से एक अच्छे मकान में चले चलें, जिसे उसने हाल ही में खरीदा था। प्रस्ताव अस्वीकारते हुए उन्होंने कहा-इस पैसे को गरीबों की सवा में लगा देना। रही उपहार की बात तो उनने एक गुलदस्ता भर रख कर शेष को अभावग्रस्तों में बाँट देने को कहा। चलते-चलते दीनबन्धु ने एक बात और कही कि “जीवन भर दूसरों की सेवा करना, पिछड़ों को उठाना। यही मेरे प्रति तुम्हारा सच्चा कृतज्ञता-ज्ञापन होगा”। निहाल वह व्यक्ति एक और मंत्र सीखकर पुनः सेवा क्षेत्र की ओर चल पड़ा।  

भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है, व्यक्ति 'मानव' बन जाता है

भक्ति जब भोजन में प्रवेश करती है,
भोजन 'प्रसाद' बन जाता है।
भक्ति जब भूख में प्रवेश करती है,
भूख 'व्रत' बन जाती है।
भक्ति जब पानी में प्रवेश करती है,
पानी 'चरणामृत' बन जाता है।
भक्ति जब सफर में प्रवेश करती है,
सफर 'तीर्थयात्रा' बन जाता है।
भक्ति जब संगीत में प्रवेश करती है,
संगीत 'कीर्तन' बन जाता है।
भक्ति जब घर में प्रवेश करती है,
घर 'मन्दिर' बन जाता है।
भक्ति जब कार्य में प्रवेश करती है,
कार्य 'कर्म' बन जाता है।
भक्ति जब क्रिया में प्रवेश करती है,
क्रिया 'सेवा' बन जाती है।
और...
भक्ति जब व्यक्ति में प्रवेश करती है,
व्यक्ति 'मानव' बन जाता है